दिल्ली जैसे शहर में त्योहारों के मौसम का मतलब सिर्फ सजावट, मिठाइयाँ और उमंग नहीं होता — इसका मतलब होता है सड़क पर बढ़ती भीड़, बसों में ठसाठस यात्रियों की भीड़, और ट्रैफिक में सांसें रोकने जैसी हालात। हर साल की तरह इस बार भी दिवाली और छठ के मौके पर दिल्ली की गलियाँ जगमग हैं, पर एक चीज़ है जो नहीं बदली — दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) की बस सेवा।
दिल्ली नगर निगम की पूर्व नेता और बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री रेखा गुप्ता ने इस मुद्दे पर सख्त टिप्पणी की है। उनका कहना है कि “त्योहारों में लोगों की आवाजाही कई गुना बढ़ जाती है, लेकिन DTC की बसें उसी पुराने रूटीन पर चल रही हैं। न बसों की संख्या बढ़ी, न फ्रीक्वेंसी, और न ही यात्रियों की सुविधा का कोई इंतज़ाम किया गया है।”
त्योहारों का मौसम, लेकिन सफर मुश्किल
दिल्ली के हर कोने से लोग मंदिरों, बाजारों, घाटों और रिश्तेदारों के घरों की ओर निकल रहे हैं। सुबह से लेकर देर रात तक बस स्टॉप्स पर लंबी कतारें लगी रहती हैं। कुछ बसें आती हैं तो पहले से इतनी भरी होती हैं कि लोग चढ़ नहीं पाते। महिलाएँ और बुजुर्ग तो अक्सर एक के बाद एक बस जाने देते हैं क्योंकि अंदर पैर रखने की जगह तक नहीं होती।
रेखा गुप्ता का कहना है कि “सरकार को पहले से पता होता है कि त्योहारों के दौरान भीड़ बढ़ेगी। ऐसे में अस्थायी बस सेवाएँ या स्पेशल फेस्टिवल रूट शुरू किए जा सकते थे, लेकिन DTC ने कोई तैयारी नहीं की। इससे न सिर्फ आम आदमी परेशान है, बल्कि सड़क पर निजी वाहनों का दबाव भी बढ़ गया है।”
“महिला यात्रियों के लिए स्थिति और खराब”
त्योहारों के समय DTC बसों में सबसे ज़्यादा दिक्कत महिला यात्रियों को हो रही है। फ्री बस यात्रा योजना के चलते महिलाओं की संख्या काफी बढ़ गई है, लेकिन बसें कम होने की वजह से उन्हें अक्सर लंबा इंतज़ार करना पड़ता है। कई महिलाएँ काम से लौटते वक्त या मंदिरों से आते वक्त बस न मिलने के कारण ऑटो या कैब का सहारा ले रही हैं — जिससे जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
रेखा गुप्ता ने सवाल उठाया, “जब सरकार महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा योजना चला रही है, तो क्या उनकी सुरक्षा और सुविधा का भी जिम्मा नहीं लेना चाहिए? रात के समय बस स्टॉप्स पर अंधेरा रहता है, ड्राइवर-कंडक्टर की संख्या भी कम है — यह स्थिति चिंताजनक है।”

“दिल्ली को चाहिए एक इमरजेंसी ट्रैफिक प्लान”
त्योहारों के दौरान दिल्ली के मुख्य बाजार — सरोजिनी नगर, करोल बाग, लाजपत नगर और चांदनी चौक — में जाम की स्थिति आम बात है। ऐसे में पब्लिक ट्रांसपोर्ट का मजबूत होना बेहद जरूरी है। रेखा गुप्ता ने सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार को “फेस्टिव ट्रैफिक और ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट प्लान” बनाना चाहिए, जिसमें मेट्रो और DTC बसों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई जाए, और भीड़भाड़ वाले इलाकों में शटल सेवाएँ चलाई जाएँ।
उन्होंने कहा, “अगर हम त्योहारों को सच में सबके लिए खुशहाल बनाना चाहते हैं, तो सिर्फ बाजार सजाने या लाइटें लगाने से काम नहीं चलेगा। असली खुशी तब होगी जब हर नागरिक बिना परेशानी, बिना डर और बिना देर के अपने गंतव्य तक पहुँच सके।”
आम जनता की आवाज़
DTC बस स्टैंड पर खड़ी सीमा देवी, जो हर दिन मयूर विहार से कनॉट प्लेस जाती हैं, कहती हैं, “भाई साहब, त्योहार के दिन बस पकड़ना किसी युद्ध से कम नहीं है। कभी-कभी 3-4 बसें निकल जाती हैं, तब कहीं जाकर चढ़ पाते हैं।”
वहीं कॉलेज स्टूडेंट्स और ऑफिस गोअर्स का कहना है कि अगर बसें समय पर चलें और थोड़ी संख्या बढ़ा दी जाए, तो निजी वाहनों पर निर्भरता कम होगी और ट्रैफिक का दबाव भी घटेगा।
निष्कर्ष
दिल्ली हर साल त्योहारों में रोशनी से नहा जाती है, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सिस्टम आज भी धुंधला है। रेखा गुप्ता की आलोचना केवल राजनीति नहीं, बल्कि उन लाखों दिल्लीवासियों की आवाज़ है जो हर दिन बस स्टैंड पर खड़े होकर उम्मीद करते हैं कि अगली बस शायद थोड़ी खाली होगी, शायद थोड़ी समय पर आएगी।

