रायबरेली में एक दलित युवक की निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। मामला जैसे ही सामने आया, जगह-जगह आक्रोश फैल गया। राजधानी दिल्ली में भी इसका असर देखने को मिला, जहां छात्र संगठन NSUI (नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया) ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। संगठन के कार्यकर्ता न सिर्फ सड़कों पर उतरे, बल्कि सरकार और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इंसाफ की मांग की।
दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर से लेकर जंतर-मंतर तक, युवाओं का यह आक्रोश साफ दिखा। छात्रों का कहना है कि दलित समुदाय के खिलाफ हो रहे अत्याचार अब सहन नहीं किए जाएंगे। “हम सिर्फ एक हत्या का विरोध नहीं कर रहे, यह उस सोच के खिलाफ लड़ाई है जो आज भी जाति के नाम पर किसी की जान लेने को तैयार है,” — एक छात्र ने गुस्से में कहा।
रायबरेली का दर्दनाक मामला
रायबरेली के इस दर्दनाक मामले में एक दलित युवक की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। बताया जा रहा है कि युवक को गांव के ही कुछ लोगों ने जातिसूचक गालियां दीं और मामूली विवाद के बाद पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। परिवार वालों का कहना है कि पुलिस ने पहले तो इस मामले को दबाने की कोशिश की, लेकिन जब सोशल मीडिया पर यह खबर फैल गई तो प्रशासन हरकत में आया।
मुख्य आरोपी समेत 9 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि बाकी आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस ने हत्या, एससी/एसटी एक्ट और अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है।
दिल्ली में गूंजा इंसाफ का नारा
रायबरेली की इस घटना के विरोध में दिल्ली के विश्वविद्यालयों में छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। NSUI के सैकड़ों कार्यकर्ता तख्तियां और बैनर लेकर सड़कों पर उतरे।
“दलितों पर अत्याचार बंद करो”, “इंसाफ दो, वरना कुर्सी खाली करो” जैसे नारे गूंजते रहे। कई जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की, जिससे हल्का तनाव भी देखा गया।
NSUI के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, “यह सिर्फ रायबरेली का मामला नहीं है, यह पूरे देश के दलितों के सम्मान की बात है। जब तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलेगा और दोषियों को सजा नहीं होगी, तब तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”
राजनीति का भी गरम हुआ माहौल
इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वह दलितों की सुरक्षा को लेकर असंवेदनशील है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सोशल मीडिया पर सरकार की निंदा की और सख्त कार्रवाई की मांग की।
वहीं, प्रशासन का कहना है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। रायबरेली पुलिस अधीक्षक ने बयान दिया, “जांच तेजी से चल रही है। अब तक नौ लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और चार टीमों को बाकी आरोपियों की तलाश में लगाया गया है।”
समाज के लिए एक आईना
रायबरेली की यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि हमारे समाज के उस काले सच को सामने लाती है जो आज भी जातिवाद की दीवारों में कैद है। जब एक युवक को सिर्फ उसकी जाति की वजह से मार दिया जाता है, तो यह सवाल उठता है — आखिर हमने क्या बदला? क्या संविधान में लिखी समानता आज भी सिर्फ किताबों में रह गई है?
दिल्ली में हुए NSUI के विरोध प्रदर्शन ने इस सवाल को फिर से जिंदा कर दिया है। छात्र, शिक्षक, और आम नागरिक — सभी ने एक सुर में कहा कि अगर अब भी न्याय नहीं मिला, तो यह सिर्फ एक परिवार की हार नहीं होगी, बल्कि पूरे समाज की हार होगी।
निष्कर्ष
रायबरेली के इस दलित युवक की हत्या सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि देश की आत्मा पर लगा धब्बा है। दिल्ली की सड़कों पर उठी यह आवाजें बताती हैं कि युवा अब खामोश नहीं रहना चाहते। जब तक पीड़ित परिवार को इंसाफ नहीं मिलेगा, यह विरोध चलता रहेगा।

