Friday, April 26, 2024
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यमुनानगर जहरीली शराब: यमुनानगर में शराब का कहर! अब तक हुई 8 मौतों का कौन है जिम्मेदार

यमुना नगर में जहरीली शराब के लगातार बढ़ते आकड़ो ने कई लोगों की जान ले ली। जहरीली शराब ने 7 लोगों को अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया। हालात ऐसे है कि कई लोगों की जान पर बन आयी है। कई लोगों की हालत अभी भी गंभीर बानी हुई है।

यमुनानगर जहरीली शराब: यमुना नगर में जहरीली शराब के कारण मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं।  यमुना नगर स्थित मंडेवारी गांव में जहरीली शराब से अभी तक सबसे ज्यादा मौते हुई है। 7 लोगों को जहरीली शराब ने अपनी गिरफ्त में जकड़ लिया। हालात ऐसे है कि कई लोगों की जान पर बन आयी है। अभी भी कई लोगों की हालत  गंभीर बानी हुई है। मंडेबरी व पंजेटो स्थित मजारा गांव में फ़िलहाल जिंदगी और मौत का खेल चल रहा है। मौत के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे है।  साथ ही मरने वालो की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। मरने वालो के परिजनों की बात करे तो इस समय वह पूरी तरह से सदमे में है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है की आखिरकार यह सब हो क्या रहा है।

मृतक विशाल के पिता नरेंद्र कुमार ने बताया कि अचानक से विशाल की तबीयत बिगड़ गई. उसे अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन उसे इंफेक्शन इतना ज्यादा फेल चूका था कि उसकी भी जान चली गई. परिवार अब दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है. परिजनों का कहना है कि हमें सरकार से कोई आर्थिक मदद तो नहीं चाहिए, लेकिन जो यह अवैध शराब बेची जा रही हैं उन पर सरकार कड़ा एक्शन जरूर ले। हम नहीं चाहते, जिस तरह हमने विशाल को खोया है बाकी मां-बाप भी अपने बेटों को खोए.

विशाल के घर से कुछ ही दूरी पर रहने वाले मांगेराम की भी जहरीली शराब ने जान ले ली। बूढ़े मां-बाप की आंखों से आंसू अब रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं और शमशान घाट के हालात ऐसे है कि चिताएं जलाने के लिए लोगो को इंतजार करना पड़ रहा है। एक चिता की आग भुजती है तो दूसरा शव शमशान घाट में पहुंच जाता है. मांगेराम के पिता बनारसी दास का यह कहना है कि मैं तो किसी काम के लिए घर से बाहर गया हुआ था, लेकिन अचानक से उनके पास फोन आता है कि मांगेराम की तबीयत खराब हो गई है, लेकिन जैसे ही घर पहुंचा तो पता चलता है कि मांगे राम ने भी दम तोड़ दिया.

मरने से पहले हालात किस तरह से बिगड़ते हैं यह तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि गांव मंडेबरी के एक व्यक्ति की किस तरह से हालत बिगड़ती हैं, इस तरह से हालत होने के बाद उल्टियां लगती हैं और फिर आंखों से दिखाना बंद हो जाता है।  गांव वालों उस व्यक्ति को तुरंत अस्पताल में ले जाते है जहां पर इस व्यक्ति की हालत फ़िलहाल स्थिर बतायी जा रही हैं। मंडेबरी गांव में 2 दिन के भीतर कई लाशे शमशान घाट में जल चुकी है.

PUBLISHED BY: प्रिया गोयल

Delhi News: दो पक्षों की मारपीट में एक व्यक्ति की मौत और दो घायल, पुलिस की छानबीन जारी.

