Saturday, July 19, 2025
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दिल्ली के हेल्थकेयर सेक्टर पर साइबर हमलावरों का साया: AIIMS, मैक्स के बाद अब एनकेएस और संत परमानंद हॉस्पिटल निशाने पर

– दिल्ली दर्पण ब्यूरो

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली का हेल्थकेयर सेक्टर साइबर हमलावरों का नया निशाना बनता जा रहा है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और मैक्स जैसे बड़े अस्पतालों के बाद अब गुलाबी बाग का एनकेएस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और सिविल लाइन्स का संत परमानंद हॉस्पिटल भी साइबर हमलों की चपेट में आ गए हैं। इन हमलों में हैकर्स ने करोड़ों रुपये की फिरौती की मांग की है, जिससे मरीजों की देखभाल और अस्पतालों की कार्यप्रणाली पर गंभीर असर पड़ा है।

एनकेएस हॉस्पिटल में साइबर हमला, मैनुअल सिस्टम लागू

एनकेएस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के संचालक रचित गोयल ने बताया कि 10-11 जून को उनके अस्पताल के सर्वर पर साइबर हमला हुआ। हैकर्स ने ईमेल के जरिए फिरौती की मांग की, लेकिन अस्पताल ने फिरौती देने के बजाय दिल्ली पुलिस और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों से संपर्क किया। मरीजों की देखभाल को प्राथमिकता देते हुए अस्पताल ने मैनुअल सिस्टम लागू किया, ताकि चिकित्सा सेवाएं बाधित न हों। गोयल ने कहा, “हमारी प्राथमिकता मरीजों की सुरक्षा और उपचार है। हमने दिल्ली पुलिस और साइबर विशेषज्ञों के साथ मिलकर जांच शुरू कर दी है।”

संत परमानंद हॉस्पिटल में अफरा-तफरी

संत परमानंद हॉस्पिटल में भी साइबर हमले ने अस्पताल प्रशासन और मरीजों को परेशान कर दिया है। डिजिटल सिस्टम के ठप होने से मरीजों को समय पर चिकित्सा सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन सिस्टम की खामियों की वजह से स्थिति को संभालने में नाकाम रहा है, जिससे मरीजों को भारी परेशानी हो रही है।

दिल्ली पुलिस ने शुरू की जांच

दिल्ली पुलिस के डीसीपी राजा बाठिया ने बताया कि साइबर हमले की जांच के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। पुलिस का लक्ष्य हैकिंग के स्रोत का पता लगाना और भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करना है। इससे पहले 2022 में AIIMS और मैक्स हॉस्पिटल पर हुए रैनसमवेयर हमलों में हैकर्स ने बिटकॉइन के जरिए 200 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी थी। हालांकि, इन अस्पतालों ने डेटा रिकवर कर लिया था, लेकिन फिरौती के भुगतान की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।

साइबर अटैक क्या है और इसका असर

साइबर अटैक में हैकर्स अस्पतालों के डिजिटल सिस्टम, जैसे इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड (EMR), बिलिंग सिस्टम और डायग्नोस्टिक उपकरणों को लॉक कर देते हैं। इससे ऑपरेशन थिएटर, ICU और रेडियोलॉजी जैसे महत्वपूर्ण विभागों का काम ठप हो जाता है, जिससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता है। रैनसमवेयर हमलों के beslava, साइबरsony, साइबर अपराधी क्रिप्टोकरेंसी में फिरौती मांगते हैं, जो अक्सर बिटकॉइन जैसी डिजिटल मुद्राओं में होती है। सिस्टम रिकवरी, साइबर सुरक्षा अपग्रेड और कानूनी कार्रवाइयों पर भारी खर्च के साथ-साथ अस्पतालों की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचता है।

देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा

AIIMS जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों में VVIP मरीजों, जैसे पूर्व प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और मंत्रियों, का डेटा भी हैक हो चुका है। इससे साफ है कि साइबर हमले सिर्फ आर्थिक नुकसान के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा हैं। भारत में हर महीने करीब 3 लाख साइबर हमले हो रहे हैं, और अमेरिका के बाद भारत साइबर हमलों का दूसरा सबसे बड़ा शिकार है। 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2033 तक भारत में सालाना एक हजार अरब साइबर हमले होने की आशंका है।

साइबर सुरक्षा में कमी

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का साइबर सुरक्षा ढांचा अभी भी पुराने सिग्नेचर-आधारित पहचान पर निर्भर है, जो AI-आधारित और जटिल हमलों के खिलाफ अपर्याप्त है। मजबूत साइबर सुरक्षा तंत्र और कर्मचारी जागरूकता की तत्काल आवश्यकता है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (DPDPA) के नियमों को लागू करने में देरी से भी साइबर सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं।

निष्कर्ष

दिल्ली के प्रमुख अस्पतालों पर साइबर हमले न केवल मरीजों की देखभाल को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि देश की डिजिटल सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा बन रहे हैं। सरकार और निजी संस्थानों को मिलकर साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और उन्नत तकनीकों को अपनाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे हमलों से बचा जा सके।

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