कभी-कभी ज़िंदगी ऐसे मोड़ पर ले आती है जहां सांस तो चलती है, लेकिन जीने की वजह खत्म हो जाती है। दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक मां ने वही पल झेला — वो दर्द जिसे कोई शब्द छू भी नहीं सकते।
शुक्रवार की दोपहर थी। धूप हल्की-सी थी, हवा में ठंडक घुलने लगी थी। मोहल्ले के बच्चे खेल रहे थे, और उसी भीड़ में एक 14 महीने का नन्हा बच्चा अपनी मां के पास ज़मीन पर खेल रहा था — मिट्टी में, मुस्कुराते हुए, दुनिया से बेफ़िक्र।
मां की नज़र हर पल उसी पर थी। कौन जानता था कि बस एक पल बाद सब कुछ बिखर जाएगा।
पीछे से एक सफेद SUV आई। ड्राइवर ने शायद पीछे देखते वक्त ध्यान नहीं दिया, या फिर ज़रा-सी लापरवाही हो गई। बस एक झटके में गाड़ी बच्चे पर चढ़ गई।
मां की चीख ने पूरे मोहल्ले को हिला दिया। वो भागकर आई, बच्चे को गोद में उठाया, लेकिन सब कुछ खत्म हो चुका था।
CCTV फुटेज में वो दर्दनाक कुछ सेकंड कैद हैं — मां बस कुछ कदम दूर थी। SUV धीरे-धीरे पीछे आती है… और फिर सब कुछ थम जाता है।
वीडियो देखकर किसी का भी दिल बैठ जाए। वो बच्चा… वो छोटा-सा शरीर… और मां की टूटती चीखें।
मोहल्ले में अब सन्नाटा है। जहां कल बच्चे की खिलखिलाहट गूंजती थी, आज वहां सिर्फ मातम है। कोई पड़ोसी कहता है, “वो तो बस थोड़ी देर के लिए बाहर आई थी…” कोई दूसरा आंखें पोंछते हुए बोलता है, “गाड़ी धीमी थी, लेकिन पीछे देखने वाला ध्यान नहीं दे रहा था…”
पुलिस ने ड्राइवर को पकड़ लिया है। केस दर्ज कर लिया गया है। लेकिन सवाल अब भी वहीं है — क्या किसी कानून, किसी सज़ा से एक मां का खोया बच्चा लौट सकता है?
कहा जाता है, मां अपने बच्चे को हर मुसीबत से बचा लेती है। पर जब मुसीबत इतनी बेरहम हो कि वो बस एक पल में सब कुछ छीन ले — तब वो क्या करे?
अब वो मां बस खिड़की के पास बैठती है, हाथ में बच्चे का छोटा-सा जूता लिए। हर बार जब कोई बच्चा गली में हंसता है, उसकी आंखों से आंसू बह जाते हैं।
वो फुसफुसाती है — “काश मैंने उसे एक पल पहले गोद में उठा लिया होता…”

