दिल्ली-यूँ तो अक्सर दिल्ली पुलिस पर लोग आरोप ही लगाते रहते हैं ।लेकिन कीर्ति नगर इलाके में पुलिस की अपराध नियंत्रण के लिए बेहतर पहल देखने को मिली हैं। पुलिस की कोशिश से मार्बल व्यापारियों ने अपने खर्चे पर 34 डिजिटल सीसीटीवी कैमरे लगवाए हैं । जिसका विधिवत उद्घाटन किया गया। इस मौके पर दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इसे नयी पहल बताया हैं। वहीं स्थानीय लोग भी काफी उत्साहित है। इस कैमरे के कारण एक मासूम बच्ची के अपहरण का मामला भी सुलझा। रिंग रोड पर लगे ये कैमरे बेहद खास हैं और पुलिस की माने तो इस डिजिटल और हाईटेक कैमरे से रिंग रोड से गुजरनेवाली किसी भी गाड़ी का नंबर आसानी से पढ़ा जा सकता हैं। साथ ही पुलिस के अलावा कुछ व्यापारियों के मोबॉइल पर भी गतिविधि देखी जा सकती है। इससे सड़क, बाजार और पार्कों में होने वाली गतिविधियों पर पुलिस की नजर रहेगी। अधिकारियों की मानें तो संभवत: कीर्ति नगर ऐसा इलाका होगा जो पूरी तरह से कैमरों की निगरानी में रहेंगा । पुलिस अधिकारियों ने लोगों से अपील की और कहा की समाज से अपराध कम करने या रोकने में उनकी भूमिका अहम है। इसलिए साथ मिलकर काम करें और ज्यादा से ज्यादा आपने घरो और ऑफिस के आस – पास CCTV लगवाये ताकि इन कैमरों की मदद से जल्द से जल्द अपराधियों तक पोहचा सके और अपराध पर नियंतर पा सके।
जानिए कैसी है Welcome to New York
मनोरंजन- फिल्म की कहानी न्यू यॉर्क में आयोजित हो रहे आइफा फेस्टिवल से जुड़ी है। इस फेस्टिवल का आयोजन कराने वाली कंपनी के मालिक गैरी (बोमन ईरानी) अपनी सहायक सोफी (लारा दत्ता) के साथ इस फेस्टिवल की तैयारियों में लगे हैं। गैरी लंबे अर्से से अपनी असिस्टेंट सोफी को कम्पनी में पार्टनर बनाने का झांसा देते आ रहे हैं, लेकिन पार्टनर बना नहीं रहे हैं। लंबे अर्से से अपने बॉस की बातों का ऐतबार कर रही सोफी को लगने लगा है कि बॉस उसके साथ धोखा कर रहे हैं सो वह न्यू यॉर्क में होनेवाले अवॉर्ड फंक्शन को फ्लॉप और कंपनी के नाम को खराब करने की प्लानिंग करती है। अपनी इस प्लानिंग के मुताबिक, लारा फंक्शन में परफार्मेंस के लिए ऐसे टैलंट का सिलेक्शन करती है जो सबसे बुरे यानी फिसड्डी होते हैं। यानी इन्हें स्टेज पर परफॉर्मेंस करने की एबीसी तक नहीं आती। तेजी (दिलजीत दोसांझ) एक रिकवरी एजेंट है, वहीं जीनत पटेल यानी सोनाक्षी सिन्हा एक फैशन डिजाइनर। वैसे, जीनत का सपना बॉलिवुड में अपनी पहचान बनाने का है, लेकिन ऐक्टिंग में जीनत जीरो ही है। वहीं इस फंक्शन की एंकरिंग करने वाले करण जौहर को उनका कट्टर विरोधी अर्जुन (जुड़वां रोल में करण) किडनैप करने की प्लानिंग बनाए बैठा है। अब देखना यह है ऐसे हालात में यह फंक्शन कैसे हो पाता है। फिल्म में स्टार्स का मेला लगा हुआ है। दिलजीत ने अपने किरदार में अच्छी ऐक्टिंग की है। आम तौर पर खामोश नजर आनेवाले दिलजीत अपने किरदार में खूब जमे हैं। वहीं जीनत पटेल के रोल में सोनाक्षी सिन्हा बस ठीक-ठाक रहीं तो करण जौहर और रितेश देशमुख जब भी स्क्रीन पर नजर आए हॉल में हंसी के ठहाके गूंजे। यंग डायरेक्टर चाकरी तोलेटी ने कहानी को ट्रैक पर रखने की अच्छी कोशिश की है। फिल्म में ज्यादातर वही स्टार्स है जो कभी न कभी आइफा फंक्शन में परफॉर्म कर चुके हैं।
अगर आप दिलजीत दोसांझ के फैन हैं तो अपने चहेते स्टार, सिंगर को अलग अंदाज में देखने के लिए यह फिल्म देखें। स्क्रीन पर बॉलिवुड के कई नामचीन स्टार्स को एकसाथ देखने का मौका भी आपको इस फिल्म में मिलेगा। फिल्म का जॉनर कॉमिडी है, लेकिन हंसने का मौका कम ही मिल पाता है। फिल्म के संगीत में इतना दमखम नहीं जो म्यूजिक लवर्स को अपनी धुनों पर थिरकाने का काम कर सके। अब देखना ये होगा की दर्शको के दिल को ये फिल्म कितना छूती है।
दोस्ती और लड़की में हमेशा जीत जाती है लड़की, ऐसा क्यों ? जानिए…
