दिल्ली – प्रतिभा डिग्रियों की मोहताज नहीं है। केवल 10 वीं पास चतुर्थ श्रेणी के एक कर्मचारी ने अपने गीतों के माध्यम से इसे साबित किया है। विश्व पुस्तक मेले में हीरा लाल द्वारा लिखे गए काव्य संग्रह हीरा के इक्यावन मोती को खूब वाह वाही मिली।देश भक्ति के जज्बे से ओत प्रोत गीत सुनाने वाले हीरा लाल दिल्ली स्थित अंडमान निकोबार भवन में चपरासी के पद पर कार्यरत हैं। उनके इन गीतों का आनंद लेने वालों में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बीके कुठियाला और कई जाने माने पत्रकार शामिल हैं। हीरा लाल की रचनायें सुनने के बाद श्रोताओं ने इन्हें अद्भुत करार दिया।
60 वर्षीय हीरा लाल डयूटी के बाद समय निकाल कर देशभक्ति के गीत लिखते हैं। केवल 10वीं तक शिक्षा प्राप्त हीरा को रामायण से कविताएं लिखने की प्रेरणा मिली।खुद भी सबको प्रेरणा देते हैं। हीरा लाल ने देशभक्ति और सामाजिक कुरितियों के खिलाफ बहुत सुन्दर कविताओं की रचना की है। हीरा लाल की छिपी हुई प्रतिभा को आगे लाने में अंडमान निकोबार के उपराज्यपाल के ओएसडी और वरिष्ठ पत्रकार अतुल सिंघल की अहम भूमिका रही है। अतुल सिंघल बताते हैं कि हीरा लाल कर्तव्यनिष्ठ और सरल व्यक्ति हैं। उनकी सरलता और लगन को देख कर हीरा के इक्यावन मोती को छपवाने की प्रेरणा मिली ।
हीरा के इक्यावन मोती में राष्ट्रप्रेम के साथ साथ क्रांतिकारियों की गाथाएं और आपसी प्रेम भाई चारे को बढाने का संदेश मिलता है। साथ ही 60 वर्ष की उम्र में अपनी मन की भावनाओं को कागज पर उकेरना आने वाली पीढ़ी को भी लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है… हम आपसे अपील करते हैं कि हीरा की इस किताब को एक बार जरूर पढ़े और इसके अंदर की गहराई को समझे…