Tuesday, May 7, 2024
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Tv Today Network – क्यों डूब रहा है मीडिया जगत का टाइटेनिक आज तक ? 

– राजेंद्र स्वामी

पिछले दो दिन से मेरे कई साथी पत्रकारों के मेरे पास फ़ोन आये ,जिसमें मुझसे पूछा जा रहा था की आज तक क्या बंद होने वाला है ?  मैंने हैरानी से पूछा आपको किसने कहा ? उसने कहा सूना था और पिछले दो दिन से मीडिया में खबरें भी है की TV Today Network  की हालत खस्ता है, सोशल  मीडिया और कुछ बड़े अखबारों में भी खबरें छपी है आज तक की हालत पतली है ? 

में भी आज तक से एक दशक से जुड़ा रहा हूँ और वहां क्या चल रहा है की इसकी जानकारी भी है और अहसास और अनुभव भी है। आज तक से जुड़े मेरे जैसे कई पत्रकार यह तो यह मान रहे थे की अब “आज तक”पहले जैसा चॅनेल नहीं रहा। अब इसकी उलटी गिनती शुरू हो गयी है ,लेकिन इसकी हालत इतनी जल्दी इतनी नाजुक हो जायेगी ,यह जरूर चौंकाने वाला है। भला कौन यकीन कर सकता है  कि 10 वर्षों से ज्यादा समय तक देश का नंबर -1 चैनल बना रहने वाला TRP में पांचवें नंबर पर पहुंच जाएगा ? कौन अनुमान लगा सकता था कि उसका मुनाफा 64 % तक घटकर 19.72 करोड़ से घटकर केवल 7. करोड़ कम हो जाएगा। इसके शेयर 214 से घटकर 192 तक लुढ़क जायेंगे ? लेकिन ऐसा हो गया है। चैनल की साख खत्म हो रही  है टीआरपी तेज़ी से घटी है और विज्ञापन से होने वाली कमाई घट रही है। 

इन खबरों से मुझे बहुत दुःख हुआ है। मैंने आज तक के लिए एक दशक से भी ज्यादा समय तक पत्रकार के रूप में काम किया है। मुझे पत्रकारिता के क्षेत्र में जो थोड़ी बहुत पहचान मिली उसमें आज तक का बहुत बड़ा योगदान है। मुझे गर्व होता था की में देश के नंबर -1 न्यूज़ चॅनेल से जुड़ा हूँ,जिसमें काम करना किसी भी उदयमान पत्रकार के लिए एक सपना है ,किसी भी पत्रकार और कर्मचारी के लिए यह सम्मान की बात थी वह आज तक में काम कर रहा है। अब वह बात नहीं रही , यहाँ के पत्रकारों में चिंता है की मैनेजमेंट इस चुनौती से कैसे निपटेगा ? किस किस की नौकरी जाने वाली है। 

आज तक की इस हालत पर मुझे अफ़सोस भी है और दुःख भी है। लेकिन क्योकि में आज तक से जुड़ा रहा हूँ तो मुझे  यह भी अहसास है की आज तक की ऐसी दयनीय हालत क्यों और कैसे हुयी ? मुझे जब आज तक से बतौर स्ट्रिंगर जुड़ा था तो मेरी किसी से सिफारिश नहीं की थी बल्कि आज तक के कुछ पत्रकार ही मुझे आज तक में लेकर गए। मुझे यह भी याद है की एक दशक पहले मुझे आज तक से करीब 50 से 60 हज़ार रुपये प्रतिमाह तक मिल जाते थे। दिल्ली आज तक में शायद  हो कोई दिन होगा जब मेरी दो तीन खबर  दिल्ली आज तक पर न चलती हो। सभी एरिया रिपोर्टर दिन रात भागदौड़ करते थे, Assingment पर बैठे लोग और बॉस खूब भागते थे ,सबकी खबरें चलती थी तो सबको अच्छा भी लगता था। यह वही दौर था जब आज तक एक दशक से भी ज्यादा समय तक देश का नंबर -1 चैनल बना हुआ था,हर लिहाज़ से टीआरपी में भी और मुनाफे में  भी। 

