क्या पैसे के लिए कोई स्वास्थ्य इंसान किसी जरूरतमंद मरीज को अपनी मर्जी से अपनी किडनी या लिवर बेच सकता है ? क्या भारत जैसे देश में जहां गरीब और मजबूर लोगों के साथ ही इन अंगों के आभाव में मरने वालों की बड़ी तादाद है, ऐसा होना चाहिए ? यह सवाल इसलिए लाजमी है क्योंकि राजधानी के बड़े अस्पताल पुष्पवती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल एन्ड हार्ट इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर टी एस क्लेयर ने 5 स्टार होटल ली मेरिडियन में हार्ट फेलियोर के मॉडर्न मैनेजमेंट पर हुए सम्मलेन के दौरान आने वाले हेल्थ बिल में इसे वैध करने की मांग की है।
सब्जी मंडी, फल मंडी, मुर्गा मंडी, बकरा मंडी तो आपने सुना होगा, लेकिनक्या आपने मानव अंग मंडी के बारे में सुना है, नहीं तो सुन लीजिए, देश के कई इलाकों की तरह ही राजधानी में भी लगती है ये मंडी। ये हम नहीं कह रहे हैं , ये कहना है पुष्पवती सिंघानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट हॉस्पिटल एन्ड हार्ट इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ हार्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर टी इस क्लेयर का। उनका कहना है की किडनी और लिवर जैसे अंगों के लिए यूपी और बिहार जैसे इलाकों से दलाल किसी गरीब को पकड़ कर ले आते हैं, वहां के सर्टिफिकेट की वजह से दिल्ली के अस्पतालों में ऑपरेशन भी हो जाता है। अंग लेने वाला बड़ी रकम भी चुकता करता है, लेकिन दलाल इसका मोटा पैसा मार लेता है और गरीब को चंद रुपए ही मिल पाते हैं।
डॉक्टर क्लेयर की मानें तो जरूरतमंदों की संख्या इतनी बड़ी है कि इस अवैध व्यापार को पूरी तरह से रोका ही नहीं जा सकता है , इसलिए इसे कानून बनाकर लीगल कर देना चाहिए , जिससे इसका फायदा अंग दान करने वाले गरीब को भी हो। इसे कैसे लागु कर सकते हैं डॉक्टर क्लेयर ने इसका ब्लू प्रिंट भी बताया।