दिल्ली न्यूज़: दक्षिण पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त राजेश देव ने बताया कि, ”पीड़ितों में से एक को एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती करवाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया, जबकि एक अन्य पीड़ित का इलाज चल रहा है।

दिल्ली न्यूज़: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से एक दिलदहला देने वाला मामला सामने आया है। दिल्ली स्थित दक्षिणी दिल्ली के एक बाजार में धक्का-मुक्की के बाद चार लोगों के बीच आपसी लड़ाई में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी, वही उसके दो भाई भी बुरी तरह से घायल हो गए। पुलिस के अनुसार मृतक की पहचान मोहम्मद आजाद (28) के रूप में की गयी। बाकि दोनों घायलों की पहचान मोहम्मद इरशाद (25) और मोहम्मद शादाब (24) के रूप में हुई। सभी पीड़ित गोविंदपुरी के निवासी हैं।

चाकूबाजी की घटना में एक की मौत

पुलिस अधिकारियों ने कहा, उन्होंने हत्या के मामले में शिवम उर्फ कुणाल, सनी उर्फ लालू, सौरभ उर्फ कोकी और मोहम्मद जुनैद को गिरफ्तार कर लिया है।  पुलिस के मुताबिक, रात 10 बजे बुधवार को कालकाजी पुलिस स्टेशन को एक पीसीआर कॉल प्राप्त हुई जिसमें मछली मार्केट, डीडीए फ्लैट्स कालकाजी में हुई चाकूबाजी की घटना की सूचना मिली। पुलिस की एक टीम को मौकाए वारदात पर भेजा गया, लेकिन वहां पहुंचने पर उन्हें पता चला कि पीड़ितों को पहले ही अस्पताल ले जा चुके थे।

ट्रामा सेंटर पहुंचने पर किया मृत घोषित

दक्षिण पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त राजेश देव ने बताया, ”पीड़ितों में से एक व्यक्ति को एम्स ट्रॉमा सेंटर में ले जाया गया जहाँ पर मृत घोषित कर दिया गया, जबकि एक अन्य पीड़ित इरशाद को चाकू से हुए घावों के कारण उसका फ़िलहाल इलाज चल रहा है। तीसरे घायल व्यक्ति शादाब को भी प्राथमिक उपचार दे दिया गया है और उसे मदन मोहन मालवीय अस्पताल से अब छुट्टी भी मिल गई है ”.  क्राइम टीम ने जब घटनास्थल का निरीक्षण किया तो उन्होंने घटनाओं के क्रमानुसार एक साथ जोड़ने के लिए सीसीटीवी फुटेज की भी जाँच की और गवाहों से भी मामले के बारे में पूछताछ की. डीसीपी ने आगे बताया है कि सूचना मिली है कि करीब 9.30 बजे बुधवार रात गोविंदपुरी में जुनैद की मीट की दुकान के पास शिवम और तीनों पीड़ितों के बीच हाथापाई हुई थी. पीड़ितों ने पहले शिवम पर हमला किया था फिर उसने बाद में जवाबी कार्रवाई में शादाब पर हमला किया था।

शराब पी रहे दोस्तों से मांगी मदद

गुस्साए शिवम ने अपने दोस्तों, सनी और सौरभ से मदद मांगी, जो पास में ही दोनों शराब पी रहे थे। डीसीपी ने बताया कि, “जुनैद के साथ, उन्होंने जुनैद की दुकान से कसाई का चाकू उठाया और मच्छी मार्केट में आजाद, इरशाद और शादाब से जाकर भीड़ गए। झगड़े के बीच आजाद और इरशाद को चाकू मारे गए, जबकि शादाब सिर्फ घायल हुआ था।”  पुलिस ने कार्यवाही के दौरान चार संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया है। फ़िलहाल पूछताछ से पता चला है कि अपराध का मकसद सिर्फ उकसाना था , जिसमें शारीरिक मुठभेड़ और व्यक्तिगत स्थान पर कथित आक्रमण शामिल था.

PUBLISHED BY:  प्रिया गोयल

कैब ड्राइवर ने लड़की को की अगवा करने की कोशिश, आरोपी ने छात्रा से माफी मांगने के लिए उसे किडनैप किया था : पुलिस

पुलिस के अनुसार,”पुलिस को जब कैब ड्राइवर की लोकशन के बारे में पता चला कि ड्राइवर लड़की को बंगला साहिब गुरुद्वारे के नजदीक छोड़कर फरार फोन की ताक में था. पुलिस ने तुरंत वहां पहुँच कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.”

