शकुरबस्ती झुग्गियों की बाद इस कड़ाके की ठण्ड में खुले आसामन के निचे रह रहे लेकिन की जिंदगी अब इतनी आसान नहीं रह गयी है तो उनका पुनर्वास भी इतना आसान नहीं है –प्रशासन की फ़ौज अभी यहाँ तैनात है और नेताओं का आना जाना लगा है –जिम्मेदारी और जबाबदेही की जंग में लगी राज्य और केंद्र दोनों सरकारें भी आश्वाशन दे रही है –लेकिन ये लोग अब भी ठोस और स्थायी रहत के इन्तजार में है –आज स्वराज अभियान के नेता और विधायक भी यहाँ पहुंचे और इनके पुनर्वास के लिए सत्याग्रह की शुरुआत की