- अंशु ठाकुर, दिल्ली दर्पण टीवी
दिल्ली के कालकाजी इलाके में हाल ही में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़े पैमाने पर बुलडोजर कार्रवाई की गई। यह कार्रवाई दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बाद शुरू की गई, जिसके तहत कालकाजी के भूमिहीन कैंप में लगभग 1200 झुग्गियों को ध्वस्त किया गया। इस कार्रवाई ने न केवल स्थानीय निवासियों को प्रभावित किया, बल्कि सियासी हलकों में भी तीखी बहस छेड़ दी।
क्या हुआ कालकाजी में?

11 जून 2025 को सुबह तड़के 5 बजे से डीडीए ने कालकाजी के भूमिहीन कैंप में बुलडोजर चलाना शुरू किया। इस इलाके में 40-50 साल पुरानी झुग्गियां थीं, जहां सैकड़ों परिवार दशकों से रह रहे थे। डीडीए ने इन निर्माणों को अवैध करार देते हुए 10 जून तक खाली करने का नोटिस जारी किया था। इसके बावजूद, कई निवासियों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त समय या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई।
कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल और ड्रोन निगरानी की मौजूदगी रही, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। इस कार्रवाई में कई परिवार बेघर हो गए, जिसके बाद स्थानीय लोगों में आक्रोश देखा गया। एक निवासी ने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा, “हमने मेहनत-मजदूरी से ये छोटा-सा आशियाना बनाया था, लेकिन अब हमारे पास कुछ नहीं बचा।”
सियासी घमासान
इस कार्रवाई ने दिल्ली की सियासत को भी गरमा दिया। आम आदमी पार्टी (आप) की विधायक आतिशी ने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर तीखा हमला बोला। आतिशी ने कहा, “तीन दिन पहले सीएम ने दावा किया था कि एक भी झुग्गी नहीं तोड़ी जाएगी, लेकिन आज सुबह से बुलडोजर चल रहे हैं और लोगों को लाठी-डंडों से निकाला जा रहा है।” दूसरी ओर, बीजेपी ने इस कार्रवाई को कानून के दायरे में बताया और कहा कि अवैध अतिक्रमण को हटाना आवश्यक है।
निवासियों की चिंता
बुलडोजर कार्रवाई से प्रभावित परिवारों का कहना है कि उन्हें न तो पर्याप्त नोटिस दिया गया और न ही पुनर्वास की कोई ठोस योजना दी गई। कई परिवारों ने दावा किया कि वे दशकों से इस इलाके में रह रहे थे और उनके पास जमीन के मालिकाना हक से संबंधित दस्तावेज भी हैं। इस कार्रवाई ने उनके जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है।
कानूनी पहलू

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के तहत यह कार्रवाई अवैध निर्माण को हटाने के लिए की गई। डीडीए का कहना है कि भूमिहीन कैंप में बनी झुग्गियां ग्रीन बेल्ट और अन्य सार्वजनिक जमीनों पर अतिक्रमण कर रही थीं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाई कोर्ट्स ने हाल के समय में बुलडोजर कार्रवाइयों पर सवाल उठाए हैं, खासकर जब ये बिना उचित नोटिस या पुनर्वास योजना के की जाती हैं।
आगे क्या?
कालकाजी में हुई इस कार्रवाई ने एक बार फिर बुलडोजर नीति पर बहस को जन्म दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या ऐसी कार्रवाइयां गरीबों को बेघर करने का जरिया बन रही हैं? विशेषज्ञों का मानना है कि अवैध अतिक्रमण हटाना जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास की ठोस योजना भी होनी चाहिए।
इस घटना ने दिल्ली सरकार, डीडीए और स्थानीय प्रशासन के सामने कई सवाल खड़े किए हैं। क्या भविष्य में ऐसी कार्रवाइयों से पहले प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा और पुनर्वास का अवसर दिया जाएगा? यह समय ही बताएगा।
कालकाजी में बुलडोजर कार्रवाई ने एक बार फिर विकास और मानवता के बीच संतुलन की जरूरत को उजागर किया है। यह जरूरी है कि सरकार और प्रशासन ऐसी कार्रवाइयों को पारदर्शी और मानवीय तरीके से अंजाम दें, ताकि गरीब और मजदूर वर्ग का जीवन और भी मुश्किल न हो।