भारत की आजादी के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले महान स्वंतत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। भारत की आज़ादी की कहानी के साथ ही इंकलाब का नारा देने वाले भारत माता के ये वीर सपूत भी हर बार याद किये जाएंगे। 23 मार्च 1931 ये वही तारिख है जब भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था।
बरसों बीत जाने के बाद भी आज तक लोग उनके इस बलिदान को भूल नहीं पाए हैं आज भी लोग उनके शहीद दिवस पर कई तरह के कार्यक्रम करते हैं ताकि लोगों को इन वीर सपूतों का बलिदान याद रहे। इसी कड़ी में भारत नगर से वज़ीरपुर अशोक विहार मॉडल डॉउन से होते हुए शक्ति नगर तक लगभग कई किलो मीटर दूर तक इन वीर सपूतों की झांकियां निकाली गयी।
जिसमें भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, सुभाष चंद्र बोस जैसे लगभग सभी स्वतंत्रता सेनानीयों की झांकी शामिल रही जहां भगत सिंह को जेल में दिखाया गया। तो वहीं चंद्रशेखर आज़ाद को एक पेड़ के नीचे लहूलुहान हालत में दिखाया गया।जो नौजवानों में देश भक्ती की भावना भरने के लिये काफि था। इस दौरान हमने बात की कुछ लोगों से और जाना की वो शहिद दिवस के लिये क्या कहते हैं।