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से एक अपरहण करने की कोशिश का मामला सामने आ रहा है। दिल्ली की रहने वाली लड़की दिल्ली के संसद मार्ग स्थित एक नामी स्कूल में पढ़ती है।  3 नवंबर को, जब लड़की स्कूल नहीं पहुंची, तो उसके पिता को उसके फोन से उसकी अनुपस्थिति के बारे में एक मैसेज के द्वारा पता चला। 

उन्होंने तुरंत पुलिस को इस घटना के बारे में सूचना दी, कैब ड्राइवर को जब संदेह के चलते फोन किया तो उसने फोन का कोई जवाब नहीं दिया, तभी उस पर शक गहरा गया।

मंगलवार को पुलिस ने जानकारी दी, पुलिस को कैब ड्राइवर के लोकशन के बारे में खबर मिलने पर पता चला कि कैब ड्राइवर ने लड़की को बंगला साहिब गुरुद्वारे के पास छोड़ दिया था। वह वहां से फरार होने वाला ही था की इतने में पुलिस पहुंच गयी, फ़िलहाल आरोपी को स्कूल की लड़की का अपहरण करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। 

साथ ही पुलिस ने यह भी बताया कि दरअसल आरोपी लड़की से दोस्ती करना चाहता था।  पहले लड़की आरोपी की कैब से ही स्कूल आया जाया करती थी।  लेकिन जब लड़की ने अपने पिता को उसके अनुचित व्यवहार के बारे में शिकायत की, तो उन्होंने उसका कैब से जाना बंद करवा दिया और खुद अपनी बेटी को स्कूल छोड़ना शुरू कर दिया। 

3 नवंबर को जब उसने उसे स्कूल के गेट पर छोड़ा, तो कैब ड्राइवर ने उससे माफी मांगने के बहाने उसे बुलाया और जबरन कैब में बैठा लिया। बाद में उसने लड़की को लेकर भागने की कोशिश की करने लगा लेकिन पकड़ा गया।  फ़िलहाल मामला दर्ज कर लिया गया है, आगे की जांच जारी है।

PUBLISHED BY: प्रिया गोयल

Tv Today Network – क्यों डूब रहा है मीडिया जगत का टाइटेनिक आज तक ? 

– राजेंद्र स्वामी

पिछले दो दिन से मेरे कई साथी पत्रकारों के मेरे पास फ़ोन आये ,जिसमें मुझसे पूछा जा रहा था की आज तक क्या बंद होने वाला है ?  मैंने हैरानी से पूछा आपको किसने कहा ? उसने कहा सूना था और पिछले दो दिन से मीडिया में खबरें भी है की TV Today Network  की हालत खस्ता है, सोशल  मीडिया और कुछ बड़े अखबारों में भी खबरें छपी है आज तक की हालत पतली है ? 

में भी आज तक से एक दशक से जुड़ा रहा हूँ और वहां क्या चल रहा है की इसकी जानकारी भी है और अहसास और अनुभव भी है। आज तक से जुड़े मेरे जैसे कई पत्रकार यह तो यह मान रहे थे की अब “आज तक”पहले जैसा चॅनेल नहीं रहा। अब इसकी उलटी गिनती शुरू हो गयी है ,लेकिन इसकी हालत इतनी जल्दी इतनी नाजुक हो जायेगी ,यह जरूर चौंकाने वाला है। भला कौन यकीन कर सकता है  कि 10 वर्षों से ज्यादा समय तक देश का नंबर -1 चैनल बना रहने वाला TRP में पांचवें नंबर पर पहुंच जाएगा ? कौन अनुमान लगा सकता था कि उसका मुनाफा 64 % तक घटकर 19.72 करोड़ से घटकर केवल 7. करोड़ कम हो जाएगा। इसके शेयर 214 से घटकर 192 तक लुढ़क जायेंगे ? लेकिन ऐसा हो गया है। चैनल की साख खत्म हो रही  है टीआरपी तेज़ी से घटी है और विज्ञापन से होने वाली कमाई घट रही है। 

इन खबरों से मुझे बहुत दुःख हुआ है। मैंने आज तक के लिए एक दशक से भी ज्यादा समय तक पत्रकार के रूप में काम किया है। मुझे पत्रकारिता के क्षेत्र में जो थोड़ी बहुत पहचान मिली उसमें आज तक का बहुत बड़ा योगदान है। मुझे गर्व होता था की में देश के नंबर -1 न्यूज़ चॅनेल से जुड़ा हूँ,जिसमें काम करना किसी भी उदयमान पत्रकार के लिए एक सपना है ,किसी भी पत्रकार और कर्मचारी के लिए यह सम्मान की बात थी वह आज तक में काम कर रहा है। अब वह बात नहीं रही , यहाँ के पत्रकारों में चिंता है की मैनेजमेंट इस चुनौती से कैसे निपटेगा ? किस किस की नौकरी जाने वाली है। 

