राजनीति – त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद मूर्ति तोड़ने का सिलसिला शुरू हुआ। मूर्ति तोड़े जाने की पहली घटना त्रिपुरा में तब हुई जब लेफ़्ट को हराकर भाजपा को जीत हासिल किए महज़ 48 घंटे ही बीते थे। दक्षिण त्रिपुरा में लेनिन की प्रतिमा को गिराया गया। वही दूसरी घटना सबरूम में हुई। जहा भीड़ ने लेनिन की एक छोटी मूर्ति को गिरा दिया। त्रिपुरा में अब तक व्लादिमीर लेनिन की दो मूर्तियों को तोड़े जाने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं। ऐसी घटना के बाद से देश के कई इलाकों से मूर्तियों के तोड़े जाने या उन्हें नुकसान पहुंचाए जाने की ख़बर सामने आई।इसके बाद तमिलनाडु में पेरियार की मूर्ति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी की। उत्तर प्रदेश के मेरठ में भी भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया। इसके बाद पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की एक मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की और एक हिस्से को हथौड़ों से तोड़ने की कोशिश की गई है। जबकि पूरे चेहरे पर स्याही फेंकी गई है। उसके बाद महात्मा गांधी की मूर्ती के साथ भी छेड़छाड़ की गई । लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं । ऐसा क्यों हो रहा है? मूर्तियां ढहाने के पीछे की सोच क्या हो सकती है?- शायद कुछ लोगों को याद हों और कुछ लोगों को याद न हों। बामियान के बुद्ध की उन विशाल मूर्तियों की तस्वीरें कुछ लोगों के ज़हन में होंगी। लेकिन जैसे-जैसे वक़्त बीतेगा, आने वाली नस्लों के दिमाग़ से ये तस्वीरें धुंधली होती जाएंगी। शायद यही इन मूर्तियों को तो़ड़ने का मक़सद था। पहले के दौर की सोच को मिटाना, उस दौर के प्रतीकों का ख़ात्मा करना। इसीलिए कहा जाता है कि अगर आप किसी देश को समझना चाहते हैं, तो यह मत देखिए कि उन्होंने कौन से प्रतीक लगाए हैं। यह देखिए कि उन्होंने कौन से प्रतीक मिटाए हैं। इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने देश में लगातार हो रही इस घटना की निंदा की है।अमित शाह कई ट्वीट किए और लिखा, “मूर्तियों को नष्ट करने पर हालिया मुद्दा बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है हम एक पार्टी के रूप में किसी की प्रतिमा को गिराने का समर्थन नहीं करते हैं। ” “हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों के जीवन में परिवर्तन लाने का है. हम इस तथ्य से खुश हैं कि हमारी लोकनीति और काम ने हमें पूरे भारत में लोगों तक पहुंचा दिया। हम 20 से अधिक राज्यों में गठबंधन सरकार के रूप में सेवा कर रहे हैं”।
ये है मूर्तियां तोड़े जाने के पीछे का राज !
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