दिल्ली- आरोपियों की हिम्मत तो दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही है। वारदातें भी रुकने का नाम नहीं लें रही है। ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से सामने आया है यहां के बदौसा थाना क्षेत्र में गैंगरेप की कोशिश के मामले में पुलिस द्वारा पीड़ित परिवार को ही हिरासत में ले लिए गया । जिसके बाद पीड़ित लड़की ने खुद को आग लगाकर जान दे दी । नाबालिग लड़की के चाचा सुघर सिंह ने बताया की ‘मेरी भतीजी शनिवार सुबह शौच के लिए खेतों की तरफ गई थी, जहां गांव के ही अजय और माधव ने उसे पकड़ लिया और गैंगरेप की कोशिश की। जब हम आरोपियों के घर उलहना देने गए, तो उल्टे मारपीट पर उतारू हो गए। १०० नंबर पर कॉल की और पुलिस को सूचना दी और पूरी घटना के बारे में बतया । लेकिन लमेहटा चौकी प्रभारी पहले दोनों पक्ष को अपने साथ ले गए और इसके बाद में आरोपी पक्ष को कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया गया । लेकिन पीड़ित परिवार को थाने के लॉकअप में बंद रखा । भतीजी की मौत की सूचना मिलने के बाद खुद पुलिस की सरकारी जीप से गांव ले गए । उसने पुलिस अधीक्षक शालिनी के उस बयान पर तीखी नाराजगी व्यक्त की, जिसमें उन्होंने झूठी कहानी गढ़ते हुए सोमवार को मीडियाकर्मियों को बताया कि लड़की के भाई ने दो लड़कों के साथ उसे आपत्तिजनक स्थिति में देख लेने के बाद उसकी पिटाई कर दी। एसपी शालिनी की ‘संवेदनहीनता’ पर आक्रोश प्रकट करते हुए सुघर सिंह ने कहा, ‘एसपी साहिबा से पूछा की हमारे खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं था तो बदौसा पुलिस 24 घंटे हमें लॉकअप में क्यों बंद किए रही । मेरी भतीजी के शव की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करें। यदि उसके भाई ने पीटा होगा, तो शरीर पर बाहरी चोंटों के निशान तो होंगे । उसने यह भी कहा कि लड़की अपने बचाव में दोनों युवकों से भिड़ गई थी और किसी तरह उनकी गिरफ्त से छूटकर भागी । पुलिस अगर पीड़िता के परिजनों को लॉकअप में बंद करने के बजाय दोषी युवकों पर कार्रवाई की होती, तो आज उसकी भतीजी जिंदा रहती । एसपी शालिनी जहां आरोपी युवकों का बचाव कर रही हैं, वहीं दोषी पुलिस का भी बचाव कर रही हैं।
नाबालिग के साथ किया बलात्कार तो पीड़िता ने दी जान
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