दिल्ली- उत्तर रेलवे कर्मचरी यूनियन ने “रक्त से रण” का आह्वान किया है।जिसके तहत 18 जुलाई को बड़ी संख्या में रेलवे कर्मचारी बड़ोदा हाउस महा प्रबंधक कार्यालय पर खून से मटके भरकर सरकार को चेतावनी देंगे की वह उनकी 20 सूत्रीय मांगो पर गौर करे वरना यह आंदोलन देशभर में चलेगा। इस आदोलन की तैयारी कर रहे युनियन के नेताओं से दिल्ली दर्पण टीवी ने बात कर उनकी तैयारियों और तेवरों का जायजा लिया ।दिल्ली में उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन के इस आह्वान ने रेल मंत्रालय से लेकर मंत्री तक की नींद उड़ा दी है ।बीजेपी से जुड़े भारतीय मजदूर संघ की इकाई ने रेलवे मंत्रालय से लेकर बोर्ड तक पर आरोप लगाया है की रेलवे में भ्र्ष्टाचार और रेलवे कर्मचारियों का शोषण चरम पर है।इसके खिलाफ उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन ने कई पत्र लिखे।डीएमआर ऑफिस में प्रदर्शन भी किया और अब ऐलान किया है की वह 18 जुलाई को नयी दिल्ली बड़ोदा हाउस स्थित महाप्रबंधक कार्यालय पर 24 सूत्रीय मांगो के साथ रेलवे कर्मचारियों के खून से मटके भरके फोड़ेंगी ।दिल्ली दर्पण टीवी के माध्यम से रेलवे कर्मचारियों को आह्वान किया है तो सरकार को चेतवानी भी दी है।उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन के इस आंदोलन का भारतीय मजदूर संघ के राज्य कर्मचारी यूनियन के प्रदेश प्रभारी बीएस भाटी ने भी इस आंदोलन को वक्त की जरूरत बताते हुए सभी कर्मचरियों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में आने का आह्वान किया है ।उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन ने एनपीएस तो तुरंत प्रभाव से समाप्त कर पुराणी पेंशन योजन के एक सामान रूप से लागू किया जाने सहित कुल 24 मांगे सामने रखी है ।इस आंदोलन के संयोजक इंद्रजीत सिंह का दावा है यह आंदोलन तो केवल बानगी भर है ।अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो देशभर में हज़ारों रेलवे अपनी मांगों और हकों को लेकर सडकों पर होंगी ।इस आंदोलन को भारतीय रेलवे मजदूर संघ के महमंत्री अशोक कुमार शुक्ला , ब्रजेश कुमार , देवराज भड़ाना , अनीष मिश्रा सहित की नेता सम्बोधित कर रेलवे में कर्मचरियों के शोषण और भ्र्ष्टाचार की पोल खोलेंगे। जिस ताकत तो तेवर के साथ उत्तर रेलवे कर्मचारी यूनियन रेलवे यूनियन आंदोलन में लगी है उसने रेलवे मंत्रालय से लेकर तमाम बड़े अधिकारीयों की चिंता बढ़ा दी है। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा है की आखिर खून से भरे मटके फोड़ने के आह्वान को कैसे रोका जाये। इस आंदोलन ने अन्य यूनियंस को भी चौंका दिया है ।
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कर्मचारी यूनियन ने किया रक्त से रण का ऐलान , 18 जुलाई को भरेंगे खून के मटके
एक घर के 11 लोगों के शव लटके मिलने का राज ! मौत का मकान !
