ये दिल्ली का रोहिणी स्थित आशा किरण होम है जहाँ दिसम्बर से अब तक कुल ग्यारह लोगों की मौत हो चुकी है। हैरानी की बात ये है की इनमें से पाँच मौतें होम के अंदर ही हुई हैं जिसकी वजह से होम के अंदर दिव्यांगों के रख रखाव और व्यवस्था पर बड़े सवाल हो रहे हैं।
शर्मनाक बात ये भी है की महिला विंग में लगे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी पुरुष कर्मचारियों द्वारा की जा रही थी . यानि मानसिक रूप से अक्षम महिलाओं के सभी गतिविधियों की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरों में कैद होती हैं जिसका निरिक्षण पुरुषों के द्वारा किया जाता रहा है . ये सीधे सीधे मानवाधिकार का हनन तो है ही बल्कि इंसानियत को शर्मशार करने वाली घटना भी है .
न जाने कितनी और किस तरह की तस्वीरें इन कैमरों में कैद हुई होंगी जो एक महिला के निजता को आघात पहुंचाने वाले हो सकते हैं .
ये बात खुद महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के औचक निरिक्षण में सामने आई हैं . अब सवाल ये उठने लगे हैं की दिल्ली सरकार द्वारा संचालित , मानसिक रूप से अक्षम लोगों के होम में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे चल रही थी ?
आशा किरण होम में लगातार हो रही मौतें भी संदेह के घेरे में हैं , बीते दो महीनों के भीतर ही कुल ग्यारह मौतें रोहिणी के आशा किरण होम में रहने वाले अपांग लोगों की हुई हैं . इनमें से पांच मौतें तो आशा किरण के भीतर ही हुई और वो भी केवल महिलाओं की . अब सवाल ये है की आखिर उन महिलाओं की मौत किन परिस्थितियों में हुई ?
क्या आशाकिरण होम में होती है बड़ी लापरवाही ? क्या सरकारी तनख्वाह पर तैनात अधिकारी और कर्मचारी ही लाचार लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं ? इन सवालों से आशाकिरण के अधिकारी बचते रहे हैं .
एनजीओ संचालक ने आरटीआई के माध्यम से आशा किरण में हो रही लगातार मौतों की संख्या का पता लगाया तो लोग हैरान रह गए .
क्या मानसिक लोगों के साथ हैवानियत का नतीजा है ये मौतें ? या लापरवाही की हद ! ये तमाम सवाल हैं जिनके जवाब देने के लिए अब तक कोई भी अधिकारी या मंत्री सामने नहीं आया है . गौर करने वाली बात ये भी है की दिल्ली सरकार में बहरहाल समाज कल्याण मंत्रालय की सीट भी कई महीनों से खाली है , जबकि केजरीवाल सरकार के तमाम मंत्री और विधायक दुसरे राज्यों के चुनाव में व्यस्त हैं . क्या सियासत का खेल केजरीवाल सरकार के लिए आम आदमी के दर्द से ज्यादा बड़ा हो चूका है ?
शर्मनाक बात ये भी है की महिला विंग में लगे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी पुरुष कर्मचारियों द्वारा की जा रही थी . यानि मानसिक रूप से अक्षम महिलाओं के सभी गतिविधियों की तस्वीरें सीसीटीवी कैमरों में कैद होती हैं जिसका निरिक्षण पुरुषों के द्वारा किया जाता रहा है . ये सीधे सीधे मानवाधिकार का हनन तो है ही बल्कि इंसानियत को शर्मशार करने वाली घटना भी है .
न जाने कितनी और किस तरह की तस्वीरें इन कैमरों में कैद हुई होंगी जो एक महिला के निजता को आघात पहुंचाने वाले हो सकते हैं .
ये बात खुद महिला आयोग अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के औचक निरिक्षण में सामने आई हैं . अब सवाल ये उठने लगे हैं की दिल्ली सरकार द्वारा संचालित , मानसिक रूप से अक्षम लोगों के होम में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे चल रही थी ?
आशा किरण होम में लगातार हो रही मौतें भी संदेह के घेरे में हैं , बीते दो महीनों के भीतर ही कुल ग्यारह मौतें रोहिणी के आशा किरण होम में रहने वाले अपांग लोगों की हुई हैं . इनमें से पांच मौतें तो आशा किरण के भीतर ही हुई और वो भी केवल महिलाओं की . अब सवाल ये है की आखिर उन महिलाओं की मौत किन परिस्थितियों में हुई ?
क्या आशाकिरण होम में होती है बड़ी लापरवाही ? क्या सरकारी तनख्वाह पर तैनात अधिकारी और कर्मचारी ही लाचार लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करते हैं ? इन सवालों से आशाकिरण के अधिकारी बचते रहे हैं .
एनजीओ संचालक ने आरटीआई के माध्यम से आशा किरण में हो रही लगातार मौतों की संख्या का पता लगाया तो लोग हैरान रह गए .
क्या मानसिक लोगों के साथ हैवानियत का नतीजा है ये मौतें ? या लापरवाही की हद ! ये तमाम सवाल हैं जिनके जवाब देने के लिए अब तक कोई भी अधिकारी या मंत्री सामने नहीं आया है . गौर करने वाली बात ये भी है की दिल्ली सरकार में बहरहाल समाज कल्याण मंत्रालय की सीट भी कई महीनों से खाली है , जबकि केजरीवाल सरकार के तमाम मंत्री और विधायक दुसरे राज्यों के चुनाव में व्यस्त हैं . क्या सियासत का खेल केजरीवाल सरकार के लिए आम आदमी के दर्द से ज्यादा बड़ा हो चूका है ?