इस शिक्षण संस्था का ध्यान बच्चों की पढ़ाई पर काम और अभिभावकों से पैसे ऐंठने पर लगा रहा है।इन लोगों ने अभिभावकों लालच दिया की वे 15 से 20 लाख रुपये एक साथ दें तो उनके बच्चों की फीस माफ़ हो जाएगी और 12 के बाद उन्हें उनके पैसे भी मिल जायेंगे।इस लालच में बड़ी संख्या में लोगों ने प्रेसिडियम में पैसा लगाया।अभिभावकों से अच्छा रेस्पोंस देख प्रेसिडियम ने उन्हें ब्याज का लालच देकर और पैसा इन्वेस्ट कराया,धीरे धीरे यह दायरा बढ़ता गया और उनके निशाने पर केवल अभिभावक ही नहीं बल्कि आम लोग भी आ गए।उन्हें 15 से 20 परसेंट के ब्याज का लालच तो दिया ही साथ ही कहा की यदि वे अपनी बच्चों को इस उनके स्कूल की किसी ब्रांच में पढ़ना चाहते है तो उन्हें 50 पर्तिशत फीस भी माफ़ होगी।इस लालच में कितने ही लोगों ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी,कई सालों तक यह चलता रहा लेकिन अब अचानक इन्हे पता लगा की इस मैनेजमेंट कलह हो गया।कुछ स्कूलों का नाम प्रेसिडियम से प्रूडन्स हो गया।अब इनका दर्द है की न तो इन्हे ब्याज में रहा है और न ही मैनेजमेंट इनसे बात ही कर रहा है