दिल्ली – बुराड़ी इलाके के एक घर में एक साथ 11 शव मिले तो दिल्ली दहल गयी ।घर की मुख्या और बुजुर्ग महिला को छोड़कर सभी शव घर की छत के ऊपर लगे जाल से लटके मिले थे ।उनके हाथ बंधे हुए थे आँख पर पट्टी थी ।पुलिस भी हैरान थी की भला ऐसा कैसे हो सकता है की घर के सभी सदस्य एक साथ लटक का आत्महत्या करे लें ।मरने वालों में 7 महिलाएं और 4 पुरुष है ।बुराड़ी मैं रोड के पास इस घर में भाटिया परिवार रहता है जिसमें एक बुजुर्ग महिला, दो बेटे , दो बेटियां और बेटों की पत्नियां और बच्चे है। स्थानीय लोगों का कहना यही की यह परिवार पिछले 22 सालों से बुराड़ी में रह रहा हैऔर बहुत ही नेक और मिलनसार है ।उनकी किसी से दुश्मनी हो यह कहना मुश्किल है । पुलिस भी लटके मिले शवों को देखकर हैरान है। स्थानीय लोग इसे आत्महत्या मानाने को तैयार नहीं है। जिस हालत में शव मिले है उसे देखकर लगता है की यदि यह आत्महत्या है तो बेहद सोचसमझकर और प्लान करके इस वारदात को अंजाम दिया गया है ।दिल्ली की यह एक बहुत बड़ी घटना थी , लिहाज़ा जैसे ही मीडिया के माध्यम से इसकी जानकार मिली तो स्थानीय विधायक , पार्षद , संसद सहित बड़ी संख्या में नेता भी पहुंचे ।सबके लिए यह घटना जितनी दुखद है उतनी ही हैरान करने वाली भी है ।बहरहाल इस मामले की जांच और भीड़ को काबू करने के लिए दिल्ली पुलिस के कई बड़े आला अधिकारीयों भी पहुंचे और भारी पुलिस बल तैनात किया गया ।यह परिवार राजस्थान का रहने वाला था।ह्त्या की वजह क्या है इस पर पुलिस जाँच के लिए भाटिया परिवार के रिश्तेदारों से पूछताछ कर रही है । मामला ह्त्या का है या आत्महत्या का सबसे चौकाने वाली और चर्चा का विषय यही है की आखिर ऐसी कौन से वजह है जिसके डालते बुराड़ी का यह घर कब्रिस्तान बन गया।
सामने आया नॉर्थ एमसीडी का कुत्ता कनेक्शन
दिल्ली – 27 जून को हुई उत्तरी दिल्ली नगर निगम के स्थाई समिती की बैठक में हंगामा भी हुआ और मुद्दे भी उठे। लेकिन इन सब के बीच कुछ दिलचस्प आँकड़े भी निकल कर सामने आये जो आपको हैरान कर देंगे। ये मुद्दा है उत्तरी दिल्ली नगर निगम के द्वारा आवारा पशुओं को पकड़ने पर खर्च किये जाने वाली राशी का। सड़कों पर चलते हुए या गलियों पार्कों में टहलते हुए आपको आवारा पशुओं का दीदार जरूर हो जाता होगा लेकिन निगम के मुताबिक साल 2017 -2018 में आवारा मवेशियों और बंदरों को पकड़े जाने की संख्या कम हुई है। जबकि आवारा कुत्तों को पकडे जाने की संख्या में पिछले साल के मुकाबले ढ़ाई गुणा बढ़ोतरी हुई है। उत्तरी निगम ने साल 2014 से लेकर साल 2018 के अप्रैल तक के उपलब्ध आंकड़े पेश किये जिससे ये पता चलता है की मवेशियों और बंदरों की संख्या में बेहद कमी आई है जबकि कुत्तों की संख्या में बढ़ोतरी हुई। साल 2017 -18 के आंकड़ों के मुताबिक़ तो नॉर्थ एमसीडी में अब तक 21035 आवारा कुत्ते पकड़े जा चुके हैं। लेकिन इन सब के बीच जो अहम् सवाल है वो है इस प्रक्रिया में होने वाले खर्चे का जो की साल 2015 -16 के मुताबिक 2017 -18 में छः गुणा तक बढ़ गया। तो क्या उत्तरी दिल्ली नगर निगम में आवारा कुत्तों के नाम पर बंदरबाँट का खेल चल रहा है ??