–हर्षित मिश्रा
-केजरीवाल सरकार पर वादाख़िलाफ़ी और पब्लिक फण्ड का गलत इस्तेमाल करने जैसे गम्भीर आरोप लगाए।
-महिला सुरक्षा का दावा करने वाली सरकार के विधायकों और मंत्रियों पर ही दर्ज़ हैं छेड़खानी और उत्पीड़न के कई मुकदमें।
नई दिल्ली। दिल्ली में आज ‘आप’ के खिलाफ ‘बाप’ का विरोध प्रदर्शन चर्चा का विषय बना रहा। आप यानि आम आदमी पार्टी की सरकार जिसके खिलाफ मुख्यमंत्री आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे “बाप” यानि बेरोजगार आदमी पार्टी के कार्यकर्ता। आम आदमी पार्टी के तर्ज पर ही बनी बेरोजगार आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का ये आरोप है की चुनाव जीतने के बाद केजरीवाल सरकार लगातार अपने वादों से मुकरती रही है और जनता को गुमराह करने का काम किया है।
दरअसल प्रदर्शन कर रहे लोगों के सवाल और शिकायत दोनों जायज हैं लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल इन सवालों के जवाब देने से लगातार कन्नी काटते रहे हैं।
पहला आरोप ये था की जब केजरीवाल ने बिजली कम्पनियों के ऑडिट के बाद आठ सौ करोड़ के घोटाले की बात कही तो अब तक सब्सिडी के नाम पर हजारों करोड़ का बोझ जनता के पैसों पर क्यों?
दूसरा सवाल केजरीवाल सरकार से महिला सुरक्षा के ऊपर था जिसके लिए लोगों में खासी नाराज़गी भी है। महिला सुरक्षा के नाम पर बड़े बड़े वादे और दावे करने वाले केजरीवाल सरकार के कई विधायकों और यहाँ तक की मंत्री पर भी छेड़ छाड , महिला उत्पीड़न और यहाँ तक की दंगा भड़काने तक के मामले दर्ज़ हैं लेकिन मुख्यमंत्री हैं की इन सवालों पर चुप्पी साध अपने विधायक मंत्रियों के करतूतों पर पर्दा डालने का काम करते दीखते हैं। प्रदर्शनकारियों का ये भी आरोप है की केजरीवाल दिल्ली से ज्यादा समय और धन पंजाब पर लगा रहे हैं क्योंकि अब उनको दिल्ली के विकास से नहीं बल्कि पंजाब की राजनीति से ज्यादा मोह है।
आप सरकार के वादाखिलाफियों की पोल खोलते हुए बाप पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने हाँथ में पोस्टर बैनर के साथ ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया और केजरीवाल सरकार से स्पष्ट जवाब देने की भी माँग की है। …. लेकिन आम तौर पर वाजिब सवालों से बचने वाली आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री का इसपर क्या रुख होगा इसका जवाब अभी आना बाकी है। क्या केजरीवाल की दिलचस्पी अब दिल्ली में नहीं रही? क्या आम आदमी के सरोकारों से ज्यादा अब केजरीवाल के लिए राज और राजनीति महत्व रखती है? ऐसे तमाम सवाल हैं जिनका जवाब आप आदमी के हिमायती करने वाले केजरीवाल अब देना जरूरी नहीं समझते।