दिल्ली एक बार फिर एक डराने वाले सच का गवाह बनी है। राजधानी के एक घर में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी की लाश उनके ही बाथरूम से बरामद हुई — शरीर पर चाकू के गहरे निशान थे। यह कोई आम अपराध नहीं था, यह एक खामोश घर में छिपी चीख थी, जो देर तक सुनाई नहीं दी।
घटना दिल्ली के द्वारका इलाके की बताई जा रही है। पुलिस को शुक्रवार सुबह सूचना मिली कि एक सरकारी आवास के अंदर एक व्यक्ति कई घंटों से दरवाज़ा नहीं खोल रहा। जब दरवाज़ा तोड़ा गया, तो अंदर का दृश्य देखकर हर कोई सन्न रह गया — बाथरूम में खून से लथपथ शव पड़ा था।
मृतक की पहचान सतीश कुमार (52) के रूप में हुई, जो दिल्ली जल बोर्ड में अधिकारी थे। उनका परिवार इस समय शहर से बाहर था — बेटी NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) में मेजर हैं और ड्यूटी पर हैं, जबकि पत्नी रिश्तेदारों के यहां गई हुई थीं।
पड़ोसियों ने बताया कि सतीश शांत स्वभाव के व्यक्ति थे, अक्सर दफ्तर से लौटकर सीधे घर आ जाते थे। लेकिन गुरुवार रात से ही उनके घर की लाइटें जल रही थीं और दरवाज़ा बंद था। सुबह तक जब कोई हलचल नहीं हुई, तो लोगों को शक हुआ और पुलिस को सूचना दी गई।
फॉरेंसिक टीम ने मौके से खून से सने कपड़े, चाकू और कुछ उंगलियों के निशान बरामद किए हैं। शुरुआती जांच में यह साफ हो गया है कि हत्या बेहद करीब से और योजना बनाकर की गई थी। पुलिस को शक है कि हत्यारा मृतक को जानता था — क्योंकि घर के दरवाज़े पर जबरन घुसने के कोई निशान नहीं मिले हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “यह साफ तौर पर एक targeted murder है। दरवाज़ा अंदर से बंद था, लेकिन बाथरूम की खिड़की खुली मिली। हम यह जांच रहे हैं कि हत्यारा उसी रास्ते से आया या गया।”
बेटी को जब ये खबर मिली, तो वो फौरन दिल्ली पहुंची। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, वो सदमे में हैं लेकिन जांच में पूरा सहयोग कर रही हैं। परिवार का कहना है कि सतीश कुमार का किसी से कोई झगड़ा नहीं था — वे बस अपना काम करते थे और अपने परिवार के साथ सादगी से जीवन जी रहे थे।
पुलिस फिलहाल मोबाइल कॉल डिटेल्स और CCTV फुटेज खंगाल रही है। आस-पास के इलाकों से कई फुटेज जब्त किए गए हैं ताकि पता लगाया जा सके कि घटना के वक्त घर के पास कौन-कौन आया या गया था।
दिल्ली में इस तरह की वारदातें अब आम होती जा रही हैं — लेकिन हर हत्या सिर्फ एक केस फाइल नहीं होती। सतीश कुमार की मौत ने एक बार फिर ये सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर हमारी राजधानी कितनी सुरक्षित है, जब एक सरकारी अधिकारी तक अपने घर में महफूज़ नहीं है।

