जी हां, ये वहीं नारी थी जिसनें हमेशा झांसी की रानी के रूप में लड़कर दुश्मन को मार भगाया।ये झलकारी बाई थी।झलकारी बाई की गाथा आज भी बुंदेलखंड की लोकगाथाओं और लोकगीतों में सुनी जा सकती है। झलकारी बाई के सम्मान में सन् 2001 में डाक टिकट भी जारी किया गया। हर साल झलकारी बाई को भारतवासियों द्वारा याद किया जाता है और कोली समाज हर साल झलकारी बाई को याद कर उनके सम्मान में इक्ठ्ठा होकर उन्हें याद करता है। इस साल भी दिल्ली के अशोक विहार में स्थित वीरांगना झलकारी बाई सर्वोदय कन्या विद्यालय में कोली समाज के महत्वपूर्ण लोगों के साथ कोली समाज के अध्यक्ष प्रदीप कोली, क्षेत्र के विधायक, निगम पार्षद और आप से चांदनी चौक लोकसभा प्रभारी पंकज गुप्ता और कांग्रेस के पूर्व विधायक हरिशंकर गुप्ता भी शामिल हुए।कार्यक्रम की शुरुआत स्कूल की प्रिसिपल की मौजूदगी में दीप प्रज्जवलन कर की गई और पुषपों से झलकारी बाई को श्रद्धांजली दी गई।जिसके बाद विधायक और आप के नेता ने स्कूल का दौरा कर स्कूल की व्यवस्थाओं को देखा और अपने स्कूल के दिनों को बच्चों के साथ मिलकर याद भी किया।वहीं प्रदीप कोली ने कहा कि इस पूरे कार्यक्रम में संस्था के सभी सदस्यों का भरपूर सहयोग रहता है और आगे भी इसी तरह बना रहना चाहिए।
कुछ ही वर्षो में भारत में झलकारीबाई की छवि में काफी प्रख्याति आई है. झलकारीबाई की कहानी को सामाजिक और राजनैतिक महत्ता दी गयी। झलकारीबाई की महानता को देखते हुए ही उन्हें सम्मानित करने के उद्देश से पृथक बुन्देलखण्ड राज्य बनाने की मांग की गयी थी। भारत सरकार ने झलकारीबाई के नाम का पोस्ट और टेलीग्राम स्टेम्प भी जारी किया था। दिल्ली दर्पण टीवी भी ऐसी महान वीरांगना को सलाम करता है और उन्हे नमन करता है।