आज तक की इस हालत पर मुझे अफ़सोस भी है और दुःख भी है। लेकिन क्योकि में आज तक से जुड़ा रहा हूँ तो मुझे  यह भी अहसास है की आज तक की ऐसी दयनीय हालत क्यों और कैसे हुयी ? मुझे जब आज तक से बतौर स्ट्रिंगर जुड़ा था तो मेरी किसी से सिफारिश नहीं की थी बल्कि आज तक के कुछ पत्रकार ही मुझे आज तक में लेकर गए। मुझे यह भी याद है की एक दशक पहले मुझे आज तक से करीब 50 से 60 हज़ार रुपये प्रतिमाह तक मिल जाते थे। दिल्ली आज तक में शायद  हो कोई दिन होगा जब मेरी दो तीन खबर  दिल्ली आज तक पर न चलती हो। सभी एरिया रिपोर्टर दिन रात भागदौड़ करते थे, Assingment पर बैठे लोग और बॉस खूब भागते थे ,सबकी खबरें चलती थी तो सबको अच्छा भी लगता था। यह वही दौर था जब आज तक एक दशक से भी ज्यादा समय तक देश का नंबर -1 चैनल बना हुआ था,हर लिहाज़ से टीआरपी में भी और मुनाफे में  भी। 

लेकिन पिछले 4-5 साल में परिस्ठियाँ बदली है। आज मेरी स्ट्रिंगर्स  साथी जानते है की अब न उन्हें पैसा ज्यादा मिलता है और ना ही उनकी खबरें ही दिखाई देती है। अब स्ट्रिंगर्स  का काम केवल सूचना देना भर रह गया है। दिल्ली आज तक के बंद  होने के बाद तो जैसे खबर रह  ही नहीं गयी है।  कहने को तो दिल्ली तक शुरू किया है लेकिन चैनल को खोलकर देखेंगे तो लगता इसमें केवल आम आदमी पार्टी की ही खबरें चलती नजर आती है।  नेशनल में मोदी – मोदी चलता है और दिल्ली स्टेट  में आम आदमी पार्टी। कांग्रेस पार्टी तो जैसे बीते दिनों की बात हो गयी। आप इसके डिजिटल प्लेटफार्म को देख लीजिये यदि महीने में एक दो खबर भी नजर आ  जाये तो बड़ी बात होगी।  यही वजह  है की जनता ने इसे देखना बंद कर दिया है और इसकी टीआरपी और इसकी साख तेज़ी से निचे गिर रही है। इसका असर चॅनेल को मिल रहे विज्ञापनों पर पड़ रहा है। इसका मुनाफा 64 % घट गया। 

चैनल की इस हालत के लिए मैनेजमेंट ही जिम्मेदार है। मुझे याद है जब में आज तक से जुड़ा था तो वहां स्ट्रिंगर्स का भी सम्मान होता था। साल में दो तीन बड़ी मीटिंग होती थी और स्ट्रिंगर्स उस मीटिंग का महत्वपूर्ण हिस्सा होता था। अच्छे रिपोर्टर्स और पत्रकार का सम्मान होता था। लेकिन अब हालत यह है की इसकी सुरक्षा ऐसी है की संसद भवन की भी क्या  होगी। यदि कोइ बड़ा अधिकारी और पत्रकार भी अपना आईकार्ड लाना भूल जाये तो उसके लिए अपने ही ऑफिस में प्रवेश करना भी किसी कोइ आसान काम नहीं  है।  स्ट्रिंगर्स की तो बात ही छोड़ दीजिये, दिल्ली आज तक और दिल्ली आज तक के सीनियर्स उनके साथ सड़क पर किसी चाय की दूकान पर बैठकर मीटिंग लिया करते थे। जब भी स्ट्रिंगर्स अपनी समस्या बताते थे तो उनके पास आश्वाशन देने के अलावा कोइ जबाब नहीं होता था। उनकी शिकायतें कम होने की बजाये बढ़ती चली गयी नतीजा ज्यादातर अच्छे रिपोर्टर्स और स्टिंगर्स ने भी आज तक को नमस्ते कर दिया। और जो अभी भी नाम मात्र के लिए जुड़ें हुए है  वे विकल्प तलाश रहे है। चैनल में जो टीम भावना थी वह उसकी ताकत थी ,अब यह ताकत तार तार हो गयी है। अब यहाँ कई ग्रुप बन गए है जिनका दिमाग अपने लोगों को लाने और दूसरे ग्रुप के लोगों को निपटाने में ही लगा रहता।  सब अपनी नौकरी बचाने में लगे  हुए है। 

