दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया है जो मोबाइल ऐप के ज़रिए लोगों से लाखों रुपये की ठगी कर रहा था। इस गैंग में शामिल युवक दिखने में पढ़े-लिखे, सभ्य और सामान्य थे — लेकिन उनके दिमाग में चल रहा था धोखाधड़ी का पूरा सिस्टम। हैरानी की बात तो यह है कि इनमें से एक आरोपी B.Tech ग्रेजुएट है, जिसने अपनी टेक्निकल स्किल्स का इस्तेमाल लोगों की मदद करने में नहीं, बल्कि उन्हें लूटने में किया।
पूरा मामला तब सामने आया जब दिल्ली के एक कारोबारी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उसके खाते से अचानक ₹2.8 लाख गायब हो गए हैं। उसने बताया कि कुछ दिन पहले उसने एक मोबाइल ऐप डाउनलोड किया था, जो खुद को “इनवेस्टमेंट और अर्निंग प्लेटफॉर्म” बताता था। ऐप पर रोज़ाना लॉगिन करने पर बोनस, इनाम और “डबल मनी” जैसी स्कीमें दिखाई जा रही थीं। शुरुआत में छोटे निवेश पर कुछ पैसे वापिस भी मिले — जिससे भरोसा बढ़ा। लेकिन जैसे ही बड़ी रकम डाली, ऐप अचानक बंद हो गया।
पुलिस की साइबर सेल ने तकनीकी जांच शुरू की और कुछ ही दिनों में ठगों का पूरा नेटवर्क ट्रेस कर लिया। जांच में पता चला कि गैंग ने फर्जी वेबसाइट और ऐप बनाकर हज़ारों लोगों को झांसे में लिया था। B.Tech युवक ने ऐप का डिज़ाइन तैयार किया था, जबकि उसके साथियों का काम था सोशल मीडिया और व्हाट्सऐप पर “निवेश के ऑफर” भेजना। वो अक्सर विदेशी कंपनी के नाम पर झूठी स्कीमें चलाते थे, जिनमें 10 दिन में दोगुना रिटर्न देने का दावा किया जाता था।
पुलिस ने जब छापेमारी की, तो उनके ठिकाने से दर्जनों मोबाइल फोन, 40 से ज़्यादा सिम कार्ड, कई बैंक पासबुक और 12 फर्जी पैन कार्ड बरामद किए गए। जांच में यह भी सामने आया कि ठग गैंग अपने शिकारों से वर्चुअल नंबर पर बात करता था ताकि लोकेशन ट्रेस न हो सके। पैसे तुरंत क्रिप्टो वॉलेट में ट्रांसफर कर दिए जाते थे, जिससे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता था।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, “इन युवकों के पास दिमाग था, हुनर था, लेकिन दिशा गलत चुन ली। अगर यही स्किल सही जगह लगाते तो आज साइबर एक्सपर्ट कहलाते, ठग नहीं।” गिरफ्तार आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने पिछले छह महीनों में करीब ₹50 लाख की ठगी की है। पुलिस अब इस नेटवर्क के बाकी सदस्यों और फंड ट्रेल की जांच कर रही है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि डिजिटल दुनिया जितनी आसान लगती है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है। कोई भी ऑफर जो बहुत अच्छा लगता है, अक्सर सच नहीं होता। इसलिए किसी भी अज्ञात ऐप या वेबसाइट पर अपनी निजी जानकारी या बैंक डिटेल साझा करने से पहले दस बार सोचें। लोगों को पैसे कमाने की जल्दी होती है, और ठग इसी अधीरता का फायदा उठाते हैं। एक क्लिक में भरोसा टूट जाता है, और एक ऐप से पूरा बैंक खाता खाली हो जाता है।

