दिल्ली दर्पण टीवी
दिल्ली। चार दिन पहले पैदा हुए उस बच्चे का एक हाथ और मॉल त्याग के लिए आउट लेट नहीं है। उसे इलाज की सख्त जरूरत है लेकिन परिवार वाले इसकी मौत का इन्तजार कर रहे है। वह अपनी भूख प्यास बता नहीं सकता , लेकिन एक ऑपरेशन से उसका जीवन बच सकता है –परिवार वाले इलाज करा नहीं रहे , डॉक्टर इलाज कर नहीं सकते और पुलिस कहती है की वह किसी को इलाज के लिए फोर्स नहीं कर सकती। लिहाज़ा इस पांच दिन के मासूम को फीडिंग तक नहीं दी जा रही है –फीडिंग की जगह गंगा जल दे रहे है। ऐसे में सवाल यह नहीं है की यह मासूम इस हालत में पैदा तो तो इसका क्या कसूर है ? सवाल यह भी है की इलाज और भूख से उसकी मौत हुए तो इसका जिम्मेदार कोण होगा –इसकी चिंता किसी को नहीं है। मामला बाहरी दिल्ली के कंझावला थानाक्षेत्र के कराला इलाके का है।
कराला के हरीन्द्र की पत्नी ने 5 नवम्बर को सुबह एक बच्चे को जन्म दिया तो पता चला की वह विकलांग पैदा हुआ है। वह एक हाथ से विकलांग है और मल त्याग की जगह ( आउटलेट ) नहीं है। डॉक्टर ने समझाया की इसका इलाज ऑपरेशन है। बच्चे के परिजन ने इलाज कहीं और करने का नाम लेकर अस्पताल से ले गए। लेकिन दो दिन बाद 7 तारीख को वे बच्चे को लेकर फिर अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर पर आरोप लगाया की उन्होंने तमाम जांच के बाद भी यह नहीं बताया की बच्चा ठीक नहीं है। इस आरोप के बाद परिजनों और इलाके के लोगों ने अस्पताल के बाहर जमकर हंगामा किया रोड जाम किया और अस्पताल में तोड़फोड़ की। अस्पताल के मालिक नवीन राणा का आरोप है की उसके साथ मारपीट भी की। नवीन राणा का कहना है की उन्हें सब बता दिया गया था। इस घटना के बाद बाहरी दिल्ली के तमाम डॉक्टर्स भी नवीन राणा के पक्ष में लामबंध हो गए। उन्होंने बाहरी जिला पुलिस को लिखित शिकायत दी है की हरिचंद के खिलाफ करवाई की जाये और उन्हें सुरक्षा दे जाये।
बहरहाल दोनों के बीच चल रहे झगड़े में बच्चे की जीवन की परवाह किसी को नहीं है। वह मौत के नजदीक जा रहा है। पुलिस भी मूक दर्शक बनी हुयी है। बिना इस बात की परवाह किये की यदि बच्चे को कुछ हुआ तो इसकी जिम्मेदारी किस पर होगी।