जब से मैनेजमेंट में टॉप के चार पांच लोग चैनल छोड़कर गए है तब से चैनल में  पत्रकार और कर्मचारी तनाव में काम कर रहा है। चैनल की  ही एक बड़े पत्रकार ने मुझसे कहा ” यहाँ मैनेजटमेंट और एचआर का दखल एडिटोरियल यानी सम्पादकीय विभाग में ज्यादा  हो हो रहा  है। इस लिए असाइनमेंट से लेकर आउटपुट तक सभी उनके हिसाब से काम कर रहे है। डर के मारे वे चैनल में  हज़ारी तो लगते है लेकिन अपना दिमाग नहीं लगा रहे है। बकौल एक सीनियर अधिकारी के “इनके पास रचनात्मकता और  दूरदर्शिता का अभाव है।” चैनल में 90 % खबरें ANI से ली हुयी चल रही है। चैनल के अपने सोर्स की खबरें रह ही नहीं गयी है। आज तक भी वही चलता  है जो बाकी के चैनल चलते है। ऐसे में भला कोई क्या चैनल को देखे ? केवल एंकर का ही फर्क है , चैनल में एंकर अभी रिपोर्टर की भूमिका भी निभा रहे है। मानवीय एंगल  और सॉफ्ट खबर से तो जैसे कोई सरोकार ही नहीं रह गया है। पैसों के चक्कर में खबर ही उड़ा दी जाती है। उन्हें एचआर बताता है की क्या करना है। 

टीवी टुडे नेटवर्क ने डिजिटल पर ज्यादा फोकस किया है। इसमें  भारी भरकम वेतन पर लोगों को भर लिया है। इसमें खर्च ज्यादा है और आय कम। इसमें भी जमीन और जनहित से जुड़ीं खबरे कम होती है। चैनल का  ज्यादातर दिमाग इवेंट में लग रहा है। चैनल मीडिया हाउस  कम ,बल्कि कॉर्पोरेट बिजनेस हाउस ज्यादा बन कर रह गया है। न्यूज़ के फॉर्मेट में  विज्ञापन इससे इन्हे अच्छाई कमाई तो हो रही है ,लेकिन चैनल की प्रतिष्ठा और टीआरपी लगता कम होती जा रही है। इसका असर चैनल को मिलाने वाले विज्ञापनों पर पड़ा हो वे लगातार कम होती जा रहे  है। यानी पैसा भी जा रहा है और प्रतिष्ठा भी जा रही है। देश के बड़ी गोदी मीडिया में आज तक का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।  दे। आज तक का जो वैल्यू सिस्टम था वह सम्समाप्त हो गया है। वही वजह है कि मीडिया जगत का सबसे बड़ा जहाज लगातार डूब रहा है। इसका दुःख सबको है। 

खेल खेल में बच्चे ने निगली चार सेंटीमीटर सुई, एम्स के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर बचाई जान

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आ रहा है। दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में एक सात साल के बच्चे द्वारा कपड़े सीलने वाली सुई को निगलने का मामला सामने आया है। एम्स में चुंबक की मदद से सात साल के बच्चे की छाती में कपड़े सीलने वाली फंसी हुई सुई को निकाला गया। बच्चा खेल खेल में इस सुई को निगल गया। बच्चे को जिसके पश्चात तेज बुखार चढ़ गया और साथ ही उसको तेज खांसी भी हुई, जिसकी वजह से बच्चे के मुँह से खून भी आने लगा। बच्चे की माँ को यह सब भट अजीब सा लग रहा था वो तुरंत बच्चे को अस्पताल ले गयी, जहां बच्चे की छाती का एक्सरे करने पर यह सामने आया की उसकी छाती में एक चार सेंटीमीटर की सुई फंसी हुई दिखाई दी। यह देखकर डॉक्टरों के होश उड़ गए। सुई छाती में फंसी होने की वजह से छाती को अंदर से लगातार घायल कर रही थी, उसको तुरंत निकलना जरुरी था, नहीं तो बच्चे की जान जा सकती थी। बच्चे को पहले एक निजी अस्पताल में लाया गया था जहां से उसको एम्स के लिए रेफर कर दिया गया।

