पूर्णिमा जैन : दिल्ली दर्पण
दिल्ली में हल्की बारिश और खुशनुमा बादल छाए हुए हैं और रविवार की सुबह आराम करने वाली होती है। बच्चे अक्सर बारिश में खेलना और स्वतंत्र महसूस करना पसंद करते हैं। हालांकि, दिल्ली के सागरपुर गांव में कल रविवार की दोपहर एक बच्चे की ऐसी ही एक गुजारिश बुरे सपने में बदल गई।
एक 10 वर्षीय बच्चे को उसके ही 40 वर्षीय पिता ने महज इसलिए चाक़ू मारकर उसकी हत्या कर दी क्यूंकि उस मासूम बच्चे ने दोपहर के समय बाहर बारिश में खेलने की जिद की थी ।
एक बार एक गुजारिश जो बहस में बदल गई और मासूम बच्चे की जान उसके अपने पिता ने ले ली।

आपको बता दे कि आरोपी पिता ने रसोई के चाकू से अपने ही बच्चे के सीने पर इतनी तेज़ी से वार किया कि बच्चा लहूलुहान हो गया और घबराकर जब वह पीड़ित को अस्पताल ले गया, तो उसके घाव पहले ही खराब हो चुके थे। जिसकी वजह से उसकी मॉइट हो गयी.
पुलिस ने बताया कि दादा देव अस्पताल से दोपहर करीब 1:30 बजे एक बच्चे के भर्ती होने की पीसीआर कॉल आई, जिसे कथित तौर पर उसके पिता ने चाकू मार दिया |

पुलिस ने जब जांच की तो पता चला कि पीड़ित की मां का कुछ साल पहले ही निधन हो चुका है और उसके तीन भाई-बहन हैं, उसके पिता दिल्ली के सागरपुर के मोहन ब्लॉक में एक किराए के मकान में रहते थे।
पुलिस मामले की पृष्ठभूमि जानने के लिए पड़ोसियों और परिवार के सदस्यों से भी बात कर रही है। मृतक की बहन ने अपने पिता के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उसने कहा कि उसके पिता शराब पीने के बाद सभी को पीटते थे। उसने कहा, “आज मेरा भाई बारिश में खेलने के लिए बाहर गया था, लेकिन मेरे पिता ने विरोध किया और चाकू लेकर उसके पीछे भागे। उसने उसके सीने में चाकू घोंप दिया। मैं अपने पिता के खिलाफ सख्त कार्रवाई चाहती हूं।”
मृतक के भाई ने कहा कि उसने अपने पिता से उसे बचाने की भी कोशिश की। उसने कहा, “मेरे पिता नशे में थे और वह हमारी बात नहीं सुन रहे थे। उन्होंने अचानक मेरे भाई को चाकू मार दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। हम उनके खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं।”
पुलिस ने कहा कि वे पूरी घटना की सीसीटीवी फुटेज भी देख रहे हैं और अन्य लोगों के बयान दर्ज करेंगे। पुलिस ने हत्या के आरोप में आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है और जांच जारी है।
बच्चों को हमेशा शांत रहना और बड़ों से इज़्ज़त से बात करना सिखाया जाता है। अगर वे विनम्र हो सकते हैं, तो बड़े क्यों नहीं भावनाओं का आदान-प्रदान कर सकते हैं? शराब के नशे में धुत उस व्यक्ति ने एक मासूम बच्चे, अपने ही बच्चे की जान ले ली। कोई भी अपराधबोध और पश्चाताप छोटे बच्चे की जान वापस नहीं ला सकता। आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और बच्चे को न्याय दिया जाना चाहिए।