Tuesday, January 21, 2025
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मानसून ब्लूज – जब बारिश का मौसम भी न लगे सुहाना

नीलम शुक्ला देवांगन
कुछ लोग बारिश शुरू होते ही उदास से हो जाते हैं। बारिश जैसा सुहावना मौसम भी बिल्कुल भी पसंद नहीं आता है। सुहाने मौसम में अगर आपकी सोच भी अपने आप नेगेटिव हो जाती है तो आप भी मानसून ब्लूज यानि सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर से ग्रसित हैं।
सायकोलॉजिस्ट डॉ सारिका बोरा कहती हैं कि अगर सब कुछ ठीक-ठाक हो और जीवन अच्छे से चल रहा हो उसके बावजूद भी कोई दुखी हो तो समझ लेना चाहिए कि वो सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर की गिरफ्त में है। खासकर बारिश के मौसम में यह समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। एक खास बात यह भी है कि यह समस्या महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। शोध बताते हैं कि इस मौसम में 40 फीसदी महिलाओं को यह समस्या होती है।
मौसम के साथ बदलता है मूड
अपोलो हॉस्पिटल के डॉ अभिषेक शुक्ला कहते हैं कि बारिश का मौसम कुछ लोग उदासी लेकर आता है। गर्मी के बाद जब बारिश आती है तो मानसून ब्लूज यानि सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर भी लाती है। इसके होने की खास वजह होती है बॉडी के अंदर मौजूद अम्ल मेलेनोसाइट स्टीम्युलेटी हार्मोन (एमएसएच) की मात्रा में बदलाव आना।

मूड होने लगता है स्विंग
इसके पीछे एक कारण धूप की रोशनी का सही तरीके न मिल पाना भी है। दरअसल सूरज की रोशनी हारमोंस इंड्रोपिंस और सिरोटिन का निर्माण तेजी से करती हैं, जिससे आप अच्छा फील करने लगते हैं।
रिसर्च से पता चला है कि सूरज की रोशनी कम होने और आसमान में काले बादल छाए रहने से हमारे दिमाग में सेरॉटोनिन केमिकल का निर्माण कम होता है, जिसका सीधा असर हमारे मूड पर पड़ता है। जब यह कम बनता है, तो मूड नॉर्मल नहीं रह पाता। इससे व्यक्ति को उदासी, बेचौनी और डिप्रेशन होने लगता है। कुछ लोगों पर यह केमिकल ज्यादा असर करता है और कुछ पर इसका कोई असर नहीं पड़ता।

मन पर पायें काबू
इस मौसम में कई लोगों के साथ ऐसा होता है जिससे आप इधर-उधर की बातों पर ज्यादा दिमाग लगाने लग जाते हैं। कभी ऐसा हो तो तुरंत ऐसी बातों के बारे में सोचने से खुद को बचाएं। अगर आप कोशिश करेंगे तो कोई भी काम आपके लिए ज़रूर से आसान हो जाएगा और आप अपनी कमजोरी को बड़े ही आसानी से पकड़ सकेंगे, जिसकी वजह से अक्सर आपका मूड स्विंग करते रहता है।

अपनी पसंद का करें काम
खराब मूड हो जाने पर आपके लिए बेस्ट होगा कि आप वही करें जो आपको करने में बहुत अच्छा लगता है। ऐसा करने से वाकई आपके मूड में बदलाव आएगा और आपकी सोच भी सकारात्मक होगी।

सूरज से करें प्यार
सूर्य के प्रकाश का आनंद उठायें। कई बार सूर्य आपकी त्वचा का दुश्मन होता है, परन्तु मानसून ब्लूज से बचने के लिए यह एक अच्छा डॉक्टर है। अपने मूड को हल्का बनाने के लिए सूर्य की रोशनी में 15 मिनिट तक वॉक करें।
संतुलित आहार लें
-अपने आहार में हरी सब्जियां, सलाद और फल शामिल करें।
-मौसमी फल जैसे- जामुन, चेरी, आलूबुखारे, लीची, अनार आदि, ये फल न केवल खाने में स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि विटामिन्स व पौष्टिकता से भरपूर भी होते हैं।
-सब्ज़ियों में लौकी, तुरई, करेले आदि को प्राथमिकता दें।
-एंटीबैक्टीरियल व एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर मसालों को भोजन में इस्तेमाल करें, जैसे- मेथीदाना, जीरा, हल्दी, दालचीनी, काली मिर्च ये बरसात में होनेवाले संक्रमण से बचाते हैं।

