Thursday, October 3, 2024
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वो 11 मुद्दे जिन्होंने मोदी के पक्ष में पलट दिया गुजरात का गेम

राजनीति-  बीजेपी ने साल भर में दूसरी बड़ी सियासी लड़ाई जीत ली है. 2017 की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के चुनाव हुए थे. वहां बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की थी, इसके बाद गुजरात में हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी फिर से सत्ता पा चुकी है. लगातार छठीं बार गुजरात में बीजेपी सत्ता पर काबिज हुई है. हालांकि, कांग्रेस ने भी धमाकेदार प्रदर्शन किया है. यही कारण है कि बीजेपी की ये सरकार सीटों के हिसाब से सबसे कम होगी. आइए उन 11 मुद्दों पर नजर डालें, जो बीजेपी की जीत में अहम कारण बनें.

  1. धुआंधार प्रचार

2014 चुनाव में नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव जीता था. इसके बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि बीजेपी ने किसी राज्य के लिए इतनी मेहनत की है. आंकड़ों पर नजर डालें तो बीजेपी और मोदी ने गुजरात के लिए इतने बड़े पैमाने पर प्रचार किया. गुजरात की 182 सीटों को मोदी ने छूने की कोशिश की. मोदी ने गुजरात में 34 रैलियां कीं. यूपी में भी मोदी ने सिर्फ 24 रैलियां की थीं.

  1. मोदी मैजिक

गुजरात चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर साबित कर दिया कि देश में मोदी की लहर कम नहीं हुई है. मोदी ने एक बार फिर अपने दम पर चुनाव प्रचार किया. पूरा चुनाव बीजेपी ने मोदी के चेहरे को सामने रखकर लड़ा. जीएसटी-नोटबंदी जैसे कड़े फैसले, गुजरात के कारोबारियों की नाराजगी के बावजूद मोदी के नाम पर लोगों ने वोट किया.

  1. गुजरात अस्मिता का दांव

कांग्रेस के तगड़े प्रचार, पटेल आंदोलन और लोगों की नाराजगी दूर करने के लिए मोदी ने गुजरात अस्मिता का दांव चला. उन्होंने अपनी रैलियों में लगातार गुजरात की इज्जत की बात उठाई. इससे कहीं न कहीं स्थानीय वोटर एक बार फिर बीजेपी की ओर झुका.

  1. ओबीसी को न छोड़ना बीजेपी के लिए फायदेमंद

गुजरात में पाटीदार आंदोलन के बीच बीजेपी ने पिछले दो साल में हड़बड़ी नहीं दिखाई. दो साल पहले गुजरात में बड़े पैमाने पर आंदोलन, हिंसा के बाद भी बीजेपी ने सीधे पाटीदारों की बात नहीं मानी. आनंदीबेन पटेल ने भी सीएम का पद छोड़ा पर आंदोलन के कई महीने बाद. कहा जाता है कि इसके पीछे का बड़ा गणित था. बीजेपी पाटीदारों के साथ खड़ा होकर ओबीसी को नाराज नहीं करना चाहती थी.

  1. राम मंदिर का जिक्र

गुजरात चुनाव में बीजेपी फिर से हिंदुत्व और राम मंदिर के मुद्दे की ओर लौटती. यूपी चुनाव के बाद बीजेपी नेताओं ने लगातार राम मंदिर का मुद्दा उठाया. इससे कभी हिंदुत्व की प्रयोगशाला रहे गुजरात में फायदा ही मिला. इसी बीच दिसंबर के शुरुआती में सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की फिर से सुनवाई शुरू हुई, वहां कांग्रेस नेता और इस मामले में एक पक्ष के वकील कपिल सिब्बल ने बयान दिया था- राम मंदिर मामले को 2019 तक टाल देना चाहिए. बीजेपी इसका फायदा उठाना चाह रही है. इसे मोदी ने अपने रैलियों में उठाया. कहा- कांग्रेस नेता नहीं चाहते कि राम मंदिर बने.

  

  1. चेहरा विहीन कांग्रेस

कांग्रेस की ओर से पहली बार 22 साल में राहुल गांधी ने इतना बड़ा प्रचार किया. पार्टी कार्याकर्ताओं के बीच उम्मीद भी दिखाई. पर गुजरात में कांग्रेस के पास कोई चेहरा नहीं है जिसे स्थानीय लोग याद रख सकें. स्थानीय स्तर के कांग्रेस नेताओं से ज्यादा चर्चित हार्दिक पटेल का चेहरा था जो कि चुनाव नहीं लड़ रहे थे. लोगों को राहुल गांधी पर भरोसा भले ही हुआ पर उन्होंने सीएम के तौर पर कोई चेहरा नहीं दिखा जिसे आगे रखकर वे मतदान करें.