मनोरंजन- लव रंजन ने प्यार का पंचनामा फिल्म जब बनाई तो एक अलग ही मैसेज फैल गया था।लोग फिल्म की तारीफ के पुल बांधे जा रहे थे। उसके बाद लव ने आकाश वाणी फिल्म बनाई जिसे दर्शकों ने नकार दिया और फिर प्यार का पंचनामा 2 आई दर्शकों ने सराहा। अब कार्तिक आर्यन, नुशरत भरुचा और सनी सिंह के साथ लव ने यह नई फिल्म बनाई है। क्या फिर से बड़े-बड़े मोनोलॉग सुनने और देखने को मिलेंगे, क्या एक बार फिर से लड़के और लड़की के बीच होने वाले घमासान को देखने में मजा आएगा? इसी की कहानी है सोनू के टीटू की स्वीटी।
सोनू के रूप में कार्तिक आर्यन और टीटू की भूमिका में सनी सिंह का ब्रोमांस और केमिस्ट्री फिल्म का मजबूत पहलू है। कार्तिक आर्यन ने अपने किरदार को हर तरह से दमदार बनाया है। नुसरत ने स्वीटी के रूप में कार्तिक को अच्छी टक्कर दी है। उन दोनों की टशनबाजी के दृश्य अच्छे बन पड़े हैं। नुसरत खूबसूरत लगने के साथ-साथ अभिनय के मामले में भी आगे रही हैं। भोले-भाले टीटू के रोल में सनी सिंह ने अपनी भूमिका सहजता से निभाई है। एक अरसे बाद दादा के रूप में आलोकनाथ अपने पुराने कॉमिक अंदाज में नजर आए हैं। वीरेंद्र सक्सेना, दीपिका अमीन और सोनू कौर जैसे कलाकरों को अच्छा-खासा स्क्रीन स्पेस मिला है, जिसका उन्होंने जमकर फायदा उठाया है। कई संगीतकारों की मौजूदगी में ‘दिल चोरी’, ‘स्वीटी स्लोली’, ‘लक मेरा हिट’, ‘तेरा यार हूं मैं’ जैसे गाने अच्छे बन पड़े हैं। उनकी कोरियॉग्रफी भी देखने लायक है।
फिल्म का बजट लगभग 24 करोड़ बताया जा रहा है जिसमें प्रोडक्शन कॉस्ट 14 करोड़ और 10 करोड़ का प्रोमोशनल कॉस्ट है. फिल्म पहले से ही एमेज़ॉन प्राइम को डिजिटल राइट्स के तौर पर बेची जा चुकी है. देखना बेहद खास होगा की वीकेंड की कमाई कितनी होती है।
BJP की मेयर प्रीति अग्रवाल ने दिल्ली को किया गंदा
दिल्ली – नार्थ दिल्ली नगर निगम की मेयर प्रीति अग्रवाल पर भ्र्ष्टाचार के आरोप लगे तो आम आदमी पार्टी पार्टी के नाम से दिल्ली शहर में ये पोस्टर नजर आ गए –इसके जबाब में बीजेपी और मेयर के समर्थन में भी पोस्टरों की बाढ़ सी आ गई। “प्रीती अग्रवाल संघर्ष करो हम आपके साथ ” ये पोस्टर नार्थ दिल्ली के मेट्रो पिलर से लेकर बस सेंटड और सार्वजानिक और निजी स्थानों पर खूब नजर आ रहे है।बात मेयर साहिबा की छवि की थी। लिहाज़ा अलग अलग लोगों ने अलग अलग पोस्टर लगाए और इलाके की दीवारों को पोस्टरों से पाट दिया ऐसे में सवाल उठने तो लाज़मी है।अपने झूठ पर जबाब के बाद भ्र्ष्टाचार के आरोपों की चर्चा हुयी तो मेयर को अपनी छवि की चिंता होनी ही थी।लेकिन अपनी छवि की चिंता करने की कोशिश में मेयर साहिबा ये भूल गयी की वो शहर को गंदा कर रही हैं।अक्सर वो सबको स्वछता का संकल्प दिलवाती है लेकिन खुद ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान का मखौल उड़ा रही हैं।ऐसे में ” आप ” की मेयर पर हमलावर होने का पूरा मौक़ा मिल रहा है।दिल्ली नगर निगम स्टेंडिंग कमिटी के सदस्य विकास गोयल प्रीति अग्रवाल को अब तक की सबसे भ्र्ष्ट मेयर बताते हुए कहा की ये पोस्टर बिल्डर लॉबी ही लगवा रही है। इन पोस्टरों पर मेयर साहिबा कैमरे पर तो बोलने से इंकार कर रही है। लेकिन इससे भी इंकार कर रही है की ये पोस्टर उनकी ओर से लगवाए गए है।हालांकि इनके इलाके से ही कुछ बिल्डर लॉबी ये मान रही है की ये पोस्टर उन्होंने ही लगवाए है और मेयर पर उन्हें पूरा भरोसा है। आप ” और बीजेपी के इस पोस्टर वॉर में दिल्ली डिफामेशन एक्टका उल्ल्घन हो रहा है। इस पर कड़ी सजा का प्रावधान है , लेकिन इन पोस्टरों को लगवाने में ऊपरी समझदारी से काम लिया गया है। इन पोस्टरों से कहीं भी ये साबित नहीं होता की ये किसने छपवाए है और किस प्रिंटर ने छापे है।जाहिर है प्रशासन इस पर करवाई करना भी चाहे तो वो लाचार ही नजर आएगा।