Friday, September 20, 2024
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टीपीडीडीएल की कामयाबी , दिल्ली में बिजली पाना आसान

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नई दिल्ली, 19 नवंबर, 2015: दिल्ली में एक नया बिजली कनेक्शन प्राप्त करना अब ज्यादा मुश्किल नहीं रहा । अब विश्व बैंक डूइंग बिज़नेस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में बिजली पाना और भी आसान होगा। यह बात स्वयं विश्व बैंक के द्वारा स्वीकार की गई है। वास्तव में, दिल्ली में बिजली के कारण व्यापार में होने वाली सुविधा में बढ़ोतरी हुई है। अब भारत कारोबार करने की सुगमता सूचि में 142 के स्थान पर 130 पायदान पर आ गया है। मतलब सीधा 12 डिग्री की कूद बनाने में सबसे बड़ा योगदान बिजली का रहा है।

 विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है की नए बिजली कनेक्शन प्राप्त करना और भी आसान व सुगम हो जायेगा। इसके टीपीडीडीएल तेज़ी से काम कर रही है व इस ओर ध्यान भी दे रही है। इसके चलते दिल्ली के विद्युत निरीक्षक समूह द्वारा आंतरिक वायरिंग इंस्पेक्शन की अनिवार्यता हटा दी गई है। अब सिर्फ एक बार निरक्षण किया जायेगा पर पहले ये निरिक्षण दो बार किया जाता था।इसके साथ भी यूटिलिटी एक्सटर्नल कनेक्शन कार्य फाइनल स्विचिंग की भी एक प्रकिया जोड़ी गई है।
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट “डूइंग बिज़नेस 2016” में 189 अर्थव्यवस्थाओं छोटे और मध्यम आकार के व्यापारों की तुलना करती है जिसमें 10 संकेतक का उल्लेख करती है इसमें भी लिए बिजली सबसे अहम ज़रूरत है।इसने भारत की रैंकिंग को को बेहतर बनाया है।बिजली मिलने में भारत की रैंकिंग 2015 में 137 से 67 अंक बढ़कर 2016 में 70 तक पहुँच गई है। बिजली मिलने के अतिरिक्त भारत में सिर्फ दो संकेतों में सुधार हुआ है जिसमें कारोबार की शुरुआत एवं निर्माण अनुमति मिलना है लेकिन इन संकेतों में सुधार क्रमश: 9 और 1 अंक का ही है।
 भारत में कारोबार को बेहतर बनाने में यूटिलिटी कंपनी की अहम भूमिका के बारे में मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक, टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन टीपीडीडीएल श्री प्रवीर सिन्हा ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा की अपने ग्राहक को सेवाऐं , गुणवत्ता और विद्युत आपूर्ति प्रदान करने में  टीपीडीडीएल विश्वसनीय है। जिस कारण इसका विदेशों एक प्रतिष्ठित नाम है। हम तकनीकी इनोवेन्शन करने में सबसे आगे रहे है। विद्युत मंत्रालय और सरकार व नियामक अधिकारियों के साथ मिलकर हमारी कोशिशों ने कारोबारियों के कारोबार को सुगम और आसान बनाया है और अब वर्ल्ड बैंक से सम्मान मिलना हमारी कामयाबी का प्रमाण पात्र है , और अब हमारा प्रयास रहेगा की हम आगे भी नई तकनीक द्वारा अपने काम को इसी तरह आगे बढ़ाते रहे जिससे भारत उन्नतों उन्नत तरक्की करता रहे।

मुख -बधिर बनी रही पुलिस , बेगुनाह ने गंवाई जान

दिल्ली के समय पुर बादली के इलाके में जहाँ गाँव के ही कुछ लड़को ने सड़क किनारे सब्जी लगाने वालों को जम कर पीटा जिसमे एक बेगुनाह की मौत हो गयी और झगडे में ३ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए ज पास के अम्बेडकर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है । महज सब्जी की रेहड़ी लगाने को लेकर दो गुटो में जबरदस्त झगड़ा हुआ जहाँ सब्जी की रेहड़ी लगाने वालो की गाँव के ही कुछ लोगो ने पिटाई कर दी जिसमे अनिल को अपनी जान गवानी पड़ गयी जबकि उसका इस झगडे से कोई लेना देना भी नहीं था।

दिल्ली के इस क्षेत्र में गाँव वालो ने पुलिस या एम.सी. डी की मदद के बिना ही सड़क के किनारे सब्ज़ी की रेहड़ी लगाने वालो को जबरदस्ती हटाने की कोशिश की एव उनके साथ मार पीट भी की इस मार पीट में गाँव के ही रहने वाले अनिल (40) को इतनी गंभीर चोटे आई की उसे रोहिणी के डॉ आंबेडकर हॉस्पिटल ले जाया गया जहा डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया मृतक के परिजनों ने मौत के बाद रोड पर जम कर हंगामा किया और विरोध प्रदर्शन किया|