लेकिन पिछले 4-5 साल में परिस्ठियाँ बदली है। आज मेरी स्ट्रिंगर्स  साथी जानते है की अब न उन्हें पैसा ज्यादा मिलता है और ना ही उनकी खबरें ही दिखाई देती है। अब स्ट्रिंगर्स  का काम केवल सूचना देना भर रह गया है। दिल्ली आज तक के बंद  होने के बाद तो जैसे खबर रह  ही नहीं गयी है।  कहने को तो दिल्ली तक शुरू किया है लेकिन चैनल को खोलकर देखेंगे तो लगता इसमें केवल आम आदमी पार्टी की ही खबरें चलती नजर आती है।  नेशनल में मोदी – मोदी चलता है और दिल्ली स्टेट  में आम आदमी पार्टी। कांग्रेस पार्टी तो जैसे बीते दिनों की बात हो गयी। आप इसके डिजिटल प्लेटफार्म को देख लीजिये यदि महीने में एक दो खबर भी नजर आ  जाये तो बड़ी बात होगी।  यही वजह  है की जनता ने इसे देखना बंद कर दिया है और इसकी टीआरपी और इसकी साख तेज़ी से निचे गिर रही है। इसका असर चॅनेल को मिल रहे विज्ञापनों पर पड़ रहा है। इसका मुनाफा 64 % घट गया। 

चैनल की इस हालत के लिए मैनेजमेंट ही जिम्मेदार है। मुझे याद है जब में आज तक से जुड़ा था तो वहां स्ट्रिंगर्स का भी सम्मान होता था। साल में दो तीन बड़ी मीटिंग होती थी और स्ट्रिंगर्स उस मीटिंग का महत्वपूर्ण हिस्सा होता था। अच्छे रिपोर्टर्स और पत्रकार का सम्मान होता था। लेकिन अब हालत यह है की इसकी सुरक्षा ऐसी है की संसद भवन की भी क्या  होगी। यदि कोइ बड़ा अधिकारी और पत्रकार भी अपना आईकार्ड लाना भूल जाये तो उसके लिए अपने ही ऑफिस में प्रवेश करना भी किसी कोइ आसान काम नहीं  है।  स्ट्रिंगर्स की तो बात ही छोड़ दीजिये, दिल्ली आज तक और दिल्ली आज तक के सीनियर्स उनके साथ सड़क पर किसी चाय की दूकान पर बैठकर मीटिंग लिया करते थे। जब भी स्ट्रिंगर्स अपनी समस्या बताते थे तो उनके पास आश्वाशन देने के अलावा कोइ जबाब नहीं होता था। उनकी शिकायतें कम होने की बजाये बढ़ती चली गयी नतीजा ज्यादातर अच्छे रिपोर्टर्स और स्टिंगर्स ने भी आज तक को नमस्ते कर दिया। और जो अभी भी नाम मात्र के लिए जुड़ें हुए है  वे विकल्प तलाश रहे है। चैनल में जो टीम भावना थी वह उसकी ताकत थी ,अब यह ताकत तार तार हो गयी है। अब यहाँ कई ग्रुप बन गए है जिनका दिमाग अपने लोगों को लाने और दूसरे ग्रुप के लोगों को निपटाने में ही लगा रहता।  सब अपनी नौकरी बचाने में लगे  हुए है। 

जब से मैनेजमेंट में टॉप के चार पांच लोग चैनल छोड़कर गए है तब से चैनल में  पत्रकार और कर्मचारी तनाव में काम कर रहा है। चैनल की  ही एक बड़े पत्रकार ने मुझसे कहा ” यहाँ मैनेजटमेंट और एचआर का दखल एडिटोरियल यानी सम्पादकीय विभाग में ज्यादा  हो हो रहा  है। इस लिए असाइनमेंट से लेकर आउटपुट तक सभी उनके हिसाब से काम कर रहे है। डर के मारे वे चैनल में  हज़ारी तो लगते है लेकिन अपना दिमाग नहीं लगा रहे है। बकौल एक सीनियर अधिकारी के “इनके पास रचनात्मकता और  दूरदर्शिता का अभाव है।” चैनल में 90 % खबरें ANI से ली हुयी चल रही है। चैनल के अपने सोर्स की खबरें रह ही नहीं गयी है। आज तक भी वही चलता  है जो बाकी के चैनल चलते है। ऐसे में भला कोई क्या चैनल को देखे ? केवल एंकर का ही फर्क है , चैनल में एंकर अभी रिपोर्टर की भूमिका भी निभा रहे है। मानवीय एंगल  और सॉफ्ट खबर से तो जैसे कोई सरोकार ही नहीं रह गया है। पैसों के चक्कर में खबर ही उड़ा दी जाती है। उन्हें एचआर बताता है की क्या करना है। 