  1. गुजराती बनाम हिंदी

इस चुनाव में गुजराती बनाम हिंदी भी एक बड़ा फैक्टर रहा. 2014 के बाद देश-विदेश में लगातार ज्यादातर मौकों पर हिंदी में भाषण देने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने गुजरात में गुजराती को चुना. वे लगातार अपनी रैलियां गुजराती में करते रहे. न सिर्फ उन्होंने गुजराती में स्पीच दी बल्कि कच्छ, भरूच जैसे इलाकों में स्थानीय बोलियों में लोगों से संपर्क किया. इसका कहीं न कहीं फायदा मिला. वहीं, राहुल गांधी गुजराती नहीं जानते थे, इसके कारण वे लगातार हिंदी में ही लोगों से जुड़ने की कोशिश करते रहे.

  1. पटेल वोट में सेंध

हार्दिक पटेल ने आरक्षण के लिए पाटीदार आंदोलन खड़ा किया. बड़े पैमाने पर युवा उनके साथ आए. पटेल समुदाय पूरी तरह से बीजेपी के खिलाफ खड़ा हो गया. पर चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने कई मौकों पर पटेल आंदोलन के साथ-साथ हार्दिक को कमजोर किया. हार्दिक के कई करीबियों जैसे रेशमा पटेल को बीजेपी ने अपनी पार्टी में शामिल करा लिया. इससे पटेल वोट्स में सेंध पड़ी. बीजेपी ने 182 में से 52 पाटीदारी चेहरों को टिकट दिया.

  1. इमोशनल कॉर्ड- गुजरात का बेटा

बीजेपी ने गुजरात में जमकर इमोशनल कार्ड खेला. करीब 13 साल तक सीएम पद की कुर्सी संभालने वाले मोदी ने खुद को लोगों से जोड़ने की बड़ी कोशिश की. उन्होंने खुद को गुजरात का बेटा कह कर प्रोजेक्ट किया. कहीं न कहीं उन्होंने लोगों को सीएम रहते हुए अपने लगाव को याद कराया. यह संदेश देने कि कोशिश की आपका बेटा दिल्ली में पीएम है, और आपको गुजरात में भी उसका साथ देना चाहिए.

  1. अमित शाह की तैयारी- मैनेजमेंट

बीजेपी के प्रचार और मोदी के चेहरे के बाद सबसे बड़ा कारण अमित शाह का मैनेजमेंट समझ में आ रहा है. कांग्रेस के प्रचार, सत्ता विरोधी लहर, वोट प्रतिशत में गिरावट के बाद भी अगर बीजेपी को मैजिक आंकड़े से ज्यादा सीटें मिल रहीं हैं तो इसके पीछे शाह का बूथ मैनेजमेंट पूरी तरह से कारगर रहा है.

  1. कांग्रेस के पास संगठन का अभाव

गुजरात में जो बीजेपी की ताकत थी वही कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी. बीजेपी के पास पार्टी के अलावा आरएसएस जैसे संगठनों के कार्यकर्ता थे, जो बूथ लेवल तक सक्रिय रहने के लिए जाने जाते हैं, वहीं कांग्रेस के पास सिर्फ प्रचार ही दिखा. राहुल गांधी के प्रचार को पार्टी के कार्यकर्ता सीट और बूथ लेवल पर ले जाने में कहीं न कहीं असफल रहे. इसके पीछे 22 साल में वहां विपक्ष का न होना भी एक कारण है.

नतीजों के बाद संसद पहुंचते ही पीएम मोदी ने दिखाए विक्ट्री साइन


राजनीति – गुजरात और हिमाचल प्रदेश के ताजा रुझानों में बीजेपी सरकार बनाती हुई नजर आ रही है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद पहुंचते ही मीडिया को विक्ट्री साइन दिखाया. यहां वे शीतकालीन सत्र में शामिल होने पहुंचे थे. बता दें कि बीजेपी की यह लगातार राज्यों में चौथी जीत होगी. इसके पहले बीजेपी उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर में सरकार बना चुकी है. यही नहीं, हाल ही में हुए उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों में भी बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया था. गुजरात को हाथ से फिसलते देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में जमकर प्रचार किया था. आकड़ों के मुताबिक, उन्होंने गुजरात में 30 से ज्यादा रैलियां की थीं. वहीं, कांग्रेस की बात की जाए तो राहुल गांधी भी यहां दिन-रात प्रचार में जुटे रहे. मालूम हो कि इस जीत के बाद बीजेपी की 19 राज्यों में सरकार हो जायेगी. वहीं, कांग्रेस की बात की जाए तो उनकी सरकार केवल चार राज्य कर्नाटक, पंजाब, मिजोरम और मेघायल में होगी.

