Saturday, November 8, 2025
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दिल्ली के महरौली में एनकाउंटर: काकू पहाड़िया का खौफ खत्म, लेकिन रात अब भी गूंजती रही गोलियों की आवाज़ों से

शनिवार की रात दिल्ली के महरौली की हवा में कुछ अजीब था। आम दिनों की तरह पेड़ों के बीच सन्नाटा नहीं था, बल्कि उस सन्नाटे को चीरती गोलियों की आवाज़ें थीं। लोग खिड़कियों से झाँक रहे थे, कुछ अपने बच्चों को सीने से लगाकर चुप कराने की कोशिश कर रहे थे। और उस बीच, पुलिस और एक कुख्यात अपराधी के बीच ज़िंदगी और मौत का खेल चल रहा था।

वो अपराधी था काकू पहाड़िया — एक ऐसा नाम, जिसे सुनकर इलाके के लोग खामोश हो जाया करते थे। रात करीब 12 बजे के आसपास पुलिस को खबर मिली कि काकू अपने दो साथियों के साथ महरौली के जंगलों में छिपा है। पुलिस टीम ने घेराबंदी शुरू की। अंधेरे में जब किसी ने “रुक जाओ!” चिल्लाया, तो जवाब में गोलियों की बरसात शुरू हो गई।

पुलिस ने भी मोर्चा संभाला। फायरिंग की आवाज़ें दूर तक सुनाई दे रही थीं। करीब 15 मिनट तक गोलियों का सिलसिला चलता रहा। और जब धुआं थोड़ा साफ हुआ, तो जमीन पर वही शख्स पड़ा था — काकू पहाड़िया, जिसकी तलाश पुलिस महीनों से कर रही थी।

कौन था काकू पहाड़िया

काकू कोई आम अपराधी नहीं था। वह दिल्ली और हरियाणा के कई जिलों में लूट, हत्या और रंगदारी जैसी वारदातों में वांछित था। उसके खिलाफ दर्जनों मामले चल रहे थे। पुलिस के मुताबिक, वह हाल ही में किसी बड़े अपराध की योजना बना रहा था। लेकिन इस बार किस्मत उसके साथ नहीं थी।

पुलिस के दो जवान घायल

मुठभेड़ में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए। एक के हाथ में गोली लगी, दूसरे के कंधे पर छर्रे। लेकिन दोनों ने हार नहीं मानी। घायल होने के बावजूद उन्होंने अपनी पोज़िशन नहीं छोड़ी। अब वे अस्पताल में हैं, और उनका कहना है — “हमने जो किया, वो हमारा फर्ज़ था।” शायद ऐसे ही लोगों की वजह से शहर अब भी सांस लेता है।

बरामद हुए हथियार

घटनास्थल से पुलिस ने दो पिस्तौल, कई जिंदा कारतूस और एक चोरी की बाइक बरामद की। पुलिस का कहना है कि बाइक का इस्तेमाल अपराधियों ने अपने ठिकाने बदलने के लिए किया था।

इलाके में डर और राहत दोनों

रात के बाद जब सुबह हुई, तो इलाके के लोगों के चेहरों पर अजीब-सी थकान थी। कुछ लोग कह रहे थे — “डर था कि कहीं गोलियां हमारे घर की तरफ न आ जाएं।” तो कुछ के चेहरे पर राहत थी — “कम से कम अब वो वापस नहीं आएगा।”
बच्चे स्कूल जाते वक्त अपने माता-पिता से पूछ रहे थे, “पापा, वो गुंडा मर गया क्या?” — और पिता बस सिर हिला देते थे, क्योंकि वे जानते थे कि शहर ने एक डर खोया है, लेकिन एक सबक पा लिया है।

पुलिस का बयान

दिल्ली पुलिस ने बयान में कहा, “हम पर पहले फायरिंग हुई, हमने आत्मरक्षा में जवाब दिया। अपराधी के पास से हथियार मिले हैं। हमारी टीम आगे भी अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखेगी।”महरौली की वो रात अब बीत चुकी है, लेकिन उस अंधेरे में जो हुआ, उसने एक बात फिर साबित कर दी — दिल्ली शायद अब भी खतरनाक है, लेकिन यहां अब डर के आगे हिम्मत खड़ी है। और उस हिम्मत का नाम है — दिल्ली पुलिस।

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