दिल्ली दर्पण ब्यूरो
नई दिल्ली: कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के शोध के अनुसार, आगामी विवाह सीज़न (1 नवंबर से 14 दिसंबर, 2025) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा मील का पत्थर साबित होने वाला है। इस अवधि में देश भर में लगभग 46 लाख शादियाँ होने का अनुमान है, जिससे रिकॉर्ड ₹6.50 लाख करोड़ का व्यापार उत्पन्न होने की संभावना है। CAIT के महासचिव श्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि प्रति विवाह खर्च में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो बढ़ती डिस्पोजेबल इनकम और उपभोक्ता आत्मविश्वास को दर्शाती है। विशेष रूप से दिल्ली में 4.8 लाख शादियों से अकेले ₹1.8 लाख करोड़ का कारोबार होने की उम्मीद है, जिससे राष्ट्रीय व्यापार में शहर का योगदान सबसे अधिक रहेगा।
इस वर्ष की शादियों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ विजन का स्पष्ट प्रभाव देखा जा रहा है। अध्ययन में पाया गया है कि विवाह संबंधी 70% से अधिक खरीदारी अब भारतीय-निर्मित उत्पादों की हो रही है, जिससे आयातित वस्तुओं की मांग कम हुई है। आभूषण (15%), परिधान और साड़ियाँ (10%), और कैटरिंग (10%) जैसे क्षेत्र व्यय में प्रमुख योगदानकर्ता हैं। स्वदेशी उत्पादों की बढ़ती मांग से पारंपरिक कारीगरों, छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) और स्थानीय निर्माताओं को जबरदस्त प्रोत्साहन मिल रहा है, जिससे भारत की सांस्कृतिक और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बल मिला है।
यह 45-दिवसीय विवाह सीज़न केवल व्यापार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह देश भर में 1 करोड़ से अधिक अस्थायी और पार्ट-टाइम नौकरियाँ भी पैदा करेगा। सजावट, खान-पान, परिवहन और आतिथ्य जैसे सेवा क्षेत्रों से जुड़े लोगों को सीधा लाभ मिलेगा। श्री खंडेलवाल के अनुसार, ‘एक भारत, समृद्ध भारत’ की भावना को दर्शाते हुए, यह विवाह सीजन न केवल संस्कृति का उत्सव है, बल्कि यह लगभग ₹75,000 करोड़ का सरकारी कर राजस्व (GST और अन्य) उत्पन्न करके देश की आर्थिक वृद्धि और उद्यमशीलता को भी मजबूती प्रदान करता है।
46 लाख शादियों से अर्थव्यवस्था को मिलेगी रिकॉर्ड तेज़ी, ₹6.5 लाख करोड़ का कारोबार अनुमानित: CAIT
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