दिल्ली के अशोक विहार स्थित जेलर वाला बाग इलाके में सोमवार सुबह दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अवैध झुग्गियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर बुलडोजर कार्रवाई शुरू की। इस अभियान में 200 से अधिक झुग्गियों को ध्वस्त किया गया, जिससे इलाके में तनाव का माहौल बना रहा। भारी पुलिस बल और पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती के बीच यह कार्रवाई सुबह 6 बजे शुरू हुई और दिनभर जारी रही।
क्यों हुई कार्रवाई?

डीडीए के अधिकारियों के अनुसार, जेलर वाला बाग में सरकारी जमीन पर बनी ये झुग्गियां और मकान बिना किसी कानूनी मंजूरी के बनाए गए थे। डीडीए का कहना है कि यह अभियान दिल्ली के मास्टर प्लान को लागू करने और सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराने का हिस्सा है। पहले भी निवासियों को नोटिस जारी कर जगह खाली करने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन समय सीमा समाप्त होने के बाद बुलडोजर कार्रवाई शुरू की गई।
पुनर्वास का दावा
डीडीए ने बताया कि जेलर वाला बाग में कुल 2100 झुग्गियां थीं, जिनमें से लगभग 1600 परिवारों को स्वाभिमान अपार्टमेंट्स में पक्के मकान आवंटित किए जा चुके हैं। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) के तहत इन परिवारों को पुनर्वासित किया गया है। हालांकि, शेष झुग्गियां उन लोगों की थीं, जो पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करते थे। कुछ लोगों ने कोर्ट का रुख किया, जिनमें से 150-200 को स्टे ऑर्डर मिला, लेकिन बाकी झुग्गियों पर कार्रवाई की गई।
स्थानीय लोगों का दर्द
कार्रवाई के दौरान स्थानीय लोग अपने सामान को बचाने की कोशिश में जुटे रहे। कई परिवारों ने अधिकारियों के सामने गुहार लगाई, लेकिन उनकी एक न सुनी गई। कुछ लोगों का कहना था कि उन्हें पर्याप्त समय या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई। इलाके में तनाव को देखते हुए 250 पुलिसकर्मियों और एसटीएफ की टीम को तैनात किया गया था, ताकि कोई अव्यवस्था न हो।
पहले भी हो चुकी है कार्रवाई

यह पहली बार नहीं है जब जेलर वाला बाग में बुलडोजर चला है। इससे पहले भी डीडीए इस इलाके में अवैध निर्माणों को हटा चुका है। दिल्ली के अन्य क्षेत्रों जैसे गोविंदपुरी, कालकाजी, और बटला हाउस में भी हाल के दिनों में ऐसी कार्रवाइयां देखी गई हैं।
आगे क्या?
डीडीए के अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि यह कार्रवाई अगले कुछ दिनों तक जारी रह सकती है। वहीं, स्थानीय लोग अब भी कोर्ट से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इस कार्रवाई ने एक बार फिर दिल्ली में अतिक्रमण और पुनर्वास के मुद्दे को गरमा दिया है।