टीवी टुडे नेटवर्क ने डिजिटल पर ज्यादा फोकस किया है। इसमें  भारी भरकम वेतन पर लोगों को भर लिया है। इसमें खर्च ज्यादा है और आय कम। इसमें भी जमीन और जनहित से जुड़ीं खबरे कम होती है। चैनल का  ज्यादातर दिमाग इवेंट में लग रहा है। चैनल मीडिया हाउस  कम ,बल्कि कॉर्पोरेट बिजनेस हाउस ज्यादा बन कर रह गया है। न्यूज़ के फॉर्मेट में  विज्ञापन इससे इन्हे अच्छाई कमाई तो हो रही है ,लेकिन चैनल की प्रतिष्ठा और टीआरपी लगता कम होती जा रही है। इसका असर चैनल को मिलाने वाले विज्ञापनों पर पड़ा हो वे लगातार कम होती जा रहे  है। यानी पैसा भी जा रहा है और प्रतिष्ठा भी जा रही है। देश के बड़ी गोदी मीडिया में आज तक का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है।  दे। आज तक का जो वैल्यू सिस्टम था वह सम्समाप्त हो गया है। वही वजह है कि मीडिया जगत का सबसे बड़ा जहाज लगातार डूब रहा है। इसका दुःख सबको है। 

खेल खेल में बच्चे ने निगली चार सेंटीमीटर सुई, एम्स के डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर बचाई जान

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आ रहा है। दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल में एक सात साल के बच्चे द्वारा कपड़े सीलने वाली सुई को निगलने का मामला सामने आया है। एम्स में चुंबक की मदद से सात साल के बच्चे की छाती में कपड़े सीलने वाली फंसी हुई सुई को निकाला गया। बच्चा खेल खेल में इस सुई को निगल गया। बच्चे को जिसके पश्चात तेज बुखार चढ़ गया और साथ ही उसको तेज खांसी भी हुई, जिसकी वजह से बच्चे के मुँह से खून भी आने लगा। बच्चे की माँ को यह सब भट अजीब सा लग रहा था वो तुरंत बच्चे को अस्पताल ले गयी, जहां बच्चे की छाती का एक्सरे करने पर यह सामने आया की उसकी छाती में एक चार सेंटीमीटर की सुई फंसी हुई दिखाई दी। यह देखकर डॉक्टरों के होश उड़ गए। सुई छाती में फंसी होने की वजह से छाती को अंदर से लगातार घायल कर रही थी, उसको तुरंत निकलना जरुरी था, नहीं तो बच्चे की जान जा सकती थी। बच्चे को पहले एक निजी अस्पताल में लाया गया था जहां से उसको एम्स के लिए रेफर कर दिया गया।

एम्स लाने के बाद पहले तो बच्चे की पूरी तरह से जांच की गई। उसके तुरंत बाद बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग की टीम ने बच्चे के बाएं फेफड़े में गहराई से धंसी बड़ी सिलाई मशीन की सुई को निकालने का निर्णय लिया। लेकिन निर्णय लेना काफी नहीं था सबके सामने अब एक बड़ी चुनौती थी फेफड़े में गहराई से धंसी हुई सुई को निकालना। चुकी, सर्जिकल उपकरण की मदद से सुई को निकाला नहीं जा सकता था। समस्या की गंभीरता को देखते हुए विभाग के डॉ. विशेष जैन और डॉ. देवेन्द्र कुमार यादव के नेतृत्व में सर्जिकल टीम तैयार हुई। इस सर्जरी के लिए काफी देर तक प्लान तैयार होता रहा। इसके बाद डॉ. जैन एक करीबी परिचित के पास पहुंचे, जिसने उन्हें उसी शाम को तुरंत, चांदनी चौक बाजार से एक शक्तिशाली चुंबक उपलब्ध करवाया। करीब चार मिमी चौड़ाई और 1.5 मिमी मोटाई वाला विशेष चुंबक की मदद से सर्जरी का उपकरण बनाने कर फैसला लिया गया।

