दिल्ली में सियासत दिन पर दिन ज़ोर पकड़ रही हैं। हमें हर दिन एक नया चेहरा देखने को मिलता हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के बवाना क्षेत्र में सात कॉलोनियो के लिए पीने के पानी की पाइपलाइन का उद्घाटन करने पहुंचे थे, जहा बीजेपी के कार्यकर्ता पहले से ही मौजूद थे और जैसे ही अरविंद केजरीवाल भाषण देने मंच पर पहुंचे उन्होंने काले झंडे दिखाने शुरु कर दिए जिस पर अरविंद केजरीवाल भड़क गए और भाषण के बीच में ही बीजेपी के कार्यकर्ताओं को चेतावनी देते हुए औकात में रहने को बोल दिया।
बीजेपी के कार्यकर्ताओं के काले झंडे दिखाने पर अरविंद केजरीवाल भड़कते हुए बोले “ये सारी दिल्ली चल के तुम्हारे घर आएगी…. ये बीजेपी वालो को भी में चेतावनी देता हूँ… औकात में रहो, दिल्ली की जनता से पंगा मत लो… नहीं तो ऐसे जूते पडेंगे कि पहचान में नहीं आओगे।”
बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया हैं कि केजरीवाल ने बवाना नरेला आने वाली मेट्रो को कैंसिल कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने मेट्रो के लिए बजट नहीं दिया, जिससे ग्रामीण क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ हैं इसलिए वह केजरीवाल का विरोध करने लगे।
कौन सोचेंगा?
पार्टियों के बीच की ऐसी राजनैतिक लड़ाई दिल्ली की जनता पहले से देखती आ रही हैं लेकिन आज हमारे सामने जो सबसे बड़ा सवाल आ कर खड़ा हुआ वो ये हैं कि अगर सत्ता में आने के बाद भी इसी प्रकार आपस में, उनके हर काम को लेकर विरोध करेंगे या एक दूसर को नीचा दिखाएगें तो देश की आम जनता का क्या होगा, वो जनता जिसने उन्हें अपना कीमती वोट दे कर, उन पर भरोसा कर सत्ता । क्या ये उनके साथ इंसाफ हैं? अपनी सियासत में जनता को भूल जाना कहा का न्याय हैं। अगर वो जनता के बारे में नहीं सोचेगें तो आम जनता किससे उमींद लगाऐगीं। सियासत की यह लड़ाई देश के गौरवशाली इतिहास पर दाग हैं।