जैसे जैसे दिवाली नज़दिक आती है वैसे वैसे ही कुम्हारों द्वारा बनाये जाने वाले मिट्टी के दियों की याद लोगों को आने लगती हैं और हो भी क्यों ना आखिर दिवाली का त्यौहार रोशनी का प्रतिक है जिसके लिये लिए प्राचीन काल से ही मिट्टी के दियोंका इस्तेमाल होता आ रहा है। लेकिन हर चीज़ की तरह वक्त के साथ मिट्टी के दीपक का स्वरूप भी बदल गया है और चाइनीस फैंसी दीयों ने मिट्टी के दीपक की जगह ले ली है। गाजियाबाद में हमने कुम्हारों से जब हमने इस बारे में बात की तो क्या कुछ निकल कर आया आप भी सुन लिजिये।
कुम्हार पहले पूरे साल इंतजार करता था कि दिवाली आएगी और उसके जीवन में रोशनी लेकर आएगी। लेकिन जब से फैंसी और चाइनीस आइटम्स ने बाजार पर कब्जा कर लिया, तब से कुम्हार की दिवाली अन्य दिनों जैसी सामान्य सी होने लगी है। कुमार को उम्मीद है कि आने वाले सालों में चाइनीस आइटम पूरी तरह से मार्केट से खत्म हो जाएगा, तब शायद ऐसा नहीं होगा और इसके लिए सरकार जरूर कोई बड़ा कदम उठाएगी। कुम्हार सिर्फ मिट्टी के दीयों का ही नहीं, बल्कि अन्य मिट्टी के खूबसूरत आइटम बनाने का भी काम करते हैं। जिनकी डिमांड पहले के मुकाबले बढ़ी है। हम भी उम्मीद करते हैं कि सभी लोगों की तरह दिवाली का त्यौहार कुम्हारों के लिए भी एक नई रोशनी लेकर आए।