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ये चारों ओर पसरा सन्नाटा, जगह-जगह बिखरे टूटे-फूटे सामान और मलबे में तब्दील ये ढांचा। ये तस्वीर हैं सरस्वती विहार स्थित मित्र विहार अपार्टमेंट के पास पिछले करीब चार दशक से हिन्दू आस्था के प्रतीक रहे भगवान शिव के मंदिर का। करीब 250 सौ गज में फैले शिव मंदिर का ये हर्ष कोई अपराधिक तत्व या किसी अन्य समुदाय के लोग नहीं, बल्कि भारी सुरक्षाबलों की मौजूदगी में दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों ने बिना किसी पूर्व सूचना के रात के अंधेरे में किया। इतना ही नहीं सुरक्षाबलों ने सोसायटी के सारे गेट भी बंद कर दिये। डीडीए की इस कार्रवाई को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है। लोगों का कहना है कि हर कीमत पर उन्हें उनका भगवान और मंदिर चाहिए। मंदिर के पंडित गोविन्द प्रसाद डीडीए की इस कार्रवाई से काफी दुखी हैं। पंडित का कहना है कि डीडीए के कर्मचारी और सुरक्षाबलों ने जिस तरह से मंदिर, भगवान और उनके साथ बर्ताव किया है। ऐसा तो कोई आक्रमणकारी भी नहीं करता। वहीं क्षेत्र के पार्षद नीरज गुप्ता ने कहा कि वह हिन्दुओं के आस्था के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे और वह हर कीमत पर प्राचीन शिव मंदिर दोबारा बनवा कर रहेंगे। सरस्वती विहार में डीडीए के कर्मचारी प्राचीन शिव मंदिर को तोड़ चुके हैं। इलाके के लोगों में काफी रोष भी है और वे सरकार, राज्यपाल और प्रशासन से गुहार भी कर रहे हैं। लेकिन डीडीए की इस कार्रवाई पर सवाल उठना लाजमी है। सवाल है कि डीडीए ने मंदिर तोड़ने की कार्रवाई दिन के उजाले में क्यों नहीं किया, रात को ही क्यों चूना और मंदिर तोड़ने से पहले मंदिर प्रशासन को कोई पूर्व सूचना क्यों नहीं दी गई।