वाराणसी के मुस्लिम बहुल्य मदनपुरा इलाके में एक बंद मंदिर मिलने की खबर से मंगलवार को विवाद खड़ा हो गया। गोल चबूतरा के पास स्थित इस जगह पर भारी भीड़ जमा हो गई। महिलाओं ने यहां पहुंचकर शंखनाद कर हर हर महादेव के जाप भी किया जिससे मुस्लिम दल के लोगो ने आवाज़ उठायी और माहौल और तनावपूर्ण हो गया। इसके बाद पुलिस से भी स्थिति नियंत्रण न होने पर पुलिस को विरोध के बाद हस्तक्षेप करना पड़ा। सुबह से ही मंदिर के आस पास मीडिया का जमावड़ा लगने लगा था
वाराणसी पूरा मामला
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह मंदिर पिछले 70-75 सालों से बंद था। बताया जा रहा है कि यह जगह दशकों पहले एक बंगाली परिवार के स्वामित्व में थी, जिसने इसे एक मुस्लिम व्यापारी को बेच दिया था। वर्तमान में इस स्थान पर साड़ी का गद्दा है और कुछ लोग यहां निवास करते हैं।
मंगलवार को सनातन रक्षा दल के अध्यक्ष अजय शर्मा की अगुवाई में महिलाएं यहां पहुंचीं और शंखनाद कर हर हर महादेव का चाप किया। इससे माहौल गरमा गया और स्थानीय लोगों ने इसका कड़ा विरोध किया। अक्सर ऐसा देखा जाता है की मदिरो को लेके हिन्दू मुस्लिम के संवाद सामने आते रहते है और कई ऐसे किस्से होते जिनमे कई मजिदो को मंदिर होने का दावा किया जाता है इसी प्रकार से वाराणसी में भी इस मामले को लेके पुलिस हिन्दू मुस्लिम विवाद होने से कतरा रही है
वाराणसी केस पर पुलिस का बयान
पुलिस ने तत्काल मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और भरी संख्या में लगी भीड़ को हटाया और पूरी पुलिस फाॅर्स तैनात की अधिकारियों ने दुकानें बंद करा दीं और भारी पुलिसबल तैनात कर दिया। पुलिस के अनुसार, मंदिर की जमीन के स्वामित्व और कानूनी स्थिति की जांच की जा रही है। “अगर यह स्थान सार्वजनिक संपत्ति है और मंदिर घोषित होता है, तो पूजा-अर्चना की अनुमति दी जाएगी। किसी भी निजी कब्जे को हटाने का प्रयास किया जाएगा ये सभी कार्यवाही कानून के और जमीन के स्वामित्व के समीक्ष रह कर की जाएगी मामले की घंभीरता को समझते हुए यह फैसला लिया गया है
ऐसी स्तिथि में अकसर कई लोगो को अपनी जान भगदड़ या धार्मिक विवाद , में गवानी पड़ जाती है और भारत में एक और आंदोलन का विषय बन जाता है हिन्दू मुस्लिम के मंदिर पर हो रहे विवाद को लेकर सरकार भी ज्यादा स्तिथि नियंत्रण नहीं कर पाती और मामला अक्सर हाथ से निकल कई लोगो को घायल कर जाता है
आगामी जनवरी-फरवरी में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए आम आदमी पार्टी ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक नई योजना का ऐलान किया है. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने “संजीवनी योजना” की शुरुआत की है, जो 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करेगी. इस योजना का पूरा खर्च दिल्ली सरकार देगी.
अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर इस योजना के लिए बुजुर्गों का पंजीकरण करेंगे. इसके तहत बुजुर्गों को एक विशेष कार्ड दिया जाएगा जिसके जरिए वे मुफ्त इलाज का लाभ उठा सकेंगे. अरविन्द केजरीवाल ने यह भी स्पष्ट किया कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद लोग इस योजना का लाभ उठा सकेंगे. संजीवनी योजना का पंजीकरण 19 नवंबर, 2024 से शुरू हो चुका है. यह स्वास्थ्य योजना चुनाव से पहले AAP की प्रमुख घोषणाओं में से एक है जिससे पार्टी को उम्मीद है कि वह जनता का समर्थन हासिल कर सकेगी.
