Friday, November 8, 2024
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सागर धनखड़ हत्याकांड में चश्मदीद ने खोले सुशील पहलवान के राज

नेहा राठौर, संवाददाता

नई दिल्ली।। पहलवान सागर धनखड़ हत्याकांड का एक मात्र चश्मदीद गवाह सोनू माहल ने वारदात वाली रात का खुलासा किया है। वारदात वाली रात यानी 4-5 मई को छत्रसाल स्टेडियम में आरोपी ओलंपिक पदक विजेता सुशील पहलवान ने सागर के साथी सोनू मलिक उर्फ सोनी माहल पर भी हमला किया था। इस हमले में सोनू भी गंभीर रूप से घायल हुए थे।

सोनू ने बताया कि किस तरह सुशील ने इस खूनी खेल को अंजाम दिया, किस तरह सुशील ने उन्हें किडनेप कर सागर की हत्या की। बता दें कि वारदात के बाद से सोनू ने पहली बार सामने आकर सुशील की पोल खोली है।

क्या हुआ था 4-5 मई की रात?

सोनू ने बताया कि रात के 11:15 बजे मुझे, सागर और सागर के दो दोस्त अमित और रविंद्र को किडनेप कर छात्रसाल स्टेडियम ले गए थे। और जब हमने उनसे रास्ते में उससे पूछा की क्या बात है? तो सुशील बोला कि तुम्हें बदमाश बनाता हूं, अब पता चलेगा कि कौन बदमाश है? हमें स्टेडियम में ले जाने के बाद हमसे कोई बात नहीं की बस सुशील और उसके 30-35 साथियों ने बेसबॉल के डंडों और रॉड से हमें मारना शुरू कर दिया। लगभग डेढ़ से दो घंटे तक मारते रहे। इस दौरान उन्होंने कई राउंड गोली भी चलाई।

जब सुशील और उसके साथी मुझे और सागर को मार रहे थे। उस वक्त अमित और रविंद्र छुप गए थे। इस बीच रविंद्र ने पीसीआर को कॉल कर दी, लेकिन पुलिस की गाड़ियों की आवाज सुनते ही सुशील ने स्टेडियम के गेट बंद करवा दिये। पुलिस के डर से सुशील और उसके सभी साथी वहां से भाग गए। वहां सिर्फ एक ही पहलवान बचा था सुरजीत नाम का जो सुशील के अखाड़े का ही है। वह वहां गोली के खोखे और खून के दाग साफ कर रहा था। उसके बाद पुलिस स्टेडियम का दरवाजा फांदकर अंदर आ गई। पुलिस के आते ही अमित ने उन्हें बताया हम दोनों को नीचे बेसमेंट में मारकर फेंक रखा है। उसके बाद पुलिस ने हमें अस्पताल पहंचाया। हमें बेसमेंट में मेट से ढक दिया था। अगर अमित नहीं होता तो पुलिस को पता ही नहीं चलता कि हम बेसमेंट में है। सागर की तो मौत हो गई, हो सकता है मेरी भी वहीं मौत हो जाती।

मामले में पुलिस की लापरवाही

सोनू ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में कोई खास भूमिका निभाई, जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया। उस वक्त पुलिस ने उनसे कोई स्टेटमेंट नहीं लिया। उसने अपने परिजनों का नंबर भी पुलिस को दिया था, लेकिन उन्होंने उसकी कोई बात नहीं करवाई। सोनू के मुताबिक अगर पुलिस चाहती तो उसी समय सागर का बयान ले सकता थी, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और सुबह सागर की मौत हो गई। जिसके बाद सुशील फरार हो गया। वहीं सोनू ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की। जब पुलिस स्टेडियम पहुंची थी, तब सुरजीत पहलवान वहां उन्हीं के सामने खून साफ कर रहा था, गोलियों के खोखे इकट्ठा कर रहा था। पुलिस ने उसे कुछ नहीं कहा। आखिर में सोनू ने कहा कि हम सागर को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ते रहेंगे। मैं इस मामले में पीड़ित के साथ-साथ एक शिकायतकर्ता भी हूं। सुशील ने हमें जानवरों की तरह मारा है। और अब मैं उस रात को भूल नहीं पा रहा हूं।

सागर को मारने के पीछे कारण

सोनू ने यह स्पष्ट किया है कि उनका सुशील से फ्लैट को लेकर कोई झगड़ा नहीं था। क्योंकि उन्होंने मार्च में ही फ्लैट खाली कर दिया था। दरअसल बात यह थी कि जब सुशील ने सागर से फ्लैट खाली करने को कहा तो सागर परेशान हो गया था और उसने सुशील से कहा कि मैं अचानक यहां से कहां जाऊंगा। दूसरा फ्लैट मिलने के बाद खाली कर दूंगा। इतना ही नहीं इस बारे में बात करने के लिए सुशील ने उन्हें मार्च में छात्रसाल स्टेडियम भी बुलाया था। सोनू ने कहा कि वह उन्हें डराना चाहता था इसलिए वह कह रहा था कि उसका संपर्क कई अपराधियों से है।

सोनू ने यह दावा किया है कि यह थी कि सागर धनखड़ एक अच्छा पहलवान था और वह पहलवानी जगत में अपना नाम कमा रहा था। धीरे-धीरे सागर और उसके 30-35 साथी पहलवानों छत्रसाल स्टेडियम छोड़ना शुरू कर दिया था। जिसके बाद वे सब छत्रसाल के पूर्व वीरेंद्र कोच के अखाड़े में नरेला जाने लगे थे। सुशील इस बात से खफा था। क्योंकि उसे लग रहा था कि सागर कहने से ही सारे पहलवान स्टेडियम छोड़कर जा रहे हैं। इसलिए वो सागर को सबक सिखाना चाहता था।

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