कठिन थी सर्जरी

प्लान बनने के तुरंत बाद ही दोनों डॉक्टरों ने तकनीकी अधिकारी सत्य प्रकाश के साथ मिलकर सर्जरी के लिए योजना बनाई। जिसमे फैसला लिया गया कि उपकरण को गले के रास्ते फेफड़े के उस हिस्से तक पहुंचाएंगे जहां सुई फंसी हुई है। इसके लिए पहले जबड़े को सुरक्षित करने के लिए उपकरण लगाया गया। तत्पश्चात चुंबक को धागे और एक रबर बैंड की मदद से उपकरण में बांधकर सुरक्षित रूप से चिपका दिया गया था। उपकरण की पहले अच्छी तरह से जांच की गई।  उसके बाद मरीज को एनेस्थीसिया दिया गया। टीम ने बाएं फेफड़े के भीतर सुई के स्थान का आकलन करने के लिए स्वाँस नली की एंडोस्कोपी शुरू की। इस दौरान उन्हें जो मिला वह केवल सुई की नोक थी, जो फेफड़ों के अंदर गहराई तक पहुंच गई है, और उस हिस्से को नुकसान पहुँचा रही है। उसके बाद उस चुंबक वाले उपकरण को सावधानीपूर्वक मुंह के रास्ते फेफड़ों तक डाला गया। कड़ी मेहनत के बाद चुंबकीय बल की मदद से फंसी सुई को निकाल लिया गया।

मां ने दिखाई समझदारी

दरअसल दिल्ली स्थित सीलमपुर में रहने वाले इस सात साल के बच्चे को रविवार को बुखार आया। बच्चे की माँ को लगा की सामान्य बुखार होगा। लेकिन अगले ही दिन जब  खांसी के साथ खून भी आया। यह देख माँ का माथा ठनका और बच्चे की मां ने इस मामले में समझदारी दिखाई और उसे तुरंत अस्पताल ले आई। बुधवार को एक्सरे की जांच में सुई का पता चला, जिसके बाद डॉक्टरों की सलाह के पर उसे बृहस्पतिवार को एम्स लाया गया। यहां शुक्रवार को बच्चे की सर्जरी होने के बाद शनिवार को छुट्टी दे दी जाएगी। फ़िलहाल, बच्चा अब पुरी तरह से ठीक है।

