Friday, April 26, 2024
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सोशल मीडिया पर छाया दरियादिल गैंगस्टर मोनू दरियापुर

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बाहरी दिल्ली के मियांवली शूटआउट में पिछले महीने मारे गए नामी गैंगस्टर मोनू दरियापुर का नाम भले ही उसकी आपराधिक छवि के लिये ज्यादा कुख्यात हो।  लेकिन बाहरी दिल्ली के दरियापुर का रहने वाला मोनू दरियापुर अपने चाहने वालों के बीच दरियादिल इंसान के रूप में भी जाना जाता था।  सोशल मीडिया पर मोनू दरियापुर की लोकप्रियता देख कर आप हैरान हो जायेंगे , फेसबुक पर मोनू दरियापुर के नाम से कई अकाउंट हैं और उसके हजारों फॉलोवर्स भी ।  वहीँ यूट्यूब पर भी मोनू दरियापुर की पोस्ट की हुई वीडियोज़ खूब वायरल होती थी।  हत्या के बाद भी मोनू दरियापुर से सम्बंधित ख़बरों और वीडियोज़ को लाखों लोगों ने देखा और सैंकड़ों लोगों ने संवेदना भी जताई।   इन वीडियोज़ में मोनू दरियापुर कभी पार्टी , कभी दोस्तों के साथ मौज मस्ती , तो कभी अपने एनजीओ के लिये मैसेज देते देखा जा सकता है।  महँगी गाड़ियाँ, खतरनाक आटोमेटिक  हथियार और बादशाही ठाठ बाट ये तस्वीरें हैं मोनू दरियापुर की जो सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई थी।   तस्वीरों में देख सकते हैं की मोनू दरियापुर के देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी दोस्त थे ये कहानी है मोनू दरियापुर की।  जो पुलिस की लिस्ट में एक बदमाश था , जिसके नाम पर दर्जनों मुकदमें दर्ज हैं।  लेकिन बावजूद इसके मोनू दरियापुर को चाहने वालों की भी कमी नहीं है और इस बात का अंदाज़ा सोशल मीडिया पर उसकी पॉपुलैरिटी से बखूबी लगाया जा सकता है।  मोनू दरियापुर की हत्या के बाद उसके परिवार में आज मातमी सन्नाटा है, लेकिन खुद परिवार के सदस्य मानते हैं की मोनू की छवि आपराधिक  थी लेकिन उसने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा

वार्ड नंबर 31 में गंदगी से जनता परेशान

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ग़ाज़ियाबाद में निगम चुनाव के दिन नजदीक आ रहे हैं और एक बार फिर जनता अपना प्रतिनिधि निगम पार्षद के रूप में चुनने वाली है। ऐसे में ये जानना जरूरी है की अपने मौजूदा निगम पार्षद से क्षेत्र की जनता कितनी खुश या नाखुश है।  हमारा विशेष कार्यक्रम ‘ दर्पण झूठ न बोले’ ग़ाज़ियाबाद में निगम चुनाव से पहले जनता की राय ले रहा है और साथ ही मौजूदा निगम पार्षद के द्वारा किये गए कार्यों की पड़ताल भी कर रहा है।   दिल्ली एनसीआर के नंबर 1 वेब चैनल दिल्ली दर्पण की टीम जब वार्ड नंबर 31 गयी तो वह पर इलाके में लोगो में अपनी पार्षद बबिता चौधरी को लेकर गुस्सा भरा पड़ा था…लोगो ने तो यहाँ तक कहा की उन्होंने 2012 में निगम चुनावो के बाद आज तक अपनी पार्षद को देखा ही नहीं है… इलाके में जहाँ देखो वहीँ गंदगी है, जिसके चलते हमेशा बिमारियों का डर बना रहता है.. इस इलाके में पंचवटी और कोट गाँव का क्षेत्र आता है l क्षेत्र की समस्यायों और अवव्यस्था को देखकर खुद ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है की बबिता चौधरी अपने इलाके में कितना सक्रिय रही है..ये आलम तब है जब की बबिता चौधरी के पति सुनील चौधरी खुद भी पार्षद रह चुके है…

कपिल मिश्रा के खिलाफ अनशन पर बैठे विधायक संजीव झा

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दिल्ली में बुराड़ी से विधायक संजीव झा कपिल मिश्रा के खिलाफ अनशन पर बैठे हैं और बुराड़ी नत्थूपुरा के लोग एक सप्ताह से पीने के पानी को तरस रहे है । अब पानी की शिकायत स्थानीय विधायक को भी नही कर सकते क्योंकि वे खुद भूखे प्यासे रहकर अनशन पर बैठे है और अब ऐसा लगता है कि जनता भी बिना पानी के अनशन पर ही है क्योकि गरीब लोग ख़रीदकर पानी पी नही सकते मजबूरन जमीनी पानी पी रहे हैं जो हानिकारक है । जमीनी पानी पीने से लोग बीमार हो रहे है । आज नत्थूपुरा बुध बाजार में स्थानीय लोगो ने दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड के खिलाफ जमकर नारेबाजी की । लोग खाली बर्तन लेकर गलियों में आकर सरकार को कोस रहे हैं । फिलहाल बुराड़ी एरिया में अभी तक जल बोर्ड के पानी की सप्लाई नॉर्मल नही हुई है ।

सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी बुक अनिवार्य?

शिक्षा का कोई मोल नहीं होता। लक्ष्मी विद्या नहीं खरीद सकती पर विद्या अपने दम पर लक्ष्मी अर्जित कर सकती है। ये बात जगजाहिर है, लेकिन फिर भी सरकार ने महंगी होती भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर शिकंजा कसने के लिए सीबीएसई स्कूलों में प्राइवेट बुक की बजाय एनसीईआरटी बुक लगाने के आदेश दिए हैं। सरकार के इस फैसले से प्राइवेट पब्लिशर्स को बड़ा नुकसान तो होगा ही, लेकिन बच्चों के भविष्य का क्या होगा ये भी सोचने वाली बात है। ये बात सिर्फ टीचर और अभिभावक ही नहीं, खुद स्टूडेंट्स भी जानते हैं कि एनसीईआरटी की किताबों में टॉपिक्स ठीक तरह से अपडेट नहीं किये जाते। सालों से किताबों में एक ही चीज़ छपती आ रही है और तो और जब-तब ये किताबें आउट ऑफ़ स्टॉक ही रहती हैं। वहीं प्राख्यात शिक्षा विद् और मल्टीपल इंटेलिजेंस काउंसलर डॉ. राजीव गुप्ता भी सरकार के फैसले से पूर्णूोतय: सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि स्टूडेंट्स के लिए एनसीईआरटी की किताबें ही काफी नहीं हैं। बल्कि उन्हें चीजों को बेहतर ढंग से समझने के लिए प्राइवेट पब्लिकेशन के बुक को अवश्य पढना होगा।  वहीं स्कूली छात्रों का भी कहना है कि उनके लिए एनसीईआरटी की किताबों की अपेक्षा प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें काफी बेहतर हैं। क्योंकि एनसीईआरटी की अपेक्षा प्राइवेट किताबों से समझने में आसानी होती है। तो ज़ाहिर सी बात है कि सरकार के इस फैसले से छात्रों का कैरियर भी प्रभावित होगा। जहां एक तरफ़ प्रधानमंत्री जी डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, तो ऐसे में हम शिक्षा के मामले में कोई भी समझौता कैसे कर सकते हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि इस मामले को लेकर सरकार क्या रुख अपनाती है।