Wednesday, November 20, 2024
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रामपुरा अंडरपास निर्माण कार्य में बड़े गड़बड़झाले का पर्दाफाश, खुली निगम की पोल

त्तरी दिल्ली नगर निगम के अन्तर्गत रामपुरा अंडरपास लंबे अरसे बाद पूरा तो हो गया लेकिन कुछ सजग स्थानीय लोगों ने निर्माण कार्य में नियमों की अनदेखी और भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। RTI के माध्यम से प्राप्त जानकारी के मुताबिक अंडरपास के निर्माण में भरी गड़बड़झाला हुआ है जिसके बारे में स्थानीय लोगों ने सम्बंधित विभागों को समय समय पर जानकारी भी दी लेकिन हैरानी की बात है की आज तक कोई कारवाई नहीं की गई।  स्थानीय निवासी और RTI एक्टिविस्ट विकास गुप्ता का दावा है की पूरे निर्माण कार्य में एक करोड़ से भी ज्यादा का घोटाला हुआ है और इसके लिये वो तमाम सबूत भी पेश कर रहे हैं।  
देखें ये विडियो रिपोर्ट 

पुलिस ने चार साल की मासूम बच्ची को किडनेपर से बचाया

एक चार वर्षीय बच्ची घर के पास में ही खेल रही थी। इस बीच करीब साढ़े ग्यारह बजे एक शख्स बच्ची को लेकर भागने लगा। इसे बच्ची को भागते लेकर देखकर लोगो ने शोरशराबा शुरू किया और लोगो ने घटना के बारे में तुरंत पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलते ही विजय विहार थाने की पुलिस  तुरंत अपने स्टाफ के साथ आरोपी के भागने की दिशा में निकल गए। उन्होंने कुछ ही देर में आरोपी को बच्ची के साथ काबू कर लिया। पुलिस ने आरोपी पर पॉक्सो, छेड़छाड़ और अपरहरण की धाराओं में केस दर्ज कर लिया। वहीं थाने पर कार्रवाई पूरी कर बच्ची को परिजनों को सौंप दिया। आरोपी 2007 से ऐसे काम कर रहा हैं अभी तक इस पर  चार केस दर्ज हैं और यह सजा भी काट कर आया हैं ,
पूछताछ में आरोपी की पहचान नरेश के रूप में हुई। वह शराब में धुत रहता हैं और मजदूरी का काम करता है और यह छोटे बच्चो को अपना शिकार बनाता था क्योकि छोटे बच्चे इनोसेंट होते हैं ,आरोपी आवारा किस्म का व्यक्ति शराब पीने का आदी है।
बहराल पुलिस अपनी जांच में आरोपी से पूछताछ में जुटी हुई हैं फिलहाल ऐसे में जरूरत है परिजन भी बच्चो को लेकर खुद भी अलर्ट रहे ।

अशोक विहार के संजय मार्केट में दर्जनों दुकानों को निगम ने किया सील

दिल्ली के अशोक विहार  संजय  मार्केट में आज सुबह जब दुकानदार अपनी दुकानें खोलने पहुँचे तो उनके दुकानों पर ताले के साथ दिल्ली नगर निगम की सील भी लगी हुई थी . बिना किसी पूर्व सूचना के दर्जनों दुकानों की सीलिंग कर दी गई तो इस करवाई के पीछे का भेद भी दुकानदारों ने खोल दिया . 
वैसे तो दिल्ली नगर निगम अपने लचर व्यवस्था और भ्रष्टाचार के लिये पहले से ही ख़ासा कुख्यात है लेकिन बात जब गरीब दुकानदारों पर नियमों की मार चलाने की आई तो निगम के दफ्तर रविवार को भी खुल गये . इतना ही नहीं , आम दिनों पर सुबह दस बजे काम पर पहुँचने वाले कर्मचारी और अधिकारी अशोक विहार के संजय मार्केट में सुबह के आठ बजे ही पहुँच गये और दर्जनों दुकाने सील कर दी . अब दुकानदारों का आरोप है की बिना किसी पूर्व सूचना और कारण बताये उनकी दुकाने इस्लिये सील कर दी गई क्योकि उन्होंने निगम के अधिकारीयों के दफ्तर तक रिश्वत की मोटी रकम नहीं पहुँचाई थी . 
हैरानी की बात है की एक ओर जहाँ तमाम कॉल और कोशिशों के बावजूद निगम के कर्मचारी समस्या का समाधान करने नहीं पहुँच पाते हैं वहीँ  दूसरी ओर मामला सील लगाने का था तो रविवार को नोटिस भी निकल गया और सोमवार की सुबह आठ बजे के आस पास दर्जनों दुकाने भी सील हो गई . अब दुकानदार भी हैरानी में हैं की आखिर ये सब हुआ कैसे ? क्या ये सुविधा शुल्क समय से न पहुँचाने का परिणाम है ? 
दिल्ली नगर निगम का इतिहास रहा है की उनके नियमों का डंडा वहीँ चलता है जहाँ से रिश्वत की मोटी रकम निगम के अधिकारीयों को नहीं पहुँचती . बिना लाइसेंस और अनुमति के चल रही हजारों दुकाने निगम में लिप्त भ्रष्टाचार को ही तो उजागर करते हैं . संजय मार्केट के दुकानदारों का कहना है की उनके टैक्स और अन्य शुल्क भी जमा किये हुए हैं बावजूद इसके इनकी दुकाने सील कर दी गई हैं . ना अधिकारीयों ने इनको कारण बताया और ना ही इनके पास पहले से कोई नोटिस ही पहुँचा था .  