PUBLISHED BY: प्रिया गोयल

Acharya Narendra Dev’s birth anniversary : सोशलिस्टों के पितामह को नमन

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प्रोफेसर राजकुमार जैन

आज सोशलिस्टों के पितामह आचार्य नरेंद्र देव का 134 वां जन्मदिवस है। यूं तो आचार्य जी की शख्सियत को किसी एक लेख, किताब, भाषण से बयां नहीं किया जा सकता। उन पर अनेकों लेख किताबें भाषण छप भी चुके हैं। उनके व्यक्तित्व का कुछ उदाहरणो से ही पता चल जाता है, कि वह कितने बड़े महामानव थे।
17 मंई1934 को पटना में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना आचार्य जी की अध्यक्षता में ही हुई थी। महात्मा गांधी से जब श्री प्रकाश जी ने आचार्य जी का परिचय करवाया तो पहली मुलाकात में गांधी जी आचार्य जी से इतने प्रभावित हो गए और उन्होंने कहा, “
“श्रीप्रकाश तुमने ऐसे रत्न सरीखे व्यक्ति को कहां छुपा रखा था और मुझसे कभी उनके बारे में बताया भी नहीं।
यूं तो आचार्य जी ने बरतानिया हुकूमत की खिलाफत करते हुए कई साल जेल में बिताएं परंतु जब वे और पंडित जवाहरलाल नेहरू अहमदनगर किले जेल में बंद थे, उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरू ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ लिख रहे थे। जवाहरलाल जी ने पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है कि यह किताब आचार्य नरेंद्र देव तथा मौलाना आजाद की सहायता के बिना नहीं लिखी जा सकती थी। आचार्य नरेंद्र मेरे लिए एक एनसाइक्लोपीडिया साबित हुए।
उनके व्यक्तित्व के गहने प्रभाव की एक और मिसाल 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव की है। सुभाष चंद्र बोस उम्मीदवार थे, उधर गांधीजी के आशीर्वाद से सीतारमैया भी खड़े थे। सुभाष बाबू ने प्रस्ताव किया कि यदि आचार्य जी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाता है, तो मैं अपना नाम वापस ले लूंगा। गांधी जी भी सहमत थे परंतु अन्य कांग्रेसी जनों ने स्वीकार नहीं किया। आचार्य जी के इंतकाल पर जवाहरलाल नेहरू ने 20 फरवरी 1956 को राज्यसभा में खिराजे अकीदत पेश करते हुए कहा,
40 वर्ष से अधिक का समय गुजरा जब हम दोनों साथ हुए स्वतंत्रता संग्राम की धूल और धूप में तथा जेल जीवन की लंबी नीरवता में जहां हमने विभिन्न स्थानों पर चार या पांच साल मुझे वास्तविक अवधि इस समय याद नहीं आ रही है साथ बिताए हम अनगिनत अनुभवो और अनुभूतियों के सहयोगी रहे और जैसा की अवश्यंभावी था हम एक दूसरे को अंतरंग रूप से जानने और समझने लगे। इसलिए मेरे लिए और हम में से बहुत से अन्य लोगों के लिए उनका निधन एक दुखद हानि है।
आज की राजनीति जिसमें दल बदल कपड़े बदलने की तरह हो गया है। उसमें भी आचार्य जी ने हिंदुस्तान की सियासत में पहला उदाहरण उत्तर प्रदेश विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर दिखाया था। वे कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीते थे परंतु जब वे सोशलिस्ट पार्टी बनाकर उसमें शामिल हो गए तो नैतिकता के आधार पर आचार्य जी और उनके 11 सोशलिस्ट साथियों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
30 मार्च 1948 को उत्तर प्रदेश विधानसभा में अपने इस्तीफा की घोषणा करते हुए आचार्य जी ने कहा था
ैंमैने और मेरे ग्यारह साथियों ने आज असेम्बली से त्यागपत्र देने का निर्णय कर लिया है और कांग्रेस-असेम्बली पार्टी के नेता को अपना त्यागपत्र दे दिया है। मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि कांग्रेस से पृथक् होने का यह निर्णय हमारे जीवन का सबसे कठिन निर्णय है। बिना पूर्व विचार के हमने यह निर्णय सहसा नहीं किया है।
ब्रिटिश पार्लमेण्ट तथा अन्य व्यवस्थापिकाओं का इतिहास बताता है कि ऐसे अवसर पर लोग त्यागपत्र भी नहीं देते। हम चाहते तो इधर से उठकर किसी दूसरी ओर बैठ जाते। किन्तु हमने ऐसा करना उचित नहीं समझा। ऐसा हो सकता है कि आपके आशीर्वाद से निकट भविष्य में हम इस विशाल भवन के किसी कोने में अपनी कुटी का निर्माण कर सकें (हर्षध्वनि)। किन्तु चाहे यह संकल्प पूरा हो या नहीं, हम अपने से विचलित न होंगे। हम जानते हैं कि हमारे देश का यह युग निर्माण का है, न कि ध्वंस का । अतः हमारी आलोचना सदा इसी उद्देश्य से होगी। हम व्यक्तिगत आक्षेपों से सदा बचने का प्रयत्न करेंगे और हम किसी ऐसे विवाद में न पड़ेंगे। राजनीतिक जीवन को स्वस्थ और नीतिपूर्ण बनाने में हम अपना हाथ बढ़ाना चाहते हैं। इन बातों में महात्मा जी का उपदेश हमारा पथ-प्रदर्शन करेगा। हम आपको विश्वास दिलाना चाहते हैं कि हमने किसी विद्वेष और विरोध के भाव से प्रेरित होकर यह कार्य नहीं किया है। हममें किसी प्रकार की कटुता नहीं है। हमारे बहुत से साथी और सहकर्मी कांग्रेस में हैं और उनके साथ हमारा सम्बन्ध मधुर रहेगा। हम जानते हैं कि उनको भी हमारे अलग होने से दुःख पहुँचा है। हमारे समान राजनीतिक आदर्श तथा हमारी समान निष्ठा अब भी हमको एक प्रकार उनसे एक सूत्र में बाँधे रहेगी।
माननीय अध्यक्ष महोदय, आप एक कुटुम्ब के सम्मानित सदस्य होते हुए भी इस भवन के अन्य कुटुम्बों के अधिकारों की भी रक्षा करते हैं। अतः हम आपसे आशा करते हैं कि आप हमको आशीर्वाद देंगे कि हम अपने उद्देश्यों की पूर्ति में सफलता प्राप्त करें। हम आपके प्रति तथा कांग्रेस असेम्बली पार्टी के नेता माननीय पं. गोविन्द वल्लभ पन्त के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रदर्शित करते हैं।”
स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा,समाजवादी सिद्धांतों नीतियों कार्यक्रमों के मूल स्थापक, भारतीय संस्कृति के व्याख्याता, प्राचीन साहित्य. इतिहास, बौद्ध धर्म दर्शन तथा समाजवाद के पुरोधा इस प्रकांड पंडित आचार्य नरेंद्र देव के लिए हम नतमस्तक हैं।