डेंटिस्ट को मिला खत, खत के साथ आये दो जिंदा कारतूस

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दिल्ली— टेक्नॉलोजी के इस ज़माने में भी बदमाश कितने शातिर हो गये है इसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है की दिल्ली के सीलमपुर इलाके में बदमाशों ने एक निजी दांतों के अस्पताल चलाने वाले मोहम्मद अकरम अंसारी को अलग अंदाज़ में बदमाशो ने जान से मरने की धमकी दी है.. इन शातिर बदमाशों ने एक ख़त और दो जिंदा कारतूस भेजकर डेंटिस्ट और उसके परिवार को जान से मरने की धमकी दी है….इस धमकी के बाद से डाक्टर का पूरा परिवार डरा हुआ है और डाक्टर की फैमिली घर से बहार निकलने से भी डर रही है हालाकि पुलिस ने मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है… इस धमकी भरे ख़त से अंदाज़ा लगाया जा सकता है की राजधानी दिल्ली में बदमाश कितने बेखोफ़ है की किसी को बाय हेंड उसके घर पर ही धमकी भरा ख़त देकर आ सकते है…डेंटिस्ट मोहम्मद ने बताया की वो अपने घर के निचे ही अपना अस्पताल चलाते है वहीं एक व्यक्ति आया और उनके स्टाफ के क व्यक्ति के हाथ में खत दे गया लेकिन जब उन्होनें इस खत को पढ़ा तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई...फ़िलहाल पुलिस इस मामले के गहनता से जाँच कर रही है और आस पास के cctvखगाल रही है जिससे ये पता लगाया जा सके जो धमकी भरा ख़त देकर गया था आखिर वो कोन था और इस धमकी के पीछे उसका क्या मकसद था ।

फरीदाबाद में सरकार के खिलाफ हुए किसान!

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फरीदाबाद—-दिखाई दे रहाये नजारा बल्लबगढ़ के राजा नाहर सिंह महल का है, जहां जिले के किसान सरकार के खिलाफ अपनी अगली रणनीति के बारे में चर्चा कर रहे है| दरअसल वर्ष 2008 में कांग्रेस सरकार में बल्लबगढ़ में आईएमटी विकसित करने के लिए पांच गांवों की जमीन का अधिग्रण हुआ था, जिसमें सरकार ने किसानों से उन्हें जमीनों का मुआवजा देने के अलावा एक परिवार को नौकरी तथा एक किसान को रिहाइशी प्लाट देने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने मुआवजा तो दिया, पर नौकरी नहीं | बाद में किसानों ने मुआवजा बढ़ाने की मांग की तो सरकार ने बढ़ा हुआ मुआवजा देने का वायदा तो कर लिया, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी मुआवजा नहीं दिया| किसान संघर्ष समिति के किसानों की मानें तो इस तरह की मांगों को लेकर वो अनिश्चितकालीन धरने पर जाएंगे हैं|

हरिद्वार के सांसदरमेश पोखरियाल निशंक का हरिद्वार दौरा

हरिद्वार—हरिद्वार में पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ​धर्मनगरी ​हरिद्वार पहुंचे​,​ जहां उन्होंने एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मैं यहां का सांसद हूं और आने वाले समय में ​हरिद्वार से चुनाव लड़ूंगा मेरे संसद क्षेत्र की जो भी जिम्मेदारी है उसको अपनी जिम्मेदारी समझते हुए निभाऊंगा… साथ ही रमेश निशंक ने गन्ना किसानों की समस्या को प्राथमिकता देते हुए​ कहा की जब तक स्थानीय किसानों का भुगतान नहीं हो जाता तब तक शुगर मिल बाहरी किसानों से गन्ना नहीं खरीद सकती… वही नेशनल हाईवे पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सन 2018 तक नेशनल हाईवे 58 का जो भी कार्य है दिसंबर माह तक पूरा हो जाएगा ​,​जिससे कि​ धर्मनगरी ​ हरिद्वार में गंगा स्नान को लेकर ​आने वालो श्रद्धालुओं को ​यातायात समस्या भी नही होगी…