Saturday, November 8, 2025
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दिल्ली पुलिस ने किया ढेर कौन था वो शातिर चोर ‘भीम जोरा’ जिसने डॉक्टर पॉल की जान ली थी?

दिल्ली की सड़कों पर बीती रात पुलिस और अपराधियों के बीच एक मुठभेड़ हुई। गोलियों की आवाज़ें कुछ सेकंड तक गूंजती रहीं — और जब सब शांत हुआ, तो ज़मीन पर गिरा पड़ा था एक नाम जो महीनों से पुलिस की नज़र में था — भीम जोरा।

यही वो शातिर अपराधी था जिसने कुछ महीने पहले भजनपुरा के मशहूर डॉक्टर योगेश चंद्र पॉल की बेरहमी से हत्या कर दी थी। डॉक्टर पॉल अपनी सादगी और सेवा भावना के लिए जाने जाते थे। उनकी मौत ने पूरे इलाके को हिला दिया था।

कौन था ‘भीम जोरा’?

भीम महाबहादुर जोरा — नेपाल के कैलाली जिले का रहने वाला — पिछले कुछ सालों में दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया था।
उस पर चोरी, डकैती, लूट और हत्या जैसे कई संगीन मामले दर्ज थे। कहा जाता है कि उसने दिल्ली से लेकर गुजरात और बेंगलुरु तक कई वारदातें की थीं।

पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि भीम बेहद चालाक था — हर वारदात के बाद अलग-अलग नाम और पहचान लेकर भाग जाता था।
उसकी पहचान इतनी बदल चुकी थी कि कई महीनों तक पुलिस को यकीन ही नहीं हुआ कि ये सारे अपराध एक ही व्यक्ति ने किए हैं।

डॉक्टर पॉल की हत्या – जिसने सबको झकझोर दिया

मई 2024 की वो रात भजनपुरा के लोगों के लिए कभी न भूलने वाली बन गई।
डॉ. योगेश चंद्र पॉल, जो रोज़ सैकड़ों मरीजों को इलाज देते थे, अपने क्लिनिक में अकेले थे जब भीम और उसके साथी वहाँ लूट के इरादे से घुसे।

झगड़ा बढ़ा, और उसी दौरान डॉक्टर पॉल पर हमला कर दिया गया। पुलिस के मुताबिक, भीम ने न सिर्फ लूट की, बल्कि डॉक्टर की जान भी ले ली।
सुबह जब लोग क्लिनिक पहुँचे, तो उन्हें डॉक्टर पॉल ज़मीन पर बेसुध मिले। उस पल ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया।

लोगों ने कहा — “वो डॉक्टर नहीं, हमारे अपने थे… हमेशा मदद करते थे।”
उनकी हत्या के बाद से ही जनता और पुलिस दोनों उस कातिल को पकड़ने के लिए बेताब थे।

मुठभेड़ की रात – जब सब खत्म हो गया

6 अक्टूबर की रात, पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि भीम जोरा दिल्ली के आस्था कुंज पार्क इलाके में छिपा हुआ है।
तुरंत टीम तैयार की गई — दिल्ली पुलिस, क्राइम ब्रांच और स्पेशल यूनिट ने चारों ओर से घेराबंदी की।

जैसे ही पुलिस ने उसे रुकने को कहा, भीम ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की, और कुछ ही पलों में सब कुछ खत्म हो गया।
जब गोलियां थमीं, तो भीम ज़मीन पर पड़ा था — घायल और बेहोश।
उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

एक पुलिस अधिकारी ने कहा —
“वो महीनों से फरार था, कई बार हमारे हाथ से निकल गया था। लेकिन इस बार भागने की जगह नहीं बची।”

लोगों की प्रतिक्रिया – ‘डॉक्टर को इंसाफ मिला’

भजनपुरा और जंगपुरा इलाके में जब ये खबर पहुँची कि डॉक्टर पॉल का कातिल मारा गया, तो लोगों ने राहत की सांस ली।
एक बुजुर्ग मरीज ने कहा, “भगवान ने इंसाफ दिला दिया। डॉक्टर साहब की आत्मा को अब शांति मिलेगी।”

कई लोगों ने पुलिस की सराहना की, क्योंकि यह वही केस था जिसने पूरे दिल्ली-एनसीआर में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे।
लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसे अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई और सख्त होगी।

अपराध और इंसाफ के बीच की दूरी

भीम जोरा की कहानी यह दिखाती है कि अपराध का रास्ता चाहे कितना भी चालाक क्यों न हो, उसका अंत एक दिन निश्चित होता है।
डॉक्टर पॉल जैसे इंसान — जो समाज की सेवा में लगे रहे — उनकी हत्या ने लोगों को दुखी जरूर किया, लेकिन इस मुठभेड़ ने एक तरह से न्याय की दिशा में कदम बढ़ाया।

अब पुलिस बाकी साथियों की तलाश में जुटी है ताकि यह नेटवर्क पूरी तरह खत्म किया जा सके।

निष्कर्ष

भीम जोरा का अंत भले ही गोलियों से हुआ हो, लेकिन उसकी कहानी एक सबक छोड़ती है
कि अपराध चाहे कितना भी छिपा क्यों न हो, एक दिन कानून उसे ढूंढ़ ही लेता है। और भजनपुरा के लोग आज यही कह रहे हैं —
“डॉक्टर पॉल नहीं रहे, लेकिन अब उनकी आत्मा को शांति मिली है।

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