Delhi Politics : दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए आफत लेकर आया है ईडी का समन 

केजरीवाल टीम को निपटाने में लगे पीएम मोदी !

केजरीवाल के खिलाफ जा रहा है मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत न मिलना 

तो आज की तारीख में केजरीवाल की ढाल बनते प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास जैसे नेता 

चरण सिंह राजपूत 

भ्र्ष्टाचार के मामले में देश के सभी दलों को कटघरे में खड़ा करने वाले अरविन्द केजरीवाल ने सपने में  भी नहीं सोचा होगा कि उन पर भ्र्ष्टाचार के ऐसे आरोप लगेंगे कि न केवल उनकी टीम बल्कि वह खुद भी परेशानी में पड़ जाएंगे। केजरीवाल कितना भी कट्टर ईमनादार होने का दावा करते फिरें पर कोर्ट से मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को जमानत न मिलना उनके लिए भारी पड़ रहा है। अब पीएम मोदी ने केजरीवाल को जेल भिजवाने की पूरी तैयारी कर ली है। 2 नवंबर को पेश होने को ईडी का समन केजरीवाल के लिए लेकर आफत लेकर आ रहा है। दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐसे ही केजरीवाल के साथ ही इंडिया गठबंधन के सभी नेताओं के जेल जाने की बात नहीं कही है। 

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई की गारंटी की बात ऐसे ही नहीं कही थी। दरअसल पीएम मोदी की राजनीति दूसरे प्रधानमंत्रियों से थोड़ी अलग है। मोदी अपने खिलाफ किसी की भी आवाज को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं। भले ही कांग्रेस उनके कब्जे में न आ रही हो पर क्षेत्रीय दलों के जो नेता उनके सामने आत्मसमर्पण नहीं कर रहे हैं वे उनके टारगेट पर हैं। चाहे बिहार में तेजस्वी यादव हों, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी हों, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन हों, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हों या फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की टीम। सभी को उन्होंने टारगेट पर ले रखा है। उत्तर प्रदेश में बसपा मुखिया मायावती और सपा मुखिया अखिलेश यादव खुलकर मोदी और योगी सरकार का विरोध नहीं कर रहे हैं तो वे अभी बच रहे हैं। 

अब तो ऐसा लगने लगा है कि जैसे आम आदमी पार्टी के दिग्गजों को मोदी ने पूरी तरह खत्म करने की ठान ली है। कहना गलत न होगा कि दिल्ली की आबकारी नीति के मनी लांड्रिंग मामले में मोदी आम आदमी पार्टी को ठिकाने में लग गए हैं। सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया के बाद संजय सिंह और अब सीबीआई पूछताछ के बाद खुद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को दो नवम्बर को ईडी के सामने पेश होने का समन जारी हुआ है। मतलब मोदी ने अरविन्द केजरीवाल को भी जेल भेजने की पूरी तैयारी कर ली है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के 338 करोड़ का हिसाब देने के बाद ही मनीष सिसोदिया को जमानत मिलने की बात कहने पर ईडी अब केजरीवाल को निपटाने में लग गई है। 

दरअसल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बाद यदि पीएम मोदी पर कोई सीधे हमले बोलता है वह केजरीवाल और उनकी टीम के नेता संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और राघव चड्ढा हैं। वैसे भी अरविन्द केजरीवाल एमसीडी चुनाव से लेकर दिल्ली में एलजी वीके सक्सेना के साथ वर्चस्व की लड़ाई के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र को सीधे ललकारते रहे हैं। 

