Monday, May 20, 2024
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हर घर शिक्षा, चिकित्सा पहुंचना हमारा उद्देश्य: विधायक शिवचरण गोयल

संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी
ग्राम सिवा, विधानसभा बक्शी का तालाब में विधायक शिवचरण गोयल ने सैकड़ों लोगों को सम्बोधित कर के आम आदमी पार्टी के द्वारा दिल्ली में किये जा रहे विकास कार्यों को बताया। कायर्क्रम में जिला पंचायत चुनाव के प्रत्याशियों का चयन कर के उनसे मुलाकात की। कार्यक्रम में विधायक जी ने कहाँ की अगर दिल्ली के मोती नगर में सभी लोगों के लिए मोहल्ला क्लिनिक खुल सकता है तो इस गांव में क्यों नहीं?

उन्होंने आगे कहाँ की उत्तर प्रदेश में आये दिन रेप की घटना घटती रहती है।  इस राज्य में महिलाओं की सुरक्षा के साथ बीजेपी खिलवाड़ कर रही यही।  क्षेत्र की स्कूलों की व्यवस्था बत्तर हालात में है। सड़के टूटी पड़ी है। ये योगी राज नहीं गुंडा राज है। आपके शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, अस्पताल आदिन का पैसा ये खा कर बैठे है। ऊपर से 100 रूपये चलते है निचे आते-आते 1 रूपये बचता है।

आज दिल्ली में केजरीवाल के राज में लोगों को मुफ्त शिक्षा, मुफ्त बिजली, मुफ्त ईलाज, मुफ्त बसों में यात्रा मुफ्त इलाज मिलता है। हम दिल्ली की तरह उत्तर प्रदेश में भी सभी तरह की प्राथमिक सुविधाए उपलब्ध करयेंगे।  कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के सभी पदाधिकारीगण मौजूद थे। कार्यक्रम पश्चात सभी लोगों ने केजरीवल जिंदाबाद के नारे भी लगये।  

हाउसप्लांट एप्रिसिएशन डे, साल का एक दिन पौधों के नाम

नेहा राठौर, संवाददाता

दिल्ली।। आज का दिन हाउसप्लांट के नाम, जो जाने अनजाने कभी भी हमारी सहायता के लिए उपस्थित रहते हैं। कई देशों में पौधों के लिए भी प्रशंसा दिवस मनाया जाता है। पौधे घरों को सजाने और शांति का माहौल बनाने में बहुत काम आते हैं। अगर कोई बीमार है तो जड़ी बूटी के पौधे काम आते हैं। कई लोग पौधों को एक दोस्त या छोटे बच्चे की तरह रखते हैे। हर किसी इंसान की तरह पौधों को भी देखभाल की जरुरत होती है।

लोग पेड-पौधे को अपनी सुविधा अनुसार अपने घर में रखते हैे। पेड-पौधे भी अलग अलग प्रकार के होते हैे जो अपनी अपनी खूबियों के लिए मशहूर होते हैे।हाउसप्लांट एप्रिसिएशन डे का इतिहासइस दिन की शुरूआत द गार्डनर के नेटवर्क द्वारा की गई थी। इस दिन का उद्देश्य लोगों को हाउसप्लांट की आवश्यकता और उनके लाभों को याद दिलाना है। इस दिन को लोगों के लिए एक मौके के तौर पर मनाया जाता है ताकि लोग अपना समय निकालकर पौधों के साथ कुछ समय बिताएं। आज के दौर में किसी के पास ज़रा सा भी समय खाली नहीं है।

सब अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में इतने व्यस्त है कि पौधों छोड़ों खुद अपने साथ तक समय नहीं बीता पाते है। इसीलिए इस दिन को बनाया गया है ताकि लोग अपनी व्यस्त जिंदगी से कुछ समय निकालकर खुद को और हाउसप्लांट को दें।ऐसे कई चीजें हैं जो हाउसप्लांट में मदद करती है जिसमें मुसब्बर वेरा सबसे उत्तम पौधे साबित होंगे। ये बहुत अच्छी तरह से घर में बढ़ते हैं और काटने छांटने में भी कोई खरोच का डर नहीं होता है। हाथों को मुलायम बनाते हैं और छोटे बालों को ठीक करते हैं।

