क्या लोकसभा चुनाव के नतीजों से घबरा गई आम आदमी पार्टी या क्या दिल्ली में इसी साल होंगे विधानसभा चुनाव ? ये सवाल इसलिए क्योंकि दिल्ली में लोकसभा चुनाव के बाद बने हालात कुछ इसी और इशारा कर रहे हैं। केंद्र में सत्तासीन और सूबे में नंबर दो की पार्टी भाजपा ने तो बीते 23 मई को दिल्ली के रण की रणभेरी बजा दी थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से दिल्ली के मालिक और उनके सिपहसालार भी धूप में पसीना बहाते हुए दिख रहे हैं।
यूँ तो दिल्ली विधानसभा चुनाव के इसी साल नवम्बर में होने की शंका तो दिल्ली सरकार ने भी जताई थी, लेकिन तब उसे किसी ने सीरियसली नहीं लिया था।लेकिन मौजूदा हालात तो कुछ ऐसा ही कह रहे हैं। शुक्रवार को मालिक सरीखे मुख्यमंत्री ने कई विधानसभाओं में दर्शन दिए और अपने वचनो से जनमानस को कृतार्थ किया तो शनिवार को उनके सिपहसालार सिसोदिया रजोकरी, दिल्ली कैंट, घिटोरनी और नारायणा में बन रहे स्कूल की इमारतों का निरिक्षण करने चले गए, वो भी तब, जब पारा हाफ सेंचुरी लगाने को आतुर हो ।
बात सिर्फ सरकार की नहीं है, चुनाव जितने के बाद भी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की सभाएं ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं हैं तो वहीँ दूसरी तरफ विजय गोयल भी सुबह सुबह लोगों को आम आदमी पार्टी सरकार की खामियां गिनाने विभिन्न इलाकों में पहुँच जा रहे हैं।
गनीमत है कि सूबे में कॉंग्रेस अभी तक हार की विवेचना से निकल नहीं पाई है, वरना चुनाव का पूरा माहौल तैयार हो ही जाता।