संजीवनी योजना का उद्देश्य
संजीवनी योजना का उद्देश्य भारत की राजधानी दिल्ली में 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को फ्री में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है. यह चिकित्सा सुविधा दिल्ली सरकार की ओर से उपलब्ध कराई जाएगी. इसके तहत बुजुर्गों को डॉक्टरों को फीस, दवा खरीदने के लिए पैसा और बीमारियों की जांच संबंधी शुल्क का भुगतान नहीं करना पड़ेगा.
अब देखना यह होगा कि अरविन्द केजरीवाल जिस तरह से एक एक करके जनता से कई वादे कर रहे है, क्या जनता उस पर एक बार भरोसा करके अरविन्द केजरीवाल को जीतने का मौका देगी ?
निर्भया काण्ड के 12 साल होने पर आम आदमी पार्टी ने त्यागराज स्टेडियम में महिला अदालत का आयोजन किया. महिला सुरक्षा की अनदेखी का आरोप लगाकार केंद्र सरकार पर हमला किया. महिला सुरक्षा को अनदेखी का आरोप लगाकर केंद्र सरकार पर हमला बोला. कार्यक्रम में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिश, आप के संयोजक अरविन्द केजरीवाल और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निशाने पर केंद्रीय ग्रहमंत्री अमित शाह रहे. उन्होंने कहा कि निर्भया कांड के बाद जिस तरह का आक्रोश जनता में देखा गया था, उससे लग रहा था कि महिलाओं के प्रति अपराध अब कम हो जाएंगे पर ऐसा कुछ नहीं हुआ. कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर निर्भया को श्रद्धांजलि दी.
मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि आज ही के दिन दिल्ली में एक बेटी के साथ दरिंदगी हुई थी, लेकिन 12 साल बाद भी राजधानी में महिलाये और बेटियां सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि जब कोई बेटी घर से बाहर जाती है तो उसके वापस आने तक उसके परिवार वाले परेशान रहते है. दिल्ली में महिलाओं के प्रति अपराध 40 प्रतिशत बढ़ गए है. पिछले पांच साल में लगभग तीन हज़ार महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ. इस मौके पर आप से राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने भी बात रखी.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा कि जिस दिल्ली से पुरे देश कि सरकार चलती है अगर यहाँ ही महिलाये सुरक्षित नहीं है तो पुरे देश में क्या हो रहा होगा ? गृह मंत्रालय सिर्फ नाम के लिए ही रह गया है. उन्होंने पुलिस को दिल्ली सरकार को दिए जाने का भी मुद्दा उठाया. कहा कि दिल्ली वालों कि सुरक्षा कि ज़िम्मेद्दारी दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास होनी चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली की जनता को भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी पूरी ज़िम्मेद्दारी के साथ आम आदमी पार्टी के साथ कड़ी है.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब लगभग 2 महीने से भी कम का समय रह गया है. और आम आदमी पार्टी विधानसभा चुनावों की तैयारी ज़ोरो शोरो से कर रही है. रविवार को आम आदमी पार्टी ने अपनी चौथी और फाइनल लिस्ट जारी कर दी है. आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल पहले की ही तरह नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ेंगे और सीएम आतिशी कालकाजी सीट से चुनाव लड़ेंगी. आप ने इस लिस्ट में 38 प्रत्याशियों की सूची जारी की है.अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप की आखिरी सूची में ज्यादातर नाम वे हैं जिन्होंने 2020 का विधानसभा चुनाव जीता था.
आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से टिकट बटवारे में विधायकों के नाम काटे थे उससे कही न कही ये अंदाज़ा लगाया जा रहा था कि आम आदमी पार्टी की चौथी और आखिरी लिस्ट में भी कई विधायकों के नाम काटे जाएंगे. लेकिन जब आम आदमी पार्टी की तरफ से ये लिस्ट जारी की गयी तो इस लिस्ट में कोई ख़ास बदलाव देखने को नहीं मिला. पार्टी ने इस बार 14 विधायकों पर भरोसा जताया है.