इसपर भी ध्यान दें
-मानसून ब्लूज से बचना है तो जमकर व्यायाम करें।
-कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद होना बहुत आवश्यक है। तो इस हिसाब से अपनी दिनचर्या बनायें।
-जब भी आप पूरी तरह थका हुआ महसूस करें तब दो गिलास पानी में ग्लूकोज
मिलाकर पीने से आपको ताजगी महसूस होगी।
-कैफीन और अल्कोहल के सेवन से भी मूड स्विंग्स हो सकते हैं अत: आपको इनका सेवन करना टालना चाहिए।
-सूप या जूस पीयें।
-हर्बल टी पीएं। इसमें अदरक, तुलसी, इलायची, पुदीना डालें। यह मानसून में होनेवाले फंगल व बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाती है |
-भोजन में शहद को ज़रूर शामिल करें। यह पाचन क्रिया को ठीक रखता है और कफ को भी रोकता है।
-मानसून में फिल्टर्ड और उबला हुआ पानी ही पीएं।
-वेजीटेबल सूप लें और उसमें लहसुन डालें।
-स्वस्थ रहने के लिए दलिया, चना और भुट्टे का भी सेवन कर सकते हैं।
-आप डिप्रेशन से बाहर आना चाहते हैं, तो बारिश से बचें नहीं बल्कि इसे एंजॉय करें। चारों तरफ फैली हरियाली को निहारें।
-खाने में न्यूट्रिशंस शामिल करें। ग्रीन टी, लेमन टी या सूप पीना भी आपको खुश कर देगा।
-संगीत सुनें, किताबें पढ़ें और सिनेमा देखें।
-बारिश में भीगने की इच्छा नहीं है, तो घर की खिड़की से बारिश का नजारा लें।
-दोस्तों के साथ वक्त बिताएं।

दिल्ली में टूटा इंडी गठबंधन, आप और कांग्रेस अलग अलग लड़ेगी चुनाव

आपकी पत्रिका
नई दिल्ली, 17 जुलाई 2024। दिल्ली में इंडी गठबंधन टूट गया है। कांग्रेस ने फैसला किया है कि वो दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। इससे बीजेपी के दावे सही साबित हुए कि यह गठबंधन चुनाव के बाद टूटेगा। इसकी शुरुआत दिल्ली से हो गई है।
दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव के मुताबिक कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने जा रही है। गरीब, मध्यम वर्ग, पिछड़ा, एससी, एसटी, अल्पसंख्यक वर्ग समेत मजदूर, रेहड़ी-पटरी, खोमचा वाले, युवा वर्ग और महिलाएं बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी के कारण भाजपा और आम आदमी पार्टी से परेशान हो चुकी है।
कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया कि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। कांग्रेस का यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी से उनका कोई गठबंधन नहीं होगा। दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक था। सातों लोकसभा सीटों पर हार के बाद आम आदमी पार्टी पहले ही दिल्ली में गठबंधन नहीं करने की बात कह चुकी है। अब कांग्रेस ने भी स्पष्ट किया है कि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।
जैसा कि आपको ज्ञात है कि इंडी गठबंधन के अंतर्गत लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक साथ आए थे। बावजूद इसके गठबंधन को दिल्ली की सभी सातों लोकसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा।

किसानों का फरमान – शंभू बॉर्डर की बेरिकेटिंग हटते ही करेंगे दिल्ली की ओर कूच, 6 महीने के राशन पानी के साथ तैयार हैं किसान

दिल्ली दर्पण
नई दिल्ली, 16 जुलाई 2024। एक पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को बैरिकेड्स हटाने का निर्देश दिया है वही दूसरी ओर किसानों ने फैसला किया है कि जैसे ही बैरिकेडिंग हटेगी वो शंभू बॉर्डर से दिल्ली की तरफ कूच करेंगे।
हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों ने ऐलान किया है कि वे शंभू बॉर्डर खुलने पर दिल्ली कूच करेंगे। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने ऐलान करते हुए कहा कि हम पहले से ही दिल्ली की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन हरियाणा पुलिस ने इस फरवरी में हमें शंभू सीमा पर बैरिकेड्स लगाकर रोक दिया। पर अब हाईकोर्ट के आदेश से बेरीकेट्स खोले जायेंगे और है दिल्ली कूच करेंगे। अमृतसर-दिल्ली हाईवे 13 फरवरी से शंभू में बंद है और लोगों को गंतव्य तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग अपनाने पड़ रहे हैं। शंभू बॉर्डर पर बहुत सारे किसान और उनका सामान डटा हुआ है।
बता दें कि किसान 13 फरवरी से शंभू बॉर्डर पर बैठे हैं। हरियाणा पुलिस ने किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए बॉर्डर पर भारी बैरिकेडिंग कर रखी है। अब 10 जुलाई को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को हाईवे खोलने के निर्देश दिए थे। हालांकि, हरियाणा सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है।

दिल्ली को मिली मोहल्ला बस सर्विस की सौगात, जानें क्या है रूट? कहां है डिपो और कितना लगेगा किराया?

