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पिछले साल दिवाली के ठीक बाद दिल्ली में धुआं भर जाने के दिन आपको अच्छी तरह याद होंगे ! कई दिनों तक दिल्ली में लोगों को सांस लेने में दिक्कत हुई थी और लोग मास्क लगाते देखे गए थे। ऐसे में एक बार फिर आपको तैयार रहने की जरूरत है। पिछले साल धुआं भरने के पीछे पंजाब और हरियाणा के खेतों में फसल के ठूंठ जलाने को भी वजह माना गया था। इसके अलावा दिल्ली में दिवाली में जलाए गए पटाखे भी शामिल थे। एक बार फिर इस साल पंजाब और हरियाणा के किसानों ने फसल के ठूंठ को जलाना शुरू कर दिया है। हालांकि, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले में खेतों में फसल के ठूंठ को जलाने पर रोक लगा दी गई है लेकिन इस फैसले को जमीनी स्तर पर लागू कराना पूरी तरह संभव नहीं हुआ है। जब पंजाब और हरियाणा के खेतों में फसल के ठूंठ को जलाया जाता है तो ये हवा के रुख पर निर्भर करता है कि कितना धुआं दिल्ली तक पहुंच जाएगा। फसल के ठूंठ जलाने से हानिकारक गैसें भारी मात्रा में निकलती हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, धुएं के साथ जो पार्टिकल निकलते हैं वो फेफड़े को नुकसान पहुंचा सकते हैं। बताया जाता है कि किसानों के पास फसल के ठूंठ हटाने के लिए उचित संसाधन नहीं हैं और पैसे की कमी से भी किसान आग लगाना बेहतर समझते हैं। हालांकि, राहत की बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 1 नवंबर तक पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी है। ऐसे में दिवाली के मौके पर कम ही पटाखे जलाए जाने की संभावना है।