इस बार का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के लिए काफी कठिन मन जा रहा है. यह चुनाव ऐसे समय में हो रहा है , जब आप के प्रमुख नेता भ्रष्टाचार के आरोप में कई महीने तक जेल में रह कर आये है. नई आबकारी निति घोटाले मामले से लेकर मनी लॉन्डरिंग तक में अरविन्द केजरीवाल , मनीष सिसोदिया , सत्येंद्र जैन और आप नेता संजय सिंह और उनके अन्य सहयोगी जेल में रहे. यहाँ तक कि जेल से बाहर आने के बाद अरविन्द केजरीवाल ने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया. इस दौरान अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि अगर जनता उन्हें चुनेगी तभी वो मुख्यमंत्री बनेंगे. यानी इस चुनाव में आप आप के संयोजक अरविन्द केजरीवाल की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. हालाँकि आप हर मंच से कहती है आ रही है कि उनके नेताओं को झूठे मामले में जेल भेजा गया. इसे एक बड़ी साज़िश करार देते है.
केजरीवाल कई बार दोहरा चुके है कि अगर 55 से कम सीटें आई तो भारतीय जनता पार्टी उनकी सरकार नहीं बनने देगी. ऐसे में उनके लक्ष्य 55 से अधिक सीटों के साथ सत्ता लौटना है. तो अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि क्या आम आदमी पार्टी की यह सारी रणनीतियां चुनाव में आम आदमी पार्टी के पक्ष में आती है या नहीं ?
शकूर बस्ती विधानसभा सीट दिल्ली के महत्पूर्ण विधानसभा
जहां 2020 में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस बार Shakur Basti Assembly सीट के परिणाम किस पार्टी के पक्ष में होंगे, यह जनता को तय करना है। हम आपके लिये लेकर हैं विस्तृत जानकारी | शकूर बस्ती विधानसभा सीट दिल्ली के नॉर्थ दिल्ली जिले में आती है। इलेक्शन कमिशन के मुताबिक़ 2020 में शकूर बस्ती में कुल 51.60 प्रतिशत वोट पड़े। 2020 में Aam Admi Party के सत्येंद्र जैन ने भारतीय जनता पार्टी के डॉ एस सी वत्स को 7592 वोटों के मार्जिन से हराया था।
शकूरबस्ती विधानसभा का किया है Political इतिहास ?
वर्ष 1993 में अस्तित्व में आए शकूर बस्ती विधानसभा सीट पर मौजूदा समय में पूर्व दिल्ली के स्वास्थ्य व लोक निर्माण मंत्री Satyendra Jain का कब्जा है। वह गत तीन विधानसभा चुनावों से लगातार जीत दर्ज कर रहे हैं। ऐसे में यह सीट विधानसभा चुनाव के लिहाज से दिल्ली की हाईप्रोफाइल सीट मानी जा रही है। 1993 के पहले चुनाव में शकूरबस्ती सीट से भाजपा के गौरी शंकर भारद्वाज विधायक बने थे। उन्होंने कांग्रेस के कमलकांत शर्मा को सात हजार से अधिक मतों से पराजित किया था। लेकिन, पांच सालों के बाद वर्ष 1998 में हुए चुनाव में यहां की जनता ने कमल के फूल के बदले कांग्रेस के पंजे का दामन थाम लिया। इस चुनाव में BJP के गौरी शंकर भारद्वाज को कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. एससी वत्स के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में भी बतौर कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. एससी वत्स ने अपनी जीत को बरकरार रखा। उन्होंने BJP के नए प्रत्याशी श्याम लाल गर्ग को 14 हजार मतों से पीछे छोड़ दिया था।
2008 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के श्याम लाल गर्ग ने अपनी हार का बदला ले लिया और उन्होंने तब के मौजूदा विधायक डा. वत्स को चार हजार मतों से पराजित कर दिया। वर्ष 1993 से वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव परिणामों के लिहाज से देखें तो इस सीट पर कांग्रेस व भाजपा के दो बार विधायक चुने गए। वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में अन्ना आंदोलन की कोख से निकली AAP ने पहली बार दस्तक दी तो शकूरबस्ती के मतदाताओं ने Satyendra Jain को जिताकर विधानसभा भेज दिया। सत्येंद्र जैन ने तब भाजपा के तत्कालीन विधायक श्याम लाल गर्ग को सात हजार से अधिक मतों से हराया था। उनकी जीत का यह जलवा वर्ष 2015 के और 2020 के चुनाव में भी कायम रहा और वह फिर से MLA बनने में कामयाब रहे।
शकूरबस्ती के निवासियों को पार्टियों से अधिक नेता पसंद !
