Friday, November 22, 2024
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Rani Bagh -सेवा वेलफेयर उंडेशन की “सेवा रसोई ” में 5 रुपये में स्वादिष्ट भरपेट भोजन 

-दिल्ली दर्पण ब्यूरो 

दिल्ली। इस कोरोना काल में कितनी ही संस्थाएं कम्युनिटी किचन चलाकर गरीब लोगों को भोजन उपलब्ध करा रही है। इनमें कुछ संस्थाएं ऐसी है जो वास्तव में सेवा की मिसाल बनी हुयी है। नार्थ दिल्ली के रानीबाग इलाकें में भी “सेवा वेलफेयर फाउंडेशन ” की सेवा रसोई इलाके में चर्चा का विषय बनी हुयी है।

यूँ तो यह संस्था पिछले कई सालों से महावीर हॉस्पिटल के बहार गरीबों के लिए भोजन का प्रबंध करती आ रही है लेकिन इस कोरोना काल में रानी बाग़ के संतनगर में संस्था की यह “सेवा रसोई ” रोज सैकड़ों लोगों को भरपेट भोजन करा रही है। लोगों के सम्मान को ठेस न पहुंचे इसके लिए यह भी व्यवस्था है कि वे चाहे तो 5  रुपये देकर भोजन थाली प्राप्त कर सकतें है। ‘सेवा वेलफेयर फाउंडेशन’ की इस सेवा भावना को इलाकें में बेहद  सराहा जा रहा है। इस सेवा रसोई की ख़ास बात यह है की यहाँ सभी काम संस्था के सदस्य ही करते है। लोगों थाली में खुद अपने हाथो से भोजन परोसते है ,पानी  पिलाते है। यह खाना भी बेहद स्वादिष्ट और घर जैसा ही होता है। संस्था के प्रमुख सदस्य अशोक अरोड़ा कहतें है ”  सभी को खाना खिलने की बाद हम  खुद भी यही खाना खाते है। खाने में मीठे के साथ हर रोज अलग-अलग वैराइटी का खाना होता है।  इस सेवा रसोई में साफ़ सफाई के साथ साथ कोरोना को देखते हुए सोशल डिस्टेंस का भी ख़ास ध्यान रखा जाता है। थाली लेने से पहले सभी के सैनिटाइज किया जाता है।

इस सेवा अभियान से जुड़े इलाके के प्रमुख समाज सेवी मदन खुराना कहतें है कि संस्था से करीब 100 लोग जुड़े है। ये सभी आपस में ही इसका खर्च वहां करते है। अब आगे योजना है की यह रसोई शाम को भी चले ताकि दिहाड़ी मजदूर स्वस्थ रह सकें और उन्हें खाने की चिंता न करनी पड़े।

 अशोक अरोड़ा कहते है की संस्था की  योजना है की इलाके में एक डिस्पेंसरी भी खोली जाये ताकि जरूरत मंदों को मामूली बिमारियों के लिए हॉस्पिटल के चक्कर न काटने पड़े और उन्हें सस्ता इलाज मिल सके। संस्था के लोग आपस में एक परिवार की तरह व्यवहार करते है। इनकी इस सेवा भवना को देखते हुए और भी लोग इनसे लगातार जुड़ रहे है। कोई इन्हे आर्थिक सहयोग देने देने की पेशकश कर रहा है तो कोई श्रमदान देकर आत्म संतुष्टि का अनुभव कर रहा है। कहने की जरूरत नहीं की कोरोना काल में यदि ऐसी संस्थाएं भोजन और राशन का प्रबंध नहीं करती तो शायद दिल्ली में ही फूडराइट हो सकते थी। लेकिन पुलिस और ऐसी संस्थाओं ने देश और दिल्ली की इस समस्या को अपने सर लिया और यह साबित किया समाज देश के हर सरोकार और समस्या के साथ खड़ा नजर आता है। 

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