अशोक विहार के संजय मार्केट में दर्जनों दुकानों को निगम ने सील किया

दिल्ली के अशोक विहार  संजय  मार्केट में आज सुबह जब दुकानदार अपनी दुकानें खोलने पहुँचे तो उनके दुकानों पर ताले के साथ दिल्ली नगर निगम की सील भी लगी हुई थी . बिना किसी पूर्व सूचना के दर्जनों दुकानों की सीलिंग कर दी गई तो इस करवाई के पीछे का भेद भी दुकानदारों ने खोल दिया .
वैसे तो दिल्ली नगर निगम अपने लचर व्यवस्था और भ्रष्टाचार के लिये पहले से ही ख़ासा कुख्यात है लेकिन बात जब गरीब दुकानदारों पर नियमों की मार चलाने की आई तो निगम के दफ्तर रविवार को भी खुल गये . इतना ही नहीं , आम दिनों पर सुबह दस बजे काम पर पहुँचने वाले कर्मचारी और अधिकारी अशोक विहार के संजय मार्केट में सुबह के आठ बजे ही पहुँच गये और दर्जनों दुकाने सील कर दी . अब दुकानदारों का आरोप है की बिना किसी पूर्व सूचना और कारण बताये उनकी दुकाने इस्लिये सील कर दी गई क्योकि उन्होंने निगम के अधिकारीयों के दफ्तर तक रिश्वत की मोटी रकम नहीं पहुँचाई थी . 
हैरानी की बात है की एक ओर जहाँ तमाम कॉल और कोशिशों के बावजूद निगम के कर्मचारी समस्या का समाधान करने नहीं पहुँच पाते हैं वहीँ  दूसरी ओर मामला सील लगाने का था तो रविवार को नोटिस भी निकल गया और सोमवार की सुबह आठ बजे के आस पास दर्जनों दुकाने भी सील हो गई . अब दुकानदार भी हैरानी में हैं की आखिर ये सब हुआ कैसे ? क्या ये सुविधा शुल्क समय से न पहुँचाने का परिणाम है ?
दिल्ली नगर निगम का इतिहास रहा है की उनके नियमों का डंडा वहीँ चलता है जहाँ से रिश्वत की मोटी रकम निगम के अधिकारीयों को नहीं पहुँचती . बिना लाइसेंस और अनुमति के चल रही हजारों दुकाने निगम में लिप्त भ्रष्टाचार को ही तो उजागर करते हैं . संजय मार्केट के दुकानदारों का कहना है की उनके टैक्स और अन्य शुल्क भी जमा किये हुए हैं बावजूद इसके इनकी दुकाने सील कर दी गई हैं . ना अधिकारीयों ने इनको कारण बताया और ना ही इनके पास पहले से कोई नोटिस ही पहुँचा था .  

क्या आशा किरण होम में मानसिक रूप से अक्षम लोगों पर किया जाता है अत्याचार?

ये दिल्ली का रोहिणी स्थित आशा किरण होम है जहाँ दिसम्बर से अब तक कुल ग्यारह लोगों की मौत हो चुकी है। हैरानी की बात ये है की इनमें से पाँच मौतें होम के अंदर ही हुई हैं जिसकी वजह से होम के अंदर दिव्यांगों के रख रखाव और व्यवस्था पर बड़े सवाल हो रहे हैं।
शर्मनाक बात ये भी है की महिला विंग में लगे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी पुरुष कर्मचारियों द्वारा की जा रही थी . यानि मानसिक रूप से अक्षम महिलाओं के सभी गतिविधियों की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरों में कैद होती हैं जिसका निरिक्षण पुरुषों के द्वारा किया जाता रहा है . ये सीधे सीधे मानवाधिकार का हनन तो है ही बल्कि इंसानियत को शर्मशार करने वाली घटना भी है .
न जाने कितनी और किस तरह की तस्वीरें इन कैमरों में कैद हुई होंगी जो एक महिला के निजता को आघात पहुंचाने वाले हो सकते हैं .
ये बात खुद महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के औचक निरिक्षण में सामने आई हैं . अब सवाल ये उठने लगे हैं की दिल्ली सरकार द्वारा संचालित , मानसिक रूप से अक्षम लोगों के होम में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे चल रही थी ?
आशा किरण होम में लगातार हो रही मौतें भी संदेह के घेरे में हैं , बीते दो महीनों के भीतर ही कुल ग्यारह मौतें रोहिणी के आशा किरण होम में रहने वाले अपांग लोगों की हुई हैं . इनमें से पांच मौतें तो आशा किरण के भीतर ही हुई और वो भी केवल महिलाओं की . अब सवाल ये है की आखिर उन महिलाओं की मौत किन परिस्थितियों में हुई ?
क्या आशाकिरण होम में होती है बड़ी लापरवाही ? क्या सरकारी तनख्वाह पर तैनात अधिकारी और कर्मचारी ही लाचार लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं ? इन सवालों से आशाकिरण के अधिकारी बचते रहे हैं .
एनजीओ संचालक ने आरटीआई के माध्यम से आशा किरण में हो रही लगातार मौतों की संख्या का पता लगाया तो लोग हैरान रह गए .
क्या मानसिक लोगों के साथ हैवानियत का नतीजा है ये मौतें ? या लापरवाही की हद ! ये तमाम सवाल हैं जिनके जवाब देने के लिए अब तक कोई भी अधिकारी या मंत्री सामने नहीं आया है . गौर करने वाली बात ये भी है की दिल्ली सरकार में बहरहाल समाज कल्याण मंत्रालय की सीट भी कई महीनों से खाली है , जबकि केजरीवाल सरकार के तमाम मंत्री और विधायक दुसरे राज्यों के चुनाव में व्यस्त हैं . क्या सियासत का खेल केजरीवाल सरकार के लिए आम आदमी के दर्द से ज्यादा बड़ा हो चूका है ?