वही मृतक का परिवार इस घटना से सदमे में है और परिजनों का कहना न तो वह वंहा सब्ज़ी की रेहड़ी लगता था और न ही उसका इस झगडे से कोई लेना देना था तो क्यों जनता ने उसको अपने गुस्से का शिकार बनाया उनका यह आरोप भी है की जिस समय यह झगड़ा हुआ उस वक़्त पुलिस कर्मी भी वहा मौजूद था पर हमलावरों ने उसे भी धमका दिया जिसके बाद पुलिस कर्मी मुखदर्शन बन सब देखता रहा। और उसने न तो कोई मदद की और न ही किसी को उसकी मदद करने के लिए बुलया क्या हमारी दिल्ली पुलिस ऐसे ही सोती रहेग़ी और दिल्ली में ये वारदाते कभी काम नहीं होंगी। और पुलिस ने अभी तक कोई कार्यवाही भी नहीं की है|

इस गांव में यह पहली घटना नहीं है जिसमे लोगो का ये रूप सामने आया है लेकिन इस घटना के बाद ये तो साफ़ हो गया है की डेल्ही के हालत बद से बतर होते जा रहे है फिलहाल पुलिस इस मामले की तफ्तीश कर रही है|

विजेंदर गुप्ता का केजरीवाल सरकार पर हमला

दिल्ली विधान सभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित बिल को टीचर , छात्र और अभिभावकों का विरोधी बताया है। उन्होंने इस बिल के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया है।  दिल्ली विधान सभा में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी ने इस संशोधित बिल  को शिक्षा व्यवस्था के विरूद्ध बताते हुए कहा है की ऐसा लगता है जैसे यह बिल दिल्ली सरकार ने नहीं बल्कि निजी स्कूलों की मैनेजमेंट ने  तैयार किया है। इस बिल से दिल्ली में एक लाख से ज्यादा टीचर है और इतने ही कर्मचारी है जो निजी स्कूलों में काम करते है। ये इस बिल से सीधे प्रभावित होगे।  विजेंद्र गुप्ता ने स्कूलों की फीस बढ़ोतरी पर भी कहा की अभी तक निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए सरकार से अनुमति लेने पड़ती थी। लेकिन अब सरकार  ने इसके लिए कमेटी बना दी जो गलत है। इसके अलावा 7 वां वेतन आयोग को निजी स्कूलों के टीचरों को बहार रखा गया है। बीजेपी नेता ने कहा की दिल्ली सरकार ने  फैसले बदल लिए है। विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार के खिलाफ जो बातें कहीं जो वेतन को लेकर थी और जिससे आम जनता को काफी  परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

पकड़ा गया अपनी पत्नी का कातिल

अशोक विहार के वज़ीरपुर गांव इलाके में पुलिस ने एक खुनी को हिरासत में ले लिया।  आज से तक़रीबन 2 महिने पहले अपनी पत्नी का मर्डर करके ये खुनी पति फरार हो गया था और कल पुलिस के हत्थे चढ़ गया है।  इस शख्स का नाम आशीष कुमार है जो 27 साल का है इसने अपनी पत्नी ज्योति के साथ 6 – 7 साल पहले प्रेम विवाह किया था इनकी शादी के खिलाफ इन दोनों का ही परिवार था। पर फिर भी इन दोनों ने  परिवार व समाज की परवाह न करते हुए शादी के बंधन में बंधने का फैसला कर लिया और एक हो गए। इस शादी से उन्हें 3 बच्चे भी हुए जिनमे सबसे बड़ा 5 साल का और उससे छोटा 3 साल का तथा एक बेटी भी है जो एक साल की है। इस सब का चश्मदीद गवाह उसका अपना 5 साल  का बेटा है।  

लड़की की माँ ने बताया की आशीष कुमार उनकी बेटी पर शक करता था और रोज़ झगड़ा करता था। इसका कारण था की उनके घर में हत्या से दो महीने पहले एक पैन गेस्ट रखा था जिसको लेकर आशीष अपनी पत्नी ज्योति पर शक करता था। उसको ऐसा लगने लगा था उसकी पत्नी का पैन गेस्ट के साथ नाजायज़  सम्बन्ध है जिसके चलते उसने इस खतरनाक वारदात को अंजाम दिया।  उन्होंने बताया की उनका पांच साल का बेटा वारदात के दिन बहुत रो रहा था। जब उसने जाकर देखा तो उसकी बेटी खून से लथपथ थी ये देखकर उनके होश उड़ गए और उसका बेटा बताने लगा की उसके पिता ने माँ को चाकू मारा है। इस व्यक्ति अपनी पत्नी  का हाथ काटा और उसकी मोके पर ही मोत हो गई। 
 
