पटाका नहीं चलाने के फैसले का स्वागत करने वाले लोगो ने इसे बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए बिलकुल सही फैसला बताया । उन्होंने बताया की दीवाली का मतलब यह नहीं की आप पटाका ही चलाये दिवाली की ख़ुशी मनाने के और बहुत से तरीके है ,वही उन्होंने बताया की जब से दिवाली की शुरुआत हुई जब राम जी अयोध्या वापस आये थे तब लोगो ने दीये जला कर दीवाली मनाई थी न की पटाका चला कर और ऐसा नहीं की केवल पटाका चलाने से ही ख़ुशी मिलती है हम एक दूसरे से मिलकर मिठाई खिलाकर गले मिलकर खुशियां बाँट सकते है। वही कुछ लोग पटाका बैन को सही मानते हुए बताया की बच्चो की जिद के चलते वह इधर -उधर से कुछ पटाके लाए है और उन्ही से अपनी दीवाली मनाई है क्योकि अभी मार्किट में ग्रीन पटाके अवेलेबल नहीं हो पाए है ,तो कुछ ने कहा की उन्होंने तो दीवाली पर खूब पटाके चला कर दीवाली मनाई है।