नई दिल्ली: दिल्ली में एक बाहरी लड़की के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया है. पीड़ित लड़की दूसरे राज्य से राजधानी दिल्ली पहुंची थी. लेकिन उसका एक्सपीरिएंस बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा. उसके साथ छेड़छाड़ की गई. इतना ही नहीं उसका कीमती सामान भी लूट लिया गया. पुलिस ने लड़की को छेड़ने और उसका फोन और पर्स छीनने के आरोप में एक उबर बाइक राइडर को गिरफ्तार किया है.
वो सफर जो अचानक डर में बदल गया
शुरुआत में सब सामान्य था। बाइक सवार ठीक लग रहा था, उसने नम्रता से पूछा, “कहां जाना है मैडम?”
महिला ने हंसकर जवाब दिया, “नोएडा, सेक्टर 18।”
बाइक चल पड़ी। फोन की स्क्रीन पर रास्ता दिख रहा था। ट्रैफिक कम था।
कुछ ही मिनटों बाद, राइडर ने कहा, “मैडम, आगे बहुत जाम है, मैं शॉर्टकट ले लेता हूं।”
महिला ने सोचा, ठीक है — कौन नहीं चाहता ट्रैफिक से बचना?
लेकिन धीरे-धीरे सड़कों पर भीड़ गायब हो गई, लाइटें कम होने लगीं, और रास्ता किसी अनजान गली में मुड़ गया।
उसने पूछा, “ये कौन सा रास्ता है? वापस चलिए।”
राइडर ने कुछ नहीं कहा। बाइक थोड़ी दूर जाकर रुक गई।
“डरिए मत, मैं बस दो मिनट में छोड़ दूंगा”
उसने ये कहा, लेकिन उसकी आंखों में वो सन्नाटा नहीं था जो भरोसा देता है — उसमें कुछ और था।
महिला के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। उसने पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन तभी राइडर ने हाथ बढ़ाया — उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की।
“मुझे जाने दो!” उसने चिल्लाने की कोशिश की, पर आवाज़ जैसे अटक गई।
उस पल, उसे बस एक ही ख्याल आया — “अगर कोई नहीं आया तो?”
वो जैसे किसी फिल्म का सीन नहीं, असल ज़िंदगी का सबसे डरावना पल था।
राइडर ने झटके से उसका फोन और पर्स छीना, बाइक स्टार्ट की और अंधेरे में गायब हो गया।
वो वहीं सड़क के किनारे रह गई — सांसें तेज़, हाथ कांपते हुए, आंखों में आंसू।
“मैं बस किसी तरह वहां से निकलना चाहती थी”
कुछ मिनटों बाद, उसने खुद को संभाला और पैदल मुख्य सड़क की ओर भागी।
किसी तरह उसने एक राहगीर को रोका, जिसने पानी दिया और पुलिस को फोन किया।
वो अब सुरक्षित थी, लेकिन उसके अंदर की शांति — वो कहीं खो चुकी थी। पुलिस तुरंत पहुंची, FIR दर्ज हुई, और उबर को राइडर का पूरा डेटा सौंपने के लिए कहा गया। GPS ट्रैकिंग और मोबाइल लोकेशन से आरोपी की तलाश जारी है।
उबर का बयान — और लोगों की बेचैनी
उबर ने बयान जारी किया हम यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं। आरोपी को तुरंत प्लेटफॉर्म से हटाया गया है और हम पुलिस जांच में सहयोग कर रहे हैं। पर जो लोग रोज़ इस ऐप से सफर करते हैं, उनके लिए यह बयान काफी नहीं है।
लोग सोशल मीडिया पर पूछ रहे हैं —
अगर ऐप में SOS बटन है, तो वह काम क्यों नहीं आया
क्यों हर बार लड़कियों को ही सावधान रहना पड़ता है
“मुझे लगा, मैं शायद जिंदा नहीं लौटूंगी…”
महिला ने पुलिस को बताया, “जब उसने बाइक रोकी, मैं समझ गई कुछ गड़बड़ है। मेरे हाथ ठंडे पड़ गए थे। मुझे लगा शायद मैं अब नहीं बचूंगी। मैं बस भागना चाहती थी…” वो अब ठीक है, लेकिन उस रात ने उसकी आत्मा में एक डर छोड़ दिया — ऐसा डर जो किसी कैमरे में नहीं दिखता, किसी रिपोर्ट में नहीं लिखा जाता।
दिल्ली — जहां घर लौटना भी एक हिम्मत है
इस शहर में अब हर लड़की अपने घर लौटने से पहले किसी को मैसेज भेजती है — “मैं निकल गई हूं।”
और घर पहुंचकर दूसरा — “मैं पहुंच गई।”
क्योंकि यहां सफर सिर्फ दूरी का नहीं, डर का भी है।
हर घटना के बाद हम कहते हैं “कड़ा एक्शन लिया जाएगा।” लेकिन असली सवाल ये है — कब हम ऐसा समाज बनेंगे, जहां किसी लड़की को “सावधान रहो” नहीं, “सुरक्षित रहो” कहा जाए?
ये कहानी एक लड़की की नहीं, हर उस औरत की है जो सपनों के लिए बाहर निकलती है और डर के साथ लौटती है।
जिसके पास अब भी हिम्मत है, लेकिन भरोसा कम हो गया है।
क्योंकि इस शहर में अब भी एक लड़की का सबसे बड़ा डर वही है —
“क्या मैं आज घर पहुंच पाऊंगी?”

