Saturday, May 4, 2024
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शिक्षकों के हित के लिय सुल्तानपुरी में हुआ शिक्षक संघ का गठन

दिल्ली – दिल्ली के  सुल्तानपुरी इलाके के  ब्लाक P4 के प्राइमरी स्कूल में कुछ शिक्षकों ने  अपनी समस्याओं को लेकर नगर निगम शिक्षक संघ का गठन किया जिसमें एनसीडी शिक्षकों ने भाग लिया संगठन के  अध्यक्ष के रुप में कुलदीप सिंह खत्री को मनोनीत किया गया इस बैठक के  मुख्य अतिथि के रुप में  डॉक्टर  प्रदीप डागर  मौजूद रहे जो कि  शिक्षक न्याय मंच  दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष हैं खबर की पूरी जानकारी के लिये video link पर click करें 

Sultanpuri – निगम पार्षद ने इलाके में किया कूड़ेदान का वितरण, लोगों में खुशी का माहौल

दिल्ली – नई दिल्ली के सुल्तानपुरी माजरा विधानसभा वार्ड नंबर 48 से आम आदमी पार्टी की निगम पार्षद बेबी जय राम ने स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए एमसीडी से प्राप्त 8000 हजार कूड़ेदानों का वितरण सुल्तानपुरी इलाके में किया .

बदलता भारतीय परिवेश

देश – भारत में अनेक प्रांत है। जिनकी अपनी भिन्न-भिन्न बोलियाँ, भाषायें, वेषभूषा, खान-पान और रहन-सहन है। साथ ही भारत में भिन्न-भिन्न जाति, पंथ, समुदाय व धर्म के लोग रहते है। विश्व का सबसे विशाल लोकतंत्र इन्हें एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य करता है। परंतु धीरे-धीरे भारतीय संस्क्रति व परंपराओं का अस्तित्व खतरे में प्रतीत होता है। संस्क्रति किसी भी देश या व्यक्ति के जीवन जीने का आधार होती है। परंतु अब इसी संस्क्रति का अस्तिव खतरे में है। क्योंकि निजीकरण के पश्चात धीरे-धीरे विदेशियों ने भारतीय बाजारों पर प्रभुत्व स्थापित करना प्रारंभ कर दिया। जिसने व्यापार करने के माध्यम से अपनी विचारधारा व संस्क्रति का प्रसार-प्रचार करना शुरू किया और कही न कही वे लोग इसमें सफल होते दिखाई दे रहा है।  कैसे :-

सांस्क्रतिक साम्राज्यवाद के रूप

सिनेमा और कला

अगर हम 1990 से पूर्व का सिनेमा देखे तो स्पष्ट होता है कि उस समय का सिनेमा आज के सिनेमा से भिन्न है क्योंकि वर्तमान सिनेमा के विषय, वातावरण, वेशभूषा इत्यादि। इसके साथ-साथ भारतीय गीत-सगींत भी पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित हुआ है। वर्तमान भारतीय गीत-संगीत में अंग्रेजी शब्द, पाप म्यूजिक इत्यादि पश्चिमी सभ्यता की ही देन है। भरत नाट्यम जैसे न्रत्यों का अस्तिव खतरे में है। जो कि भारतीय संस्क्रति का परिचायक है। जहाँ एक ओर सिनेमा में भारतीय ग्रामों की परंपरा, समाज की समस्याओं का चित्रण, स्वतंत्रता संग्राम इत्यादि को प्रदर्शित किया जाता था। परंतु अब भारतीय सिनेमा में बडे-बडे बंगले व आलिशान घर, महँगी गाडियाँ इत्यादि प्रदर्शित की जाने लगी। इसके साथ ही भारतीय सिनेमा में पश्चिमी कलाकार दिखाई देने लगे है।

खान-पान और रहन-सहन

पश्चिमी सभ्यता ने भारतीय समाज के खान-पान व रहन-सहन को भी प्रभावित किया है। आज समाज में लोगों को साधारण भोजन से अधिक पीजा, बर्गर व चाऊमीन स्वादिष्ट लगती है और बडे-बडे होटलों में खाना पसंद करते है।  इतना ही नहीं, ऐसा करने पर स्वयं को गौरन्वित महसूस करते है। यह ऐसा समय है कि प्रत्येक व्यक्ति बडे माल/शारूम और बडे ब्राण्ड की वस्तु खरीदना पसंद करता है।

मीडिया और हिन्दी भाषा

वर्तमानित हिन्दी भाषा पर भी अंग्रेजी का प्रभाव देखने को मिलता है। अब व्यवहारिक भाषा न  तो पूर्णत: हिन्दी रह गई है, न तो इंग्लिश रह गई। इसी प्रकार रोजमर्रा के जीवन में व्यवहारिक भाषा हिन्दी में अंग्रेजी भाषा के शब्दों का बखूबी से इस्तेमाल करते है। इतना ही नहीं भारतीय मीडिया में भी हिन्दी भाषा पर अंग्रेजी भाषा का प्रभाव देखने को मिलता है। प्रिंट मीडिया में हम हिन्दी का सबसे लोकप्रिय समाचार-पत्र नवभारत टाइम्स की भाषा को उदाहरण के रूप में देख सकते है। जिसमें अंग्रजी भाषा के शब्दों का बखूबी से प्रयोग किये जाते है।

