बवाना – दिल्ली के बवाना में आग से झुलसकर 17 लोगों की मौत ने सवाल खड़ा कर दिया है कि कैसे इतना बड़ा हादसा हो गया. साथ ही चर्चा इस बात को लेकर भी है कि आखिर घटना के प्रति जवाबदेही किसकी है. ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली में सरकार आम आदमी पार्टी की है और नगर निगम पर बीजेपी का राज है. ऐसे में प्राथमिक तौर पर जो लापरवाही सामने आ रही हैं, उसके लिए कौन जिम्मेदार है, फिलहाल ये बहस का विषय है.
पुलिस ने इस मामले में फैक्ट्री मालिक की गिरफ्तारी की है. साथ ही पुलिस ने अपनी तफ्तीश जारी कर दी है. पुलिस फिलहाल बवाना इलाके में फैक्ट्री नियमों के आधार पर जांच आगे बढ़ा रही है. इसमें कुछ अहम बातें सामने आई हैं.
– दरअसल, दिल्ली के शहादरा इलाके में मौजूद अवैध फैक्ट्रियों को बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में शिफ्ट किया गया था. इसके लिए दिल्ली राज्य औद्योगिक एवं इंफ्रास्ट्रक्चर विकास निगम यानी DSIIDC ने करीब 10 हजार फैक्ट्रियों को बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में जमीन मुहैया कराई थी. ये जमीन शीला सरकार के दौरान दी गई थीं.
– DSIIDC दिल्ली सरकार के अधीन आता है, लेकिन जिन फैक्ट्री मालिकों को जमीनें दी गई थीं, उन्हें फैक्ट्री चलाने के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना होता है और एमसीडी पर लंबे समय से बीजेपी का शासन चलता आ रहा है.
– एमसीडी से फैक्ट्री मालिकों को 2 लाइसेंस लेने होते हैं. पहला लाइसेंस नियमों के मुताबिक बिल्डिंग निर्माण के लिए लेना होता है. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. इसे लेकर ललित गोयल की भूमिका की पुलिस जांच कर रही है.
– दूसरा लाइसेंस फैक्ट्री चलाने के लिए लेना होता है. लेकिन पुलिस की गिरफ्त में मौजूद फैक्ट्री मालिक मनोज जैन ने अपने बयान में बताया है कि कोल्ड क्रैकर फैक्ट्री (जैसे स्टेज पटाखे) चलाने के लिए किसी लाइसेंस की जरूरत नहीं थी.
– लाइसेंस प्रक्रिया में उल्लंघन के अलावा जांच में ये भी पता चला है कि फैक्ट्री मालिक ने फायर एनओसी भी नहीं ली थी.
फिलहाल, दिल्ली सरकार ने भी मामले की जांच के आदेश दिए हैं. आम आदमी पार्टी हादसे के लिए बीजेपी और एमसीडी को जिम्मेदार बता रही है, जबकि बीजेपी सीधे तौर पर दिल्ली की अरविंद केजरीवाल को जवाबदेह बता रही है. दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चल रहा है. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि 17 बेकसूर जिंदगियों का जिम्मेदार आखिर कौन है?