–अभिजीत ठाकुर
नोटबंदी के ऐलान के बाद पेट्रोल पम्पों पर चलने वाले पुराने नोट और टोल बूथों पर ट्रांसपोर्टरों को मिल रही रियायत की मियाद शुक्रवार मध्य रात्रि से बंद हो जाएगी। ऐसे में ट्रांसपोर्टरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। दिल्ली के संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर में ट्रांसपोर्टरों के सामने संकट की स्थिति पैदा हो गई है। ट्रांसपोर्ट फेडेरशन ऑफ़ इंडिया के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजय मैनी और कई ट्रांसपोर्टरों की बैठक में नोटबंदी के बाद कैश की किल्लत और उससे ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर पड़ने वाले असर के बारे में चर्चा हुई। ट्रांसपोर्टरों का कहना था की उनका ज्यादातर काम कैश के जरिये ही चलता है क्योंकि दूर राज्यों में जाने के लिये ट्रक ड्राइवरों को कैश रुपये ही दिये जाते हैं जिन्हें वो लंबी दूरी की यात्रा में तमाम खर्चों के लिये इस्तेमाल करते हैं। ज्यादातर ड्राइवर कम पढ़े लिखे होते हैं जिनको कैशलेस पेमेंट या प्लास्टिक मनी के बारे में कुछ भी नहीं पता। नतीजतन, ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर चक्का जाम का संकट गहराता दिख रहा है।
ट्रांसपोर्ट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के उपाध्यक्ष शैलेन्द्र गुप्ता ने बताया की बढ़ते टोल टैक्स और अन्य करों की वजह से पहले ही ट्रांसपोर्ट व्यवसाय खासा प्रभावित है ऐसे में कैश की कमी के वजह से अब ट्रांसपोर्टरों को दोहरी मार झेलनी पड़ेगी।
बैंकों के बाहर लगी लंबी कतारों की वजह से ज्यादातर बैंक भी सभी ग्राहकों को कैश मुहैया नहीं करवा पा रहे हैं , ट्रांसपोर्टरों के मुताबिक उनके व्यवसाय का अस्सी प्रतिशत हिस्सा कैश ट्रांजेक्शन पर निर्भर करता है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है की देश के अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले ट्रांसपोर्ट व्यवसाय के लिये क्या सरकार कुछ दिन और रियायत नहीं दे सकती थी ?
कैश की कमी की वजह से हजारों ट्रकों का परिचालन अगर रुक जाता है तो इससे मंडी में सब्जियों और अन्य वस्तुओं की कीमतों पर भी असर पड़ेगा और आने वाले दिनों में कीमते बढ़ सकती हैं। कुल मिलाकर इसका परिणाम जनता को ही झेलना पड़ेगा जो पहले से ही नोटबंदी और उसके बाद होने वाली परेशानियों से आहत है।
ऐसे में ट्रांसपोर्ट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की है की ट्रांसपोर्टरों को दी जाने वाली रियायत को स्थिति पूर्णतः सामान्य होने तक बढ़ा दिया जाना चाहिये। संजय गाँधी ट्रांसपोर्ट नगर में अन्य ट्रांसपोर्टरों ने भी फेडरेशन के सुझाव से सहमति जताते हुए कहा की यदि सरकार उनके सलाह पर विचार नहीं करती है तो मजबूरन उनके सामने हड़ताल जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी।