नई दिल्ली, 7 जुलाई 2024। दिल्ली एनसीआर के खुदरा बाजार में ज्यादातर सब्जियां 70 से 90 रुपए किलो बिक रही हैं। टमाटर तो शतक जड़ने को तैयार है।
देश में इस समय हरी सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। बरसात में सलाद और सब्जियां शतक जड़ने की तैयारी कर रही हैं। ज्यादातर सब्जियां देश की राजधानी दिल्ली में 70 से 80 रुपये प्रति किलो के भाव पर पहुंचकर हुंकार लगाने लगी हैं। बताया जा रहा है कि देश भर में अभी हाल के दिनों तक भीषण गर्मी की वजह से थोक मंडियों में सप्लाई कम हो गई। इस कारण दिल्ली में सब्जियों की कीमत आसमान पर चढ़ने की तैयारी कर रहा है।
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में फलों और सब्जियों की प्रमुख आपूर्तिकर्ता मदर डेयरी अपने खुदरा बिक्री केंद्र पर ज्यादातर सब्जियों की दर काफी ज्यादा है। पहाड़ी इलाकों के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में हाल ही में भीषण गर्मी पड़ने से सब्जियों की उपज प्रभावित हुई है।
हरी सब्जियों के साथ आलू प्याज भी महंगा हो गया है।मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि टमाटर का ऑल इंडिया एवरेज प्राइस 58.25 रुपये प्रति किलोग्राम रहा। देश में इस समय टमाटर की अधिक से अधिक कीमत 130 कम से कम 20 रुपये किलो दर्ज की गई है। टमाटर के अलावा आलू और प्याज की खुदरा कीमतों में भी उछाल देखा जा रहा है। आलू और प्याज की इंडिया एवरेज रिटेल प्राइस क्रमशः 35.34 रुपये प्रति किलोग्राम और 43.01 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई हैं।
दिल्ली एनसीआर में सब्जियों की कीमतें छू रही है आसमान, किचन से गायब हुई सब्जियां
दिल्ली एनसीआर में दिमाग खाने वाली अमीबा का एलर्ट, रेयर पर खतरनाक रोग
नई दिल्ली, 6 जुलाई 2024। केरल के कोझिकोड में दिमाग खाने वाले अमीबा ने एक 14 साल के बच्चे की जान ले ली। इसके बाद से दिल्ली एनसीआर में एलर्ट जारी किया गया है। दिल्ली हरियाणा के जलाशयों में भी इसका संक्रमण पाया गया है।
केरल के मरने वाले मृदुल नाम के इस लड़के को एक छोटे तालाब में नहाने गया बाद संक्रमण हुआ था। इस बीमारी को अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस नाम से जानते हैं जो नेगलेरिया फाउलेरी नामक अमीबा की वजह से होती है। जब पानी के जरिये यह अमीबा शरीर में पहुंचता है तो महज चार दिन के अंदर यह इंसान के नर्वस सिस्टम यानी दिमाग पर वार करना शुरू कर देता है।
केरल में मामला सामने आने के बाद दिल्ली एनसीआर भी एलर्ट पर है क्योंकि उत्तर भारत की मिट्टी में यह अमीबा पाया जाता है। एम्स की माने तो साल 2015 में पहली बार नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने यह पता लगाया कि उत्तर भारत की मिट्टी में कई तरह का अमीबा मौजूद है जिनमें से नेगलेरिया फाउलेरी है जो अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस बीमारी का कारण है। डॉक्टरों ने साल 2012 से 2013 के बीच हरियाणा के रोहतक और झज्जर के 107 जलाशयों की जांच में इसका पता लगाया। 107 पानी के नमूनों में से 43 नमूनों में अमीबा मिला।
दिल्ली एम्स के मुताबिक, पारंपरिक सूक्ष्म जीव विज्ञानी जांच में अक्सर इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है। इसलिए पीसीआर के जरिए जल्द ही बीमारी की पहचान हो सकती है। इसे साबित करने के लिए दिल्ली एम्स ने देश का पहला अध्ययन अक्तूबर 2020 में प्रकाशित किया जिसमें 307 मरीज की पारंपरिक जांच में कोई भी इस बीमारी से संक्रमित नहीं मिला लेकिन पीसीआर जांच में तीन मरीज सामने आए।
दिल्ली एम्स के वरिष्ठ डॉ. शरत कुमार बताते है कि मिट्टी से होता हुआ यह नदी या तालाब में पहुंचता है जिसके संपर्क में, नहाने या फिर गोता लगाने से यह अमीबा नाक और मुंह के जरिये इन्सान के शरीर तक पहुंचता है। यह तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क में चला जाता है जिससे मस्तिष्क के ऊतकों में गंभीर सूजन होती है फिर ये उत्तक नष्ट होने लगते हैं। यह बीमारी कोरोना की तरह एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती। नेगलेरिया फाउलेरी एकल-कोशिका वाला जीव है। यह बहुत छोटा होता है इसलिए इसे सिर्फ माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भले ही इंसान का शरीर नेगलेरिया फाउलेरी के प्रति संवेदनशील है, फिर भी यह अमीबा संक्रमण अत्यंत दुर्लभ होता है। कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र, नासिका अथवा साइनस की दीर्घकालिक समस्या, गर्म या फिर ताजा जल के संपर्क में आना जैसे कुछ कारक इसकी आशंका को बढ़ा सकते हैं।
अगर एशिया की बात करें तो अकेले सबसे ज्यादा मामले पाकिस्तान, भारत और थाईलैंड में मिले हैं।
प्रांतीय प्रवासी एवं दलित विकास मंच और राष्ट्र रक्षा दल ने दिल्ली के सांसदो का किया स्वागत
नई दिल्ली 4 जुलाई 2024। प्रांतीय प्रवासी एवं दलित विकास मंच एवं राष्ट्र रक्षा दल के प्रधान गोपाल झा के नेतृत्व में दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में सांसदो एवं अन्य गणमान्य लोगों का स्वागत समारोह किया गया! इस मौके पर दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, बिहार की सांसद श्रीमती लवली आनंद और दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा का शाल और फूल मालाओं से स्वागत किया गया।
गोपाल झा ने स्वागत भाषण में दिल्ली में पिछले 30 सालों से रह रहे प्रवासियो के शोषण पर मौजूदा सरकार को आगे आने की चर्चा की। शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारी और औद्योगिक विकास को बढ़ावा न मिलने के बाद ज्यादा से ज्यादा प्रवासियो और पूर्वांचल लोगों की दिल्ली की ओर पलायन और फ़िर अपनी हिस्सेदारी के लिए संघर्ष को रेखाकित किया। उन्होने इन समस्याओं के निदान के लिए दिल्ली के सातों चुने गए भाजपा सांसदों की जिम्मेदारी के साथ ही बिहार से चुने हुए सांसदो की बहुत बड़ी भूमिका बताई।
सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि वह गोपाल झा को लंबे समय से जानते हैं। जमीनी स्तर पर काम करने वाले वे भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता है, उनके हर कदम से वे वाकिफ़ है इसलिए गोपाल झा के उठाए मुददो और समस्याओं पर दिन-रात साथ कोशिश कर पूरी करने के लिए खड़े रहेंगे। तिवारी ने इन समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए दिल्ली में एक बार भाजपा सरकार बनाने की अपील की।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली में रह रहे प्रवासियो के साथ वे खड़े हैं और उन्हें किसी भी प्रकार की जरूरत होने पर वह उनके लिए हमेशा आगे रहेंगे! उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों के समर्पण के कारण ही भाजपा के सातो सांसदों की जीत हुई है जबकि सांसद लवली आनंद ने अपने स्वागत में कहा कि मिथिलांचल की धरती से आने के कारण दिल्ली में रहने वाले मिथिलांचल और पूर्वांचल के लोगों के किसी भी तरह की आने वाले समस्याओं के साथ वे आवाज बनकर खड़ी रहेगी और सड़क से संसद तक इस मामले को पीछे नहीं रहने देगी। इस मौके पर अधिवक्ता गौतम चौबे, पूर्व आईएएस अधिकारी अरुण मिश्रा और राष्ट् रक्षा दल के सतीश पहलवान सहित अनेक लोग मौजूद थे।
एमसीडी ने मिलाया साई से हाथ, खेल में भी निकलेगा दिल्ली से बेस्ट टैलेंट
नई दिल्ली, 3 जुलाई 2024। एमसीडी और साई मिलकर खेलो इंडिया राइजिंग टैलेंट आइडेंटिफिकेशन यानी कीर्ति प्रोग्राम के जरिए दिल्ली में खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार करने के लिए कमर कस चुका है। भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) इसके लिए दिल्ली नगर निगम के प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले 24000 बच्चों का मूल्यांकन करेगा।
एमसीडी ने एक तरह से अपने स्कूल के बच्चों के बीच से बेस्ट स्पोर्ट्स टैलेंट निकालने की मुहिम शुरू की है। निगम के शिक्षा विभाग के मुताबिक इनके करीब 1535 से ज्यादा स्कूलों में पढ़ने वाले शारीरिक रूप से शरीर हृष्ट पुष्ट बच्चों को इस मूल्यांकन कार्यक्रम में ले जाया जा रहा है। इसमें जिन बच्चों का प्रदर्शन बेहतर होगा, इन्हें जोनल गेम्स में खेलने का मौका दिया जाएगा।
भारत को 2036 तक दुनिया के शीर्ष 10 खेल राष्ट्रों में से एक और 2047 तक शीर्ष पांच में शामिल कराने के उद्देश्य से केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय की ओर से देश भर में शुरू किए इस प्रोग्राम में दिल्ली में सबसे पहले एमसीडी ने साई के साथ हाथ मिलाया है। साई की इस स्कीम के साथ दिल्ली नगर निगम के हरेक जोन से दो-दो हजार बच्चे शामिल होंगे।
कुल 12 जोनों से 24000 बच्चों का साई मूल्यांकन करेगा कि कौन सा बच्चा किस खेल में कामयाब हो सकता है। कुल पांच खेलों में बच्चों का मूल्यांकन होगा। इनमें एथलेटिक्स, फुटबॉल, खो-खो, कबड्डी और वॉलीबॉल शामिल है। इसके लिए आठ जुलाई से तीन अगस्त तक जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में कार्यक्रम चलेगा। यहां हरेक जोन को दो-दो दिन दिए जाएंगे। इस मौके पर विभिन्न प्रकार से बच्चों का शारीरिक परीक्षण (फिजिकल टेस्ट) किया जाएगा।
साई की ओर बच्चों का मूल्यांकन करने के बाद निगम इनकी टीम बनाएगी। चयनित खिलाड़ियों को अक्तूबर में होने वाले जोनल, इंटर जोनल गेम्स में इन बच्चों को खेलने का मौका मिलेगा।
नया शिक्षा सत्र शुरू पर बिना प्रिंसिपल, टीचर के एमसीडी स्कूलों का हाल बेहाल
नई दिल्ली, 2 जुलाई 2024। स्कूल खुल गए हैं, स्कूलों में बच्चे भी पहुंच रहे हैं पर एमसीडी स्कूलों में न तो टीचर हैं न प्रिसिपल। ऐसे में बच्चो की पढ़ाई कैसे होगी यही चिंता अभिभावकों को परेशान कर रही है।
दिल्ली एमसीडी के सैकड़ों स्कूलों में प्रिंसिपल और टीचर्स की भारी कमी है। एक ही क्लासरूम में एक से अधिक सेक्शन के बच्चे बैठ रहे हैं। इतना ही नहीं एमसीडी स्कूल शिक्षकों की भारी कमी से भी जूझ रहे हैं। जिससे 6.50 लाख से ज़्यादा छात्र प्रभावित हैं। पदोन्नति और भर्ती प्रयासों का उद्देश्य संकट को दूर करना है, लेकिन नए दाखिलों के कारण समस्या और भी गंभीर हो गई है, जिससे चुनौतियां बनी हुई हैं। साथ ही टीचर्स को भी कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एमसीडी के 1534 स्कूलों में 6.50 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं। इक्का-दुक्का स्कूलों को छोड़कर ज्यादातर स्कूलों में टीचर्स की भारी कमी है।
इतना ही नहीं पिछले एक साल के दौरान लगभग एक हजार टीचर्स टीजीटी प्रमोट होकर चले गए। एमसीडी स्कूलों में लगभग 800 स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं। फिलहाल इन स्कूलों में सीनियर टीचर्स को स्कूल इंचार्ज बनाया हुआ है। स्कूल खुलने के बाद एजुकेशन विभाग इन टीचर्स को प्रिंसिपल बनाने जा रहा है। इससे टीचर्स की संख्या और कम हो जाएगी। हालत यह है कि ज्यादातर स्कूलों में एक टीचर को दो सेक्शन के बच्चों को भी पढ़ाना पड़ रहा है।
पहली जुलाई से स्कूल खुलते ही इन स्कूलों में नए बच्चों के दाखिले भी शुरू हो गए हैं। एडमिशन प्रक्रिया पूरी होने तक लगभग 1.50 लाख बच्चे और बढ़ जायेंगे। ऐसे में सभी बच्चो को समान शिक्षा कैसे मिलेगी ये यक्ष प्रश्न है