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भलस्वा -अभिजीत ठाकुर
नॉर्थ दिल्ली के भलस्वा में लैंडफिल साइट और उससे होने वाला प्रदूषण कई दशक से एक गंभीर समस्या बना रहा है। सरकारें आई और गई ,जनप्रतिनिधी भी बदलें और निगम पार्षद भी लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी रही। समय समय पर इसको हटाने के लिए मुहीम भी शुरू की गई लेकिन सरकार और प्रसाशन के कानों पर जू तक नहीं रेंगती। चुनाव के समय यह खत्ता राजनीतिक मुद्दा बनता है , तो आम दिनों में ये नेताओं के संघर्ष का विषय बन जाता है। एक बार फिर भलस्वा लैंडफिल साइट पर स्थानीय लोगों ने खत्ते को हटाने की मुहीम शुरू की है और बादली विधानसभा क्षेत्र के विधायक और पूर्व विधायक भी इस धरना प्रदर्शन में शामिल होते दिख रहे हैं । 40 वर्ष पुराने इस मुद्दे को एक नए सिरे से उठाने की शुरुआत हुई है इस उम्मीद के साथ की ग़ाज़ीपुर लैंडफिल हादसे के बाद शायद सरकारें लाखों लोगों की ज़िन्दगी से जुड़ी इस जानलेवा समस्या के समाधान पर कुछ ठोस कदम उठाएगी। स्थानीय विधायक अजेश यादव ने समस्या से सम्बंधित अपनी जगजाहिर दलीलें मीडिया के सामने रखी और इतना तक कह दिया कि जब तक ये खत्ता हटेगा नहीं , वो इस धरने से उठेंगे नहीं। वहीँ पूर्व विधायक और कांग्रेस नेता देवेन्द्र यादव ने भी बताया की वो और उनके साथी लगातार इस मुद्दे को उठाते रहे हैं और संघर्ष आगे भी जारी रहेगा। अब देखने वाली बात होगी की बुलेट ट्रैन चलवाने के लिये पटरी बिछवाने में व्यस्त मोदी सरकार को लाखों लोगों की घूँटति साँसों की आवाज सुनाई देती है या नहीं?केजरीवाल तो एलजी और मोदी को कोस कर आराम से निकल लेंगे लेकिन निगम और केंद्र में काबिज भाजपा सरकार ब्लेम गेम नहीं खेल पाएगी।