मूल्याकंन

स्पष्ट है कि किस प्रकार से हम भारतीय संस्क्रति को छोडकर पश्चिमी सभ्यता की अग्रेसर हो रहे है और पश्चिमी सभ्यता को विस्तार व प्रचार-प्रसार करने का कार्य में भारतीय समाज ही दोषी प्रतीत होता है। साथ ही भारतीय मीडिया विज्ञापन के माध्यम से समाज की मानसिकता परिवर्तित करने और पश्चिमी सभ्यता या संस्क्रति को व्यापकता देने में अपनी अहम भूमिका निभाई है। अत: किस प्रकार भारत पूर्व में पश्चिमी साम्राज्य के अधीन था और आज भी कहीं न कहीं हम पश्चिमी साम्राज्य के अधीन है। यह भविष्य में भारतीय समाज के अस्तित्व के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।

 

 

 

आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा “अरविद केजरीवाल आदतन झूठा आदमी है”

राजनीति – आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कोर्ट में पार्टी के सबसे बड़े नेता व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को “आदतन झूटा आदमी” कहा।केजरीवाल द्वारा वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ दिए गए डीडीसीए मामले के आरोप उन पर ही भारी पड़ गए हैं आम आदमी पार्टी के नेता  कुमार विश्वास ने अपने शब्दों में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के लिए कहा

या तो उन्होंने तब झूठ बोला था या अब झूठ बोल रहे हैं अब मैं कागजात मांग रहा हूं तो नहीं दे रहे हैं ये आदतन झूठा आदमी है जिसकी वजह से यह परिस्थितियां हैं।

कैसे शुरू हुआ मामला?

यह मामला तब शुरू हुआ जब वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ङीङीसीए में अनियमितता का आरोप लगाया था। इसी मामले के चलते वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिसंबर 2015 में केजरीवाल समेत पांच आप नेताओं पर 10 करोड रुपए की मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस मामले में कुमार विश्वास को छोड़कर बाकी सभी नेताओं ने पिछले दिनों जेटली से माफी मांग ली थी व उनके खिलाफ जेटली ने केस भी वापस ले लिया था।

लेकिन 26 अप्रैल को कोर्ट ने इस मामले में कुमार विश्वास को अपना पक्ष रखने के लिए गुरुवार को बुलाया, जब कुमार विश्वास कोर्ट पहुंचे तो उन्होंने उच्च न्यायालय को बताया कि उन्होंने जेटली के खिलाफ यह बयान केजरीवाल के कहने पर दिया था। विश्वास ने यह भी बताया कि उन्होंने जब केजरीवाल से इस मामले पर पहले बात की थी तो केजरीवाल ने कहा था कि सबूत मौजूद हैं परंतु अब ना तो केजरीवाल मिल रहे हैं ना कोई दस्तावेज भिजवा रहे हैं। कुमार विश्वास ने बताया कि उनके पास इस मामले को लेकर कोई दस्तावेज मौजूद नहीं है और केजरीवाल भी उनका साथ छोड़ कर भाग गए हैं।

अंत में जस्टिस आर एस एंङलों  के सामने केर्ट में इस मामले पर कुमार विश्वास ने वित्त मंत्री अरुण जेटली से माफी मांग ली। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई 28 मई को करने का फैसला किया है।

 

अब भी चल रही है एक का छोटा सिक्का बंद होने की अफवाह

दिल्ली – राजधानी में चल रही एक का छोटा सिक्का बंद होने की अफवाह अब भी कायम है। पहले 25 पैसे का सिक्का फिर 50 पैसे का सिक्का और अब 1 रूपय का छोटा सिक्का बंद होने की अफवाह फैलती जा रही है। बाजार में इस समय 1 रूपय के दो तरह के सिक्के मौजूद हैं परंतु उनमें से 1 रूपय का छोटा सिक्का बंद होने की अफवाह जंगल की आग की तरह फैलती जा रही है। हालांकि यह सिक्का बंद होने की कोई भी आधिकारिक सूचना अभी तक सरकार द्वारा नहीं दी गई है फिर भी छोटे-मोटे दुकानदार इन्हें लेने से इनकार कर रहे हैं। वही पेट्रोल पंप, सब्जी वाला, मेङिकल स्टोर आदि जगहों पर भी यह सिक्का नहीं लिया जा रहा है। दुकानदारों की मानें तो उनका कहना है कि उनके पास इन सिक्कों का ढेर लग गया है और ग्राहक उनसे यह सिक्का नहीं ले रहे हैं इसके परिणाम स्वरूप वह भी लोगों से सिक्के स्वीकार नहीं कर रहे हैं। इस वजह से दोनो के बीच कहा सुनी हो जाती है और कभी कभी नौबत मार पीट तक पहुँच जाती है।

 कैसे आई परेशानी?

जब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 8 नवम्बर 2016 को नोट बंदी की सूचना जारी की गई थी तब 1 रूपय 2 रूपय के सिक्को का चलन चल गया था। अतः लोगों ने अपने घरों से सिक्के निकालकर खरीददारी की थी। सरकार ने भी मंदिरो से सिक्के निकलवाए थे। इसलिए बहुत अधिक मात्रा में यह सिक्के बाजार में आ गए थे। यही सिक्के अब मुसीबत का कारण बन गए हैं। जानकारों का कहना है इस तरह की अफवाह पहले भी देखी गई है। यह काम अकसर थोक विक्रेताओं का होता है। सिक्का बंद होने की अफवाह से आम जनता बेहद परेशान है। यह अफवाह कई दिनों से निरंतर बनी हुई है।

 प्रशासन का हस्तक्षेप

केंद्र सरकार व आरबाआई का कहना है कि उनके द्वारा इस प्रकार का कोई भी नोटिस जारी नहीं किया गया है। यदि कोई दुकानदार सिक्के लेने से मना करता है तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है जिसपर उचित कार्यवाही भी की जाएगी। अतः बैंको को निर्देश दे दिया गया है, यह सिक्के कोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक शाखा में जमा करवा सकता है।