ये भी बताया जा रहा है की आशीष आर्थिक रूप से बहुत कमज़ोर था जिसकी वजह से वो बहुत परेशान रहता था। और अपनी पत्नी से बार बार उसकी माँ से रूपये मंगवाने के लिए भेजा करता था। और उसका पैन गेस्ट ने भी किराया नहीं दिया था। उसके घर में अक्सर रुपयों  लेकर झगड़ा होता रहता था। अपनी पत्नी का खून करके एक ट्रक में वेस्ट बंगाल ,झारखण्ड , बिहार , उत्तर प्रदेश में घूम रहा था परन्तु आज बदरपुर बॉर्डर के पास से पुलिस ने इस हत्यारे पति को धर दबोचा
 
ये कलयुग ही  है जहाँ एक आदमी ने अपनी प्रेमिका से शादी की और एक नाजायज़ शक के चलते अपनी पत्नी को मौत के घाट उत्तर दिया। व फरार हो गया। ये एक संकीर्ण मानसिकता है जो हमारे समाज में एक बीमारी की तरह घुल गई है। इसके लिए ज़रूरी है बच्चों को बचपन से ही इस प्रकार की स्तिथि से बचने और उसको सुधारने के प्रयत्न जाने चाहिए तभी शायद रिश्तों का क़त्ल नही होगा।  

नर्सों ने की हड़ताल , मरीज़ हुए बेहाल

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दिल्ली में  16 तारीख से कुछ मांगों को लेकर  सरकार व एम सी डी के खिलाफ नर्सों की हड़ताल जारी है। इस हड़ताल की जानकारी 3 अक्टूबर को दे दी गई थी और 5 नवम्बर को रिमाइंडर भी भेजा  था पर अभी तक सरकार या एम सी डी का कोई भी कर्मचारी इनसे मिलने नहीं आया है। इस हड़ताल की वजह से मरीज़ों को काफी परेशानी हो रही है पर कोई भी इनकी बात सुनने को तैयार नहीं है। ऐसे में ये अपनी गुहार कहा जाकर सुनाये।

नर्सें अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतर आई है और आज हिन्दू राव हॉस्पिटल के बाहर नर्सें बड़ी तादाद में इकठ्ठा हुई और एम सी डी व सरकार के खिलाफ नारे लगाये। हालाँकि कुछ नेता आ तो रहे है इनसे मिलने पर वो आश्वासन के शिव कुछ नही दे रहे है। खेर ये काम तो सरकार का है पर सरकार भी कुछ नही कर रही है और एम सी डी को तो अपनी खुद की उलझनों में से निकलने की फुर्सत नही यदि होती तो इन नर्सों के बारे में कुछ अवश्य सोचती।
हड़ताल पर गई हुई नर्सों का कहना है की अभी तक हमारी मांगों के बारे में एडमिनिस्ट्रेशन ने कुछ भी नही सोचा और ये लोग अभी भी सो रहे है। हमारी मांगे ऐसी नही है जो पूरी न हो सकें। आज एक नर्स 50 मरीजों को देखती है हमारी मांगे मरीज़ों से ही सम्बंधित है यदि ये  ज़्यादा नर्सें होंगी तो इन्ही को ही फ़ायदा होगा। नर्सें मरीज़ों पर पूरा ध्यान दें पाएंगी। हमारी इतनी वेकेन्सी खाली पड़ी है। पर्सनल अस्सिटेंट व स्टाफ नर्स पर नर्सों की भर्ती के बजाये उन्हें निकलने की मुहीम सरकार चला रही है। अभी तक नर्सों की वेकेंसी 169 है जो दिसंबर तक 203 हो जाएगी।
सुष्मा कुमारी का कहना है की हम सड़कों पर उतरना नहीं चाहते थे पर एम सी डी के कमिश्नर और डी के सेठ ने हमें मजबूर किया है। हमारी कोई भी मांगों की सुनवाई नहीं हो रही है उन्हें सोचना चाहिए की मरीज सफर कर रहे है। और उच्च अधिकारी व नेता सिर्फ आश्वासन दे रहे है। और हमें अगस्त से सेलेरी भी नहीं मिली है। हमारे स्टाफ को भी निकला जा रहा है। जबकि वो स्टाफ अच्छी सर्विस दे रहा है। और ये अपनी आँखों पर पट्टी बांध कर बैठे है।