इसके अलावा घर के बाहर गार्डन में जड़ी बूटी के पत्ते आपके खाने को और स्वादिष्ट बनाने का काम कर सकते हैं। हाउसप्लांट प्रशंसा दिवस मनाने के कई तरीके है। इस दिन आप अपने गार्डन में प्लांटिंग करके आप घर को ख़ुशियों से भर सकते हो। हाउसप्लांट के जरिए घर को बहुत सुंदर सजाया जा सकता है जिससे आप का खुशबू से घर महकता रहेगा। अगर आप पौधों पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं तो आपके लिए सबसे अच्छे पौधे मुसब्बरा वेरा साबित होंगे। ये पौधे रेगिस्तान में उगते हैं जिस वजह से इन्हें ज्यादा पानी की जरूरत नहीं पड़ती। यह पौधे घर में धूप वाली किसी भी जगह आराम से रह सकते हैं।

10 जनवरी विश्व हिंदी दिवस- क्या है इसका महत्त्व और सिर्फ हिंदी ही राष्ट्रीय भाषा क्यों ?

नेहा राठौर, संवाददाता

दिल्ली।। सब जानते हैं कि हिंदी भारत की मातृ भाषा है जिसे पूरे भारत में एक समारोह के रूप में मनाया जाता है। लेकिन कुछ ही लोगों को पता होगा कि विश्व में हिंदी दिवस भी मनाया जाता है। हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को विश्व हिंदी दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी।

विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य विश्व में हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के जरिए लोगों में जागरुकता पैदा करना और हिंदी को अंतराष्ट्रीय स्तर पर पेश करना है।इस दिन को विदेशों में भारत के दूतावासों में विशेष तौर पर मनाया जाता है। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी में व्याख्यान आयोजित किये जाते हैं। विश्व में हिन्दी का विकास करने और इसे प्रचारित प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिंदी सम्मेलनों की शुरुआत की गई और प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था। इसीलिए इस दिन को विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत में 21 अलग-अलग तरह की मुख्य भाषाएं बोली जाती हैं लेकिन उन सभी भाषाओं में सिर्फ हिंदी ही राष्ट्रीय भाषा है। अब आप सोचेंगे की सिर्फ हिंदी ही क्यों, कोई भी भाषा राष्ट्र भाषा हो सकती थी। राष्ट्रीय भाषा के चुनाव के पीछे एक इतिहास छुपा हुआ है। हिंदी को राष्ट्र भाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था लेकिन हिंदी ही क्यों कोई और भाषा क्यों नहीं।इसके पीछे कारण यह कि जब भारत आजाद हुआ था तो देश के सामने एक बहुत बड़ा सवाल था कि राष्ट्र भाषा कौन सी होनी चाहिए।

आजादी के बाद के हालात कुछ ऐसे थे कि सैंकड़ों भाषाओं में से किसी एक भाषा को चुनने का मतलब लड़ाई झगड़ों को न्यौता देना। हिंदु मुस्लिम दंगों के बाद सबसे बड़ा मुद्दा यही था कि अगर उर्दू को चुना तो हिंदू भड़क जाएंगे और अगर हिंदी को चुना तो मुस्लिम। इसलिए भारत में सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषाओं का आंकड़ा निकाला गया जिसमें हिंदी तीसरे नंबर पर आई। आंकड़े में कई भाषाएं ऐसी थी जो हिंदी से मेल खाती थी जैसे. अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमांऊनी, मगधी और मारवाड़ी। जिसके बाद हिंदी को 14 सितंबर को राष्ट्र भाषा के रूप में चुना गया। 