नई दिल्ली, 16 जुलाई 2024। दिल्ली सरकार ने मोहल्ला बस सर्विस शुरू की है। इन बसों को लेकर आम लोगो में काफी उत्सुकता है कि आखिर मोहल्ला बस है क्या? किन-किन रूट पर ये बसें चलेंगी और इनमें सफर करने के लिए कितना देना होगा किराया। अगर आप भी इन सवालों के जवाब जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक पढ़े।
दरअसल दिल्ली में बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट और कनेक्टिविटी के लिए मोहल्ला बसों की शुरुआत कर दी गई है। खास बात यह कि इन बसों में महिलाएं टिकट फ्री सफर कर सकेंगी।दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार में परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने हरी झंडी दिखाकर मोहल्ला बस सर्विस के पहले ट्रायल की शुरुआत की। इस सर्विस के तहत कुल 2180 मिनी इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। यह बसें 10 से 12 किलोमीटर तक के रूट पर चलेगी। मोहल्ला बस 196 किलोवाट की कुल क्षमता वाले छह बैटरी पैक से चलेंगी। इसमें डीटीसी की 1,040 और डिम्ट्स की 1,040 बसें शामिल हैं।
9 मीटर की इन छोटी बसों को लास्ट माइल कनेक्टिविटी को ध्यान में रखकर चलाया जाएगा। ये बसें पूरी तरह से एयर कंडीशन वाली हैं। इन बसों को सीमित सड़क चौड़ाई और ज्यादा भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में नेविगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। इन मोहल्ला बसों की अधिकतम रूट लंबाई 10 किमी है।

विवादों में बुराड़ी का केदारनाथ मंदिर, उत्तराखंड में क्यों हो रहा है मंदिर निर्माण का विरोध?

नई दिल्ली, 15 जुलाई 2024। दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर विवाद बढ़ गया है। केदारनाथ धाम से जुड़े पंडित-पुरोहित इस निर्माण से नाराज हैं। इस बीच उत्तराखंड की धामी सरकार ने बयान जारी किया है कि धाम कहीं नहीं बन सकता है। दिल्ली का मंदिर प्रतीकात्मक है। आइए जानते है दिल्ली का यह केदारनाथ मंदिर विवादों में घिरा हुआ है। आखिर केदारनाथ की तर्ज क्यों बन रहा है मंदिर और पूरा विवाद क्या है?
दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर के तर्ज पर मंदिर बनाने पर विवाद उतना नही था। विवाद तब बढ़ा जब उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इसका भूमि पूजन किया। वही इस बीच श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट बुराड़ी (दिल्ली) के अध्यक्ष सुरिंदर रौतेला ने स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर बन रहा है, न कि केदारनाथ धाम। ट्रस्ट इसका निर्माण करा रहा है। उत्तराखंड सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ट्रस्ट के अनुरोध पर इस मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। वह हमारे निजी अनुरोध पर दिल्ली आए थे। दिल्ली के ट्रस्ट से भी उत्तराखंड सरकार का कोई सरोकार नहीं है। यह ट्रस्ट सदस्यों के सहयोग से चल रहा है, जिनमें अधिकांश लोग उत्तराखंड के हैं।
लेकिन दिल्ली के बुराड़ी में बाबा केदार का प्रतीकात्मक मंदिर बनाने को लेकर उत्तराखंड में विरोध के सुर तेज हो गए हैं। केदारनाथ धाम से लेकर पूरी केदार घाटी में इसे लेकर नाराजगी व्याप्त है, पुजारियों में भी नाराजगी है। अब दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर पर उत्तराखंड प्रदेश सरकार ने हस्तक्षेप किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बद्री केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष को जरूरी दिशा निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री धामी ने दिल्ली में बन रहे मंदिर विवाद में बोलते हुए स्‍पष्‍ट किया है कि दिल्ली में मंदिर बन रहा है धाम नहीं।
दरअसल केदारनाथ धाम ट्रस्ट बुराड़ी दिल्ली में केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर का निर्माण करवाया जा रहा है। पर इससे केदारनाथ धाम से जुड़े पंडित पुरोहितों और धर्मावलंबियों में गुस्सा है।
दरअसल इन सभी लोगों का कहना है कि केदारनाथ धाम से करोड़ों सनातन धर्मावलंबियों की आस्था जुडी हुई है। ऐसे में बाबा केदारनाथ का मंदिर कहीं और बनाना यह तीर्थ की मर्यादा के खिलाफ है, साथ ही धामों के प्रति लोगों की आस्था पर प्रहार भी है।
आपको बताते चले कि केदारनाथ मंदिर इंदौर में भी बना है। बदरीनाथ मंदिर मुंबई में है। इसके अलावा वैष्णो देवी, खाटू श्याम, गोल्ज्यू देवता, साई बाबा के मंदिर देश के विभिन्न हिस्सों में बने हैं। दरअसल यह मंदिर धार्मिक भावना के कारण बनाए जाते हैं। दिल्ली में केदारनाथ मंदिर भी इसी भावना से बन रहा है। यह धाम नहीं है। इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। कुछ लोग इसे गलत ढंग से परिभाषित कर राजनीतिक लाभ के लिए विवाद का विषय बना रहे हैं।