एम्स लाने के बाद पहले तो बच्चे की पूरी तरह से जांच की गई। उसके तुरंत बाद बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग की टीम ने बच्चे के बाएं फेफड़े में गहराई से धंसी बड़ी सिलाई मशीन की सुई को निकालने का निर्णय लिया। लेकिन निर्णय लेना काफी नहीं था सबके सामने अब एक बड़ी चुनौती थी फेफड़े में गहराई से धंसी हुई सुई को निकालना। चुकी, सर्जिकल उपकरण की मदद से सुई को निकाला नहीं जा सकता था। समस्या की गंभीरता को देखते हुए विभाग के डॉ. विशेष जैन और डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव के नेतृत्व में सर्जिकल टीम तैयार हुई। इस सर्जरी के लिए काफी देर तक प्लान तैयार होता रहा। इसके बाद डॉ. जैन एक करीबी परिचित के पास पहुंचे, जिसने उन्हें उसी शाम को तुरंत, चांदनी चौक बाजार से एक शक्तिशाली चुंबक उपलब्ध करवाया। करीब चार मिमी चौड़ाई और 1.5 मिमी मोटाई वाला विशेष चुंबक की मदद से सर्जरी का उपकरण बनाने कर फैसला लिया गया।

कठिन थी सर्जरी

प्लान बनने के तुरंत बाद ही दोनों डॉक्टरों ने तकनीकी अधिकारी सत्य प्रकाश के साथ मिलकर सर्जरी के लिए योजना बनाई। जिसमे फैसला लिया गया कि उपकरण को गले के रास्ते फेफड़े के उस हिस्से तक पहुंचाएंगे जहां सुई फंसी हुई है। इसके लिए पहले जबड़े को सुरक्षित करने के लिए उपकरण लगाया गया। तत्पश्चात चुंबक को धागे और एक रबर बैंड की मदद से उपकरण में बांधकर सुरक्षित रूप से चिपका दिया गया था। उपकरण की पहले अच्छी तरह से जांच की गई।  उसके बाद मरीज को एनेस्थीसिया दिया गया। टीम ने बाएं फेफड़े के भीतर सुई के स्थान का आकलन करने के लिए स्वाँस नली की एंडोस्कोपी शुरू की। इस दौरान उन्हें जो मिला वह केवल सुई की नोक थी, जो फेफड़ों के अंदर गहराई तक पहुंच गई है, और उस हिस्से को नुकसान पहुँचा रही है। उसके बाद उस चुंबक वाले उपकरण को सावधानीपूर्वक मुंह के रास्ते फेफड़ों तक डाला गया। कड़ी मेहनत के बाद चुंबकीय बल की मदद से फंसी सुई को निकाल लिया गया।

मां ने दिखाई समझदारी

दरअसल दिल्ली स्थित सीलमपुर में रहने वाले इस सात साल के बच्चे को रविवार को बुखार आया। बच्चे की माँ को लगा की सामान्य बुखार होगा। लेकिन अगले ही दिन जब  खांसी के साथ खून भी आया। यह देख माँ का माथा ठनका और बच्चे की मां ने इस मामले में समझदारी दिखाई और उसे तुरंत अस्पताल ले आई। बुधवार को एक्सरे की जांच में सुई का पता चला, जिसके बाद डॉक्टरों की सलाह के पर उसे बृहस्पतिवार को एम्स लाया गया। यहां शुक्रवार को बच्चे की सर्जरी होने के बाद शनिवार को छुट्टी दे दी जाएगी। फ़िलहाल, बच्चा अब पुरी तरह से ठीक है।

PUBLISHED BY: प्रिया गोयल