दिल्ली के वार्ड – 53 में बदले गए चार मार्गों के नाम

संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी

दिल्ली।। उत्तरी दिल्ली नगर निगम की तरफ से वार्ड 53 के अंतर्गत 4 मुख्य मार्गो के नाम हिन्दू देवी देवताओं और महापुरुषों के नाम पर रखे गए। जिसके लिए आयोजित हुए एक कार्यक्रम में दिल्ली प्रान्त संघसंचालक कुलभूषण आहूजा के साथ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता, मेयर जय प्रकाश, और सांसद हंस राज हंस भी मौजूद रहे।

हिंदुस्तान की संस्कृति को और आगे बढ़ाने और महापुरुषों के योगदान को जनमानस तक पहुंचाने के लिए मार्गो का नामकरण एक अच्छा माध्यम होता जा रहा है इसी कड़ी में दिल्ली के रोहिणी में वार्ड 53 की निगम पार्षद सरोज बाला जैन और नेता अनेश जैन की अध्यक्षता में उन्ही के वार्ड में 4 मुख्य मार्गो का नामकरण किया गया, मार्गों का नाम बदलकर गोविंद राम साहनी मार्ग, माता बनभौरी मार्ग, बाबा हरिदास मार्ग और सूर्य कवि पंडित लखमी चन्द मार्ग किया गया। इस मौके पर पहुंचे सभी विशिष्ट अतिथियों कार्यक्रम और पहल की सराहना की।

इस कार्यक्रम में भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली सरकार को घेरते हुए सरकार की नाकामी भी लोगों को गिनवाई और 13000 करोड़ की मांग को लेकर हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत भी की।

फिलहाल जहां लगातार हर तरह के कार्यक्रमों में भाजपा और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के ऊपर हमलावर हैं उससे ये कहना गलत नहीं होगा कि चुनावों की लौ जल चुकी है।

वार्ता फिर बेनतीजा, कानून वापसी की जिद पर अड़े रहे किसान

संवाददाता, दिल्ली दर्पण टीवी

नई दिल्ली।। किसान संगठनों से केंद्र सरकार के बीच फिर तीन कृषि कानूनों को लेकर आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। बताया जा रहा है कि अगली बैठक 15 जनवरी को हो सकती है। तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े किसान नेताओं ने सरकार से दो टूक कहा कि उनकी घर वापसी तभी होगी जब वह इन कानूनों को वापस लिया जाएगा।

उधर सरकार ने कानूनों को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग खारिज करते हुए इसके विवादास्पद बिंदुओं तक चर्चा सीमित रखने पर जोर दिया।सूत्रों के अनुसार बैठक में बातचीत अधिक नहीं हो सकी और अगली तारीख उच्चतम न्यायालय में इस मामले में 11 जनवरी को होने वाली सुनवाई को ध्यान में रखते हुए तय की गई है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय किसान आंदोलन से जुड़े अन्य मुद्दों के अलावा तीनों कानूनों की वैधता पर भी विचार कर सकता है।

बैठक के दौरान तोमर ने किसान संगठनों से कानूनों पर वार्ता करने की अपील की जबकि संगठन के नेता कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़े रहे। प्रदर्शनकारी किसानों के 41 सदस्यीय प्रतिनिधियों और सरकार के साथ आठवें दौर की बातचीत में सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि उन्हें पूरे देश का हित समझना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री एवं पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता कर रहे थे।

उधर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आए हजारों किसान कड़ाके की ठंड के बावजूद बीते एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।  केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसान नेताओं से पूरे देश के किसानों का हितों की रक्षा करने पर जोर दिया।

एक किसान नेता ने बैठक में कहा कि केंद्र को कृषि के विषय पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए क्योंकि उच्चतम न्यायालय के विभिन्न आदेशों में कृषि को राज्य का विषय घोषित किया गया है। ऐसा लग रहा है कि सरकार मामले का समाधान नहीं चाहती है क्योंकि वार्ता कई दिनों से चल रही है। ऐसी सूरत में आप हमें स्पष्ट बता दीजिए। हम चले जाएंगे। क्यों हम एक दूसरे का समय बर्बाद करें।