कारोबार – वित्त मंत्री अरुण जेटली गुरुवार को मौजूदा सरकार का अंतिम पूर्ण बजट पेश करेंगे, इसलिए इस बार का बजट पहले के कई बजट से बिल्कुल अलग हो सकता है. इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि 2019 के चुनाव से पहले सरकार के पास अब जनता को खुश करने यानी लोकलुभावन नीतियां लाने का यही अंतिम बड़ा मौका है. वित्त मंत्री को तो इस बार जीएसटी की वजह से सहूलियत भी मिल गई है.
गौरतलब है कि परंपरा के मुताबिक आम बजट के दो मुख्य हिस्से होते हैं. पहला हिस्से में नई योजनाओं, मौजूदा योजनाओं के लिए अगले वित्त वर्ष के आवंटन तथा दूसरे हिस्से में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर की चर्चा होती है. अगर अप्रत्यक्ष कर की बात करें तो जीएसटी के द्वारा पूरे देश में एकल कर व्यवस्था लागू करने का ऐतिहासिक कदम उठाया जा चुका है, इसलिए 2018-19 के बजट में वित्त मंत्री जीएसटी के बाहर की पेट्रोलियम और एल्कोहल जैसी कुछ वस्तुओं पर ही कर में फेरबदल या नए कर लगाने का प्रस्ताव रख सकते हैं. सच तो यह है कि टैक्स बेस बढ़ने के बाद इस बार के बजट में वित्त मंत्री के पास प्रत्यक्ष कर ढांचे को तर्कसंगत बनाने का पूरा मौका है.
साल 2018 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. इसलिए जानकारों को इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस बार का बजट कृषि और ग्रामीण विकास पर फोकस होगा. कृषि वृद्धि दर में गिरावट और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की बढ़ रही दिक्कतों की वजह से ऐसा करना मुनासिब ही होगा. इसलिए यह कहा जाता है कि जीएसटी ने अरुण जेटली को इस साल लोकलुभावन बजट पेश करने का मौका दे दिया है.