हमारी टीम जब शकूरबस्ती के निवासियों के बीच पहुंची और लोगों से जानने का प्रयास किया तो ये बात सामने आयी की उनके लिए नेता के साथ ही सरकार के पालिसी भी महत्पूर्ण स्थान रखती है | सरस्वती विहार , पच्चिम विहार एवं RaniBagh के वार्ड में हाल ही में हुए MCD ELECTION में BJP के पार्षदो को जीत मिली थी | इस से ये बात जाहिर हो जाती है कि Aam Admi Party का जनाधार कम हुआ है | चूकि Satyendra Jain सरस्वती विहार के ही निवासी है तो इस कारण अधिकतर लोग उनका समर्थन करते हुए नज़र आते है परन्तु रानीबाग़ एवं पच्चिम विहार में इस बार लोगो के समस्या का समाधान नहीं किया गया है | आज भी लोग मूलभूत सुविधायो से परेशान है , रानीबाग़ के व्यवसायी आज भी पार्किंग के समस्या से जूझ रहे है| व्यवसायीयो से जब पूछा गया की सत्येंद्र जैन ने किया कुछ किया है आपके लिए तो व्यापारी मुस्कुराते हुए बोले ” सत्येंद्र जैन ” पिछले तीन बार से हमारे विधायक है लकिन वो हमारे लिए और Market में आने जाने वालों के लिए एक बाथरूम तक नहीं बनवा सके , उनके मंत्री होने का हमारे विधानसभा को कोई फायदा नहीं मिला बल्कि हमारे विधानसभा पर एक धाग ओर लग गया उनके Jail जाने से।
Satyendra Jain को आप ने चोथी बार बनया अपना प्रत्याशी
हाल ही में आप के द्वारा जारी 3 लिस्ट में सत्येंद्र जैन को शकूरबस्ती से विधायक का टिकट दिया गया है | 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में सत्येंद्र जैन का मुक़ाबला प्रत्याशी डॉ एस सी वत्स Bharatiya Janata Party (भाजपा) से हुआ था | जीत का मार्जन केवल 7,592 का रह गया था , वही कांग्रेस के देव राज अरोरा को 3,382 वोट ही प्राप्त हुए थे।
क्या सत्येंद्र जैन को 4th बार मिलेगा जनता का समर्थन ?
ये एक ऐसा सवाल है जो सभी जनाना चाहते है। हम Shakur Basti के सभी Ward में गए वाहा से जनता के बातो को सुना , मार्किट के व्यापारीयो से बात की शकूरबस्ती के स्लम एरिया में लोगो से उनके मन में सरकार और अपने विधायक के बारे में उनका किया सोचना है ,ये जानने का प्रयास किया। जनता के बातों को सुन कर ये आभास होता है की इस बार मुकाबला कड़ा होगा क्योकी 2020 हुए इलेक्शन में सत्येंद्र जैन के जीत का मार्जन केवल 7592 वोटो का ही रह गया था। इस आकड़े को आधार मानते हुए ये कहाँ जा सकता है की अगर बीजेपी के ओर से जनता के मुताबिक़ उम्मीदवार उतारा तो Satyendra Jain की विधयाकी छीन भी सकती है। हमारे सर्वे में भी ये बात भी निकल कर आयी की अधिकतर व्यापारी अपना समर्थन बीजेपी को देते हुए नज़र आये साथ ही स्थनीये लोग भी इस बार नई सरकार को देखने के मूड में दिखाए दिए। अब देखना ये होगा की दिल्ली में होने वाले Election 2025 में कौन अपनी दावेदारी मजबूती से जनता के सामने पेश कर पता है और जनता किसको अपना मत देकर अपना नेता चुनती है।
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