“सुरीली यादें ” लम्बे समय तक याद रहेंगी –इस सुरीली शाम को सजाया है “ग्लोबल कल्चरल सोसायटी ” परिवार ने— मौक़ा था “ग्लोबल कल्चरल सोसायटी ” के सिल्वर जुबली समारोह का– करीब 25 साल पहले बनी ये सोसयटी आज एक परिवार बन गयी है– ऐसा परिवार जिसके कई सदस्य अब यहां से जुड़े और आपस में रिश्तेदार भी बन गए– एक ही ड्रेस में बैठे इस परिवार के सदस्यों के लिए ये पल बेहद यादगार था— इस सोसयटी ने संगीत की ये शाम उन लोगों के सम्मान में सजाई है जिनकी सेवा और योगदान के लिए उन्हें “ग्लोबल एक्सीलैंस अवार्ड से सम्मानित भी किया गया — कार्यक्रम की शुरुआत विधिवत रूप से दीप प्रज्वलित कर की गयी –इसके बाद भक्ति और फिर 90 के दशक के गानों की मस्ती की ऐसी शाम सजी कि दर्शक भी खुद को गुनगुनाने से नहीं रोक पाए –इनमें मुकेश कुमार के बेटे अमित कुमार ने भी समा बांधा– क्या बच्चे, क्या दर्शक और क्या सेलब्रेटी, सबसे के लिए ये “सुरीली यादें ” यादगार बन गयी –आज से करीब 25 साल पहले बनी सदस्यों वाली इस सोसयटी का गठन केवल आपसी मेल-जोल के लिए ही नहीं हुआ —बल्कि इसका मकसद है अपनी भावी पीढ़ी को, अपनी संस्कृति को समाज सेवा से जोड़ना –दिल्ली के नजदीक बहादुरगढ़ में देश ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा गौ-अस्पताल भी इन्हीं सदस्यों के योगदान का हिस्सा है–
“ग्लोबल कल्चरल सोसायटी ” की “सुरीली यादें”
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