दरअसल आज की  तारीख में जैसे बीजेपी अरविन्द केजरीवाल की टीम को  टारगेट कर रही है। ऐसे में प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास, कुमार आनंद, शाजिया इल्मी जैसे नेता केजरीवाल की ढाल बनते। पर परिवर्तन की इस टीम केजरीवाल, संजय सिंह और मनीष सिसोदिया ने इन नेताओं को आम आदमी पार्टी में टिकने ही नहीं दिया। वह बात दूसरी है कि इन लोगों को आम आदमी पार्टी को खड़ा करने में बहुत योगदान रहा था। मतलब जैसे केजरीवाल टीम अपने नेताओं को अपमानित कर पार्टी से बाहर किया ऐसे ही अब केजरीवाल टीम को अपमानित करने और जेल भैजने में बीजेपी लग गई है। 

दिल्ली में दो व्यक्तियों की एक जैसी हत्या से मचा हड़कंप,जानिए क्या है पूरी घटना 

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दिल्ली– राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से एक दिलदहला देने वाला मामला सामने आया है। दिल्ली स्थित सब्जी मंडी इलाके में एक युवक की बड़ी बेहरमी से हत्या कर दी गयी है। वही गीता कॉलोनी में भी 30 साल के शक्श की बेहरमी से हत्या कर दी गयी। सब्जी मंडी इलाके में हुई वारदात की बात करे तो युवक का कुछ लड़को से झगड़ा हो गया था इस दौरान कुछ लड़को द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया। घटना के पश्चात से ही सभी आरोपी फरार है। पुलिस ने सोमवार को 14 साल के आरोपी लड़के को पकड़ कर हिरासत में ले लिया है।

जानकारी के अनुसार, बाड़ा हिंदू राव अस्पताल से रविवार की रात को पुलिस को सुचना मिली थी की 16 साल के अरुण को यहाँ भर्ती करवाया गया है। उसके पेट में चाकू घोंपा हुआ है और इलाज के दौरान शख्स की मृत्यु हो गयी है।

क्या है हत्या की वजह

पुलिस के अनुसार, आरोपी युवक का दो दिन पूर्व मामूली बात को लेकर मृतक व्यक्ति का आरोपी युवक के साथ झगड़ा हुआ था। पुलिस ने बताया की इसी लड़ाई के चलते अपनी पिटाई का बदला लेने के लिए आरोपी ने रविवार को अरुण पर चाकू से हमला कर इस वारदात को अंजाम दिया। फ़िलहाल आरोपी को पकड़ लिया गया है। पुलिस ने बताया की पुरानी रंजिश के चलते आरोपी ने इस घटना को अंजाम दिया है। बता दे की आरोपी नाबालिक है और उसकी उम्र 14 साल है। सभी आरोपियों में से मुख्य आरोपी को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है जो कि नाबालिक है और पूरी वारदात का मुख्य आरोपी है। बाकि आरोपियों की तलाश अभी जारी है, पुलिस के मुताबिक जल्दी ही बाकि आरोपी भी हिरासत में होंगे।

दिल्ली के गीता कॉलोनी में युवक की चाकू मारकर हत्या

ऐसा ही एक और मामला दिल्ली स्थित गीता कॉलोनी से सामने आया है। यह रविवार की रात एक शख्स की चाकू खोंप कर बड़ी ही बेहरमी से हत्या कर दी गयी है। घटना के तुरंत बाद ही घटना को अंजाम देकर आरोपी घटनास्थल से फरार हो गया,घटना गीता कॉलोनी के एक पार्क की है। दिल्ली स्थित शाहदरा जिले के डीसीपी रोहित मीना के अनुसार, मृतक की उम्र 30 साल है। ऐसा प्रतीत होता है की आपसी रंजिश के चलते आपसी झगड़े के पश्चात 30 साल के शख्स की हत्या कर दी गयी है।

डीसीपी रोहित मीना के अनुसार, घटना की सुचना मिलते ही जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो पार्क के गेट पर ही मृतक की लाश पड़ी हुई मिली। बता दे की दोनों पक्षों के बीच झगड़ा हुआ था जिसके चलते आरोपी ने युवक को ताबड़तोड़ चाकू मारे जिसके बाद शक्श इस हमले में बुरी तरह से घायल हो गया और घटनास्थल पर ही उसकी मृत्यु हो गयी। पुलिस को मिली जानकारी के आधार पर आरोपी को गिरफ़्तार कर आगे की कार्यवाही की जाएगी। फ़िलहाल पